वॉशिंगटन: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष पर पूरी दुनिया की नजर थी। खासकर अमेरिका ने गिद्ध की नजर बना रखी थी। अमेरिका चीनी हथियारों की क्वालिटी और मारक क्षमता जानना चाहता था। भारत और पाकिस्तान के बीच करीब 4 दिनों तक हुए संघर्ष के एक महीना बीतने के बाद अब अमेरिका के इंडो-पैसिफिक कमांड से संबंधित एक वेबसाइट की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के चीनी हथियार फ्लॉप रहे हैं।
इंडो-पैसिफिक डिफेंस फोरम की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच करीब 4 दिनों तक चले संघर्ष के दौरान इस्तेमाल किए गये हाई टेक ड्रोन, मिसाइल, एयर डिफेंस के परफॉर्मेंस का गहनता से अध्ययन किया गया है। लेकिन चीन से खरीदे गये पाकिस्तान के हथियार सिस्टम ने निराशाजनक परिणाम दिए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के हवाई हमलों ने पाकिस्तान के भीतर कई लक्ष्यों को कामयाबी के साथ निशाना बनाया, जिसका मतलब है कि मिसाइलों ने चीनी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों पर निर्भर पाकिस्तानी एयर डिफेंस को भेद दिया। टोरंटो स्थित कुवा डिफेंस न्यूज एंड एनालिसिस ग्रुप के संस्थापक बिलाल खान ने एजेंस फ्रांस-प्रेस समाचार सेवा को बताया कि चीनी एयर डिफेंस सिस्टम “उतनी प्रभावी नहीं दिख रही हैं जितनी पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) ने उम्मीद की होगी।”
वहीं लंदन स्थित थिंक टैंक एशिया-पैसिफिक फाउंडेशन के अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा निदेशक सज्जन गोहेल ने सीएनएन न्यूज को बताया कि “यदि चीनी मूल के रडार या मिसाइल सिस्टम भारतीय हमलों का पता लगाने या उन्हें रोकने में नाकाम रहे, तो यह बीजिंग के हथियार बेचने की क्षमता और उसकी विश्वसनीयता के लिए काफी खराब है।” रिपोर्ट में कहा गया है कि लड़ाई के चौथे दिन भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर सटीक हमले किए
, जिसमें पाकिस्तान वायुसेना के 20% बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया। जिससे पाकिस्तानी एयरफोर्स को लंबे वक्त के लिए काफी गहरा नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने पहले इस दावे को अतिश्योक्ति बताकर खारिज कर दिया था, लेकिन अमेरिकी रक्षा एजेंसियों की सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि भारत ने जो दावे किए हैं, वो सच हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि सैटेलाइट तस्वीरों से भारतीय वायुसेना के सटीक हमलों की पुष्टि होती है। पता चलता है कि भारत ने पाकिस्तान के ज्यादातर सैन्य सुविधाओें पर हमला किया है। इसके अलावा भारतीय डिफेंस एक्सपर्ट जीडी बख्शी ने बताया है कि “हमारी इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम अमेरिका, इजराय और रूस के बराबर है।
यह चीनी सिस्टम से काफी बेहतर हैं।” बख्शी ने कहा कि “चीन ने पाकिस्तान के साथ अपने फ्रंटलाइन उपकरण तैनात नहीं किए हैं, लेकिन उसने जो सिस्टम निर्यात किए हैं, HQ-9 और HQ-16, उन्होंने काफी खराब प्रदर्शन किए हैं। हमने उन्हें सफलतापूर्वक बेअसर कर दिया है।”
इसके अलावा जियो-पॉलिटिकल एक्सपर्ट ब्रह्मा चेलानी ने द जापान टाइम्स ने लिखा है कि “भारत ने कम से कम एक SAAB-2000 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम को बेअसर कर दिया, जो ऐतिहासिक है। ऐसा इसलिए क्योंकि विमान को 314 किलोमीटर दूर से दागी गई सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल से पाकिस्तान के अंदर मार गिराया गया।”
पश्चिमी मीडिया और एक्सपर्ट्स ने सैटेलाइट तस्वीरों और अन्य स्रोतों के हवाले से करीब एक महीने तक भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष का विश्लेषण किया है। जिसमें कहा गया है कि “भारतीय हवाई हमलों ने नूर खान और भोलारी सहित प्रमुख पाकिस्तानी हवाई ठिकानों को नष्ट कर दिया।”
चेलानी ने लिखा कि “पाकिस्तान के परमाणु कमान और सेना मुख्यालय के पास नूर खान पर हमला प्रतीकात्मक था।” उन्होंने कहा कि “भारतीय क्रूज मिसाइलों ने इसे निशाना बनाकर एक सुनियोजित संदेश दिया था कि भारत के निशाने पर पाकिस्तान के हाई वैल्यू टारगेट्स है और पाकिस्तान किसी भी तरह से खुद को नहीं बचा सकता है।
इस बीच, पाकिस्तान ने चीनी सैन्य हार्डवेयर पर बहुत ज्यादा भरोसा किया, खासकर पीएल-15ई एयर-टू-एयर मिसाइलों और एचक्यू-9 लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम्स पर, जो बेअसर साबित हो गईं। चीन ने पाकिस्तान को सैटेलाइट सिस्टम से मदद दी थी और बीजिंग ने भारतीय सैन्य क्षेत्रों पर इस दौरान कवरेज को काफी बढ़ा दिया था।
पाकिस्तान ने कथित तौर पर भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर चीन निर्मित CM-401 मिसाइल, एक हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल भी दागी दी। लेकिन भारत ने उन्हें इंटरसेप्ट कर लिया था, इसलिए चीन के हथियार सवालों के घेरे में हैं। वो बुरी तरह से नाकाम रहे हैं। इसके अलावा पाकिस्तान ने एक ही रात में 400 से ज्यादा ड्रोन भी दागे, लेकिन भारतीय लक्ष्यों को नुकसान के बहुत कम सबूत हैं।