नई दिल्लीः वित्त वर्ष 2015-16 से लेकर 2019-21 के मोदी सरकार के 5 वर्षों के दौरान 13.5 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में सफलता मिली है. नीति आयोग के डेटा से ये आंकड़ा सामने आया है. नीति आयोग ने सोमवार 17 जुलाई, 2023 को गरीबी रेखा पर राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांकः एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023 (National Multidimensional Poverty Index: A Progress Review 2023) नाम से रिपोर्ट जारी किया है. रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 से लेकर 2019-21 के बीच बहुआयामी गरीबी वाले व्यक्तियों की संख्या 24.85 फीसदी से घटकर 14.96 फीसदी रह गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा गरीबों की संख्या में कमी आई है. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों की संख्या 32.59 फीसदी से घटकर 19.28 फीसदी रह गई है. इसी अवधि के दौरान शहरी इलाकों में गरीबी 8.65 फीसदी से 5.27 फीसदी रह गई है.
सारे प्रदेशों में सबसे ज्यादा गरीबों की संख्या में कमी उत्तर प्रदेश में देखने को मिली है. उत्तर प्रदेश में इस अवधि में 3.43 लोग गरीबी रेखा से बाहर आने में सफल रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बाद बिहार और मध्य प्रदेश का ओडिशा और राजस्थान का नंबर आता है.
नीति आयोग के इस डेटा के मुताबिक पोषण में सुधार, स्कूली वर्ष में इजाफा, स्वच्छता और रसोई गैस की उपलब्धता में सुधार के चलते गरीबी को घटाने में बड़ी मदद मिली है. एसडीजी से जुड़े 12 इंडीकेटर्स में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर राष्ट्रीय एमपीआई ( National MPI) को मापा जाता है.
इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं. और डेटा के मुताबिक सभी में सुधार देखने को मिला है.
नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सरकार का बड़ा फोकस सैनिटेशन, पोषण, रसोई गैस, वित्तीय समावेश, साफ पीने का पानी और बिजली पर रहा है जिसके चलते गरीबी घटाने को मोर्चे पर ये सफलता हासिल हुई है. पोषण अभियान और अनीमिया मुक्त जैसी फ्लैगशिप योजना के चलते स्वास्थ्य सेवा जरुरतों को उपलब्ध कराया जा सका है.
रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री उज्जवला योजना ने लोगों की जिंदगी बदलकर रख दी है. इसके अलावा मोदी सरकार की अन्य योजनाएं सौभाग्य, प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम जनधन योजना और समग्र शिक्षा के चलते भी देश में गरीबी कम हुई है.