संयुक्त राष्ट्र :संयुक्त राष्ट्र समर्थित स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग ने इस साल की शुरुआत में सीरिया के तटीय क्षेत्रों में हुई सांप्रदायिक हिंसा की जांच पूरी कर ली है. रिपोर्ट में पाया गया कि कई सरकार-समर्थित सशस्त्र गुटों ने नागरिकों, खासकर अलावी समुदाय के लोगों के खिलाफ बड़े पैमाने पर और संगठित तरीके से हमले किए. हालांकि आयोग को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि यह हिंसा सीरिया की केंद्रीय सरकार के आदेश पर की गई थी.
यह हिंसा मार्च में उस समय शुरू हुई जब पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थकों और नई सरकार के सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुई थी. शुरुआत में ये झड़पें स्थानीय स्तर की थीं लेकिन बाद में ये सांप्रदायिक प्रतिशोध और हत्याओं में बदल गई थी. दिसंबर में असद को विद्रोहियों के हमले में सत्ता से बेदखल कर दिया गया था और नई सरकार पूर्व विद्रोही गुटों से मिलकर एक राष्ट्रीय सेना बनाने की कोशिश कर रही थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, नई सीरियाई सेना की 62वीं और 76वीं डिवीजन (जिन्हें पहले सुल्तान सुलेमान शाह ब्रिगेड और हमजा डिवीजन कहा जाता था) और 400वीं डिवीजन ने हिंसा में हिस्सा लिया. इनमें से कई गुट पहले तुर्की समर्थित विद्रोही गठबंधनों और इस्लामी संगठन ‘हयात तहरीर अल-शाम’ का हिस्सा रह चुके थे.
आरोप है कि इन गुटों ने अलावी बहुल इलाकों में जाकर घरों पर छापे मारे, लोगों से उनकी धार्मिक पहचान पूछी और कई मामलों में अलावी पुरुषों और लड़कों को ले जाकर मार डाला. कुछ मामलों में शवों का अपमान किया गया और परिवारों को दफनाने से रोका गया.
सरकारी जांच के मुताबिक, इन घटनाओं में 1400 से ज्यादा लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे. रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि अस्पतालों पर कब्जा किया गया, पत्रकारों पर गोली चलाई गई, उनका अपहरण हुआ और महिलाओं व बच्चों की हत्या की गई. रिपोर्ट में अपहरण और यौन उत्पीड़न के मामले भी दर्ज हैं.
अलावी महिलाओं के अपहरण की कम से कम छह घटनाओं की पुष्टि हुई है, जबकि दर्जनों अन्य मामलों की जांच चल रही है. कुछ पीड़ितों का जबरन विवाह के लिए अपहरण किया गया और कुछ मामलों में फिरौती मांगी गई. संयुक्त राष्ट्र आयोग ने यह भी पाया कि हिंसा के दौरान बड़ी मात्रा में लूटपाट हुई. सशस्त्र गुटों ने घरों से कीमती सामान उठाया और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया.
सीरिया के विदेश मंत्री असद अल-शिबानी ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार कथित उल्लंघनों को गंभीरता से ले रही है. उन्होंने आयोग की सिफारिशों को देश की प्रगति के लिए रोडमैप बताया, जिसमें सुरक्षा बलों में भर्ती के समय अधिक जांच और अल्पसंख्यक समुदायों से भर्ती बढ़ाने की बात कही गई है.
विदेश मंत्रालय के कानूनी सलाहकार इब्राहिम ओलाबी ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई पर अभी विस्तार से बोलना जल्दबाजी होगी, लेकिन सरकार अपनी क्षमता के अनुसार जवाबदेही सुनिश्चित करेगी ताकि नागरिक शांति कायम रह सके और इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों.
मार्च की शुरुआत में असद समर्थक सशस्त्र गुटों ने नई सरकार के सुरक्षा बलों पर हमले शुरू किए. इसके बाद हजारों लड़ाके और हथियारबंद नागरिक तटवर्ती इलाकों में पहुंच गए. हिंसा ने तेजी से सांप्रदायिक रूप ले लिया और अलावी समुदाय को निशाना बनाया गया. संयुक्त राष्ट्र आयोग का निष्कर्ष है कि हालांकि हमलों में सरकारी सेना के कुछ हिस्सों ने हिस्सा लिया, लेकिन इसके लिए कोई केंद्रीय नीति या सीधा आदेश नहीं था. फिर भी इन घटनाओं में शामिल गुटों ने ऐसे अपराध किए हैं जो युद्ध अपराधों की श्रेणी में आ सकते हैं.
सीरिया के नए राष्ट्रपति अबू मोहम्मद अल-जौलानी बने हैं. इनको अल-शरा के नाम से भी जाना जाता है. सीरिया के एक प्रमुख विद्रोही नेता हैं. अमेरिका ने पहले उन्हें पकड़ने के लिए 10 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित किया था. अब अमेरिकी विदेश विभाग ने यह इनाम हटा लिया है. अल-शरा लंबे समय से सीरिया में सक्रिय हैं और कई संगठनों से जुड़े रहे हैं.