11करोड़ लोग हीटवेव की चपेट में

वॉशिंगटन: भारत में जहां लोग तेज बारिश और बाढ़ जैसे हालातों से परेशान हैं। वहीं, अमेरिका में लगातार बढ़ते पारे ने लोगों को जीना मुश्किल कर दिया है।  रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में अगले हफ्ते तापमान खतरनाक लेवल पर पहुंचने वाला है। इसकी चपेट में 11 करोड़ 30 लाख लोग हैं।

फ्लोरिडा, कैलिफोर्निया और वॉशिंगटन में इसे लेकर एडवाइजरी जारी की जा चुकी हैं। अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस ने लोगों से कहा है कि वो अपने सेहत के साथ कोई रिस्क ने लें। अमेरिका में गर्मी कितनी ज्यादा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार को अमेरिका के एरिजोना राज्य में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।

अमेरिका के मौसम विभाग ने बताया है कि कैलिफोर्निया की डेथ वैली में अगल हफ्ते पारा 54 डिग्री तक पहुंच जाएगा। डेथ वैली दुनिया की सबसे गर्म जगहों में से एक है। अगले हफ्ते पारा और चढ़ने के बाद ये दुनिया का अब तक का सबसे ज्यादा तापमान हो जाएगा।हेल्थ डिपार्टमेंट ने कहा है कि ये हीट उन लोगों के जानलेवा साबित हो सकती है। जिनके पास कुलिंग के उचित साधन नहीं हैं। अमेरिका में गर्मी की वजह से हर साल 700 लोगों की मौत होती है।

यूरोप की स्पेस एजेंसी ने इटली, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी और पोलैंड में गर्मी को लेकर अलर्ट जारी किया है। इटली ने रोम और फ्लोरेंस समेत अपने 16 शहरों के लिए हीटवेव की चेतावनी जारी की है। रोम में तापमान 44 डिग्री तक जा सकता है। सरकार ने लोगों से 11 से शाम 6 बजे तक धूप में न रहने की सलाह दी है। हफ्ते की शुरुआत में ही इटली में तेज धूप में काम करने की वजह से एक कंस्ट्रक्शन वर्कर की मौत हो गई।

स्पेन के कैनरी आइलैंड में तापमान बढ़ने से जंगल की आग शुरु हो गई हैं। यहां 500 लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा गया है। वहीं, ग्रीस में भी लोग गर्मी से परेशान हैं। ग्रीस में जंगल में आग लगने का खतरा बढ़ गया है। 2021 में भी जंगल में आग लगने की बड़ी घटना हुई थी।

अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के आधे हिस्से में पड़ रही गर्मी की वजह क्लाइमेट चेंज है। क्लाइमेट साइंस को लेकर काम करने वाले प्रोफेसर रिचर्ड एलन ने बताया है कि जिस तरह से इंसान पर्यावरण में ग्रीन हाउस गैस छोड़ रहे हैं। ये हीटवेव इसी का नतीजा हैं। हमें जल्द से जल्द इसे रोकने के लिए सही कदम उठाने होंगे।

2021 में लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक दुनिया में हर साल 50 लाख से ज्यादा लोगों की मौत बहुत ज्यादा गर्मी या बहुत तेज ठंड के कारण हो रही है। और इनमें आधे से ज्यादा जान गंवाने वाले एशिया से हैं। WMO की रिपोर्ट में दावा किया है कि दक्षिण एशिया में रहने वाली दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी पहले से ही सबसे ज्यादा गर्मी झेल रही है।

ऐसे में बढ़ता तापमान यहां के लिए बड़ा खतरा है क्योंकि इस क्षेत्र के करीब 60 फीसदी लोग खेती से जुड़े हैं। उन्हें खुले मैदान में काम करना पड़ता है। लू चलने से उनकी जान जाने का जोखिम बढ़ जाता है।कैम्ब्रिज और टबिजेन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 2019 में एक रिसर्च में पाया कि जलवायु परिवर्तन इंसान की लंबाई और दिमाग को छोटा कर सकता है।

इसके लिए वैज्ञानिकों ने दुनियाभर के इंसानों के 300 से ज्यादा शरीर और कंकालों पर रिसर्च की। इसमें सामने आया कि इंसान के शरीर पर जलवायु परिवर्तन की मार का असर हुआ है।अफ्रीका में इंसानों की प्रजाति ‘होमो’ की उत्पत्ति 3 लाख साल पहले हुई थी। आज के इंसान की तुलना में होमो हेबिलिस 50 गुना अधिक भारी थे और इनका दिमाग लगभग 3 गुना बड़ा था।

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