उदय दिनमान डेस्कः 26 जून 2025 को जॉर्जिया के अटलांटा में एक उल्कापिंड ने घर की छत तोड़ दी. ये उल्कापिंड इतना पुराना है कि इसकी उम्र पृथ्वी से भी ज्यादा, यानी 4.56 अरब साल है. इसने तेज रफ्तार से आकर घर में छेद किया और टुकड़े-टुकड़े हो गया. वैज्ञानिक इसे मैकडॉनो मेटियोराइट कह रहे हैं, जो अंतरिक्ष की अनोखी कहानी बयां करता है.
जॉर्जिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक स्कॉट हैरिस ने इसके 23 ग्राम टुकड़ों का विश्लेषण किया. ऑप्टिकल और इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी से पता चला कि ये 4.56 अरब साल पुराना है. ये पृथ्वी (4.54 अरब साल) से भी पुराना है. ये मंगल और बृहस्पति के बीच क्षुद्रग्रह बेल्ट से आया था.
ये उल्कापिंड इतनी तेजी से आया कि इसने छत, वेंटिलेशन डक्ट और फर्श को नुकसान पहुंचाया. फर्श पर गड्ढा बन गया और उल्कापिंड टुकड़े-टुकड़े हो गया. घरवाले सुरक्षित रहे, लेकिन कमरे में अंतरिक्ष की धूल फैल गई. इसकी आवाज और कंपन बंदूक की गोली जैसी थी.
वैज्ञानिकों ने इसे L-टाइप ऑर्डिनरी कॉन्ड्राइट बताया, जो कम धातु वाला पथरीला उल्कापिंड है. ये 4.56 अरब साल पहले सौरमंडल बनने के समय का है. ये क्षुद्रग्रह बेल्ट में 470 मिलियन साल पहले हुए टकराव से निकला. इसके टुकड़े पृथ्वी के रास्ते में आ गए थे.
ये उल्कापिंड 1 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती पर आया. ये ध्वनि की गति (343 मीटर/सेकंड) से भी तेज था. वायुमंडल में प्रवेश करते वक्त ये जलकर आग का गोला बन गया. फिर भी, ये छोटा (चेरी टमाटर जितना) होने के कारण ज्यादा नुकसान नहीं कर पाया.
वैज्ञानिकों ने इसे मैकडॉनो मेटियोराइट नाम दिया, क्योंकि ये मैकडॉनो के ज़िप कोड में गिरा. इसके टुकड़े जॉर्जिया विश्वविद्यालय में और कुछ टेलस साइंस म्यूजियम में रखे गए हैं. इसका नाम मेटियोरिटिकल सोसाइटी के नॉमिनक्लेचर कमेटी को भेजा गया है. ये जॉर्जिया का 27वां उल्कापिंड है.
वैज्ञानिक स्कॉट हैरिस का कहना है कि ये उल्कापिंड सौरमंडल के शुरुआती दिनों की जानकारी देता है. इसका अध्ययन हमें क्षुद्रग्रहों और उनके पृथ्वी से टकराव को समझने में मदद करता है. ये भविष्य में बड़े उल्कापिंडों से धरती को बचाने की रणनीति में उपयोगी हो सकता है. इससे सौरमंडल की उत्पत्ति का भी पता चलता है.
ये उल्कापिंड छोटा था, इसलिए घरवालों को कोई नुकसान नहीं हुआ. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि बड़े उल्कापिंड खतरनाक हो सकते हैं. अगर ऐसा बड़ा पिंड टकराए, तो ये शहर या देश को नष्ट कर सकता है. इसलिए इनके अध्ययन से बचाव के तरीके सीखे जा सकते हैं.
नासा का DART मिशन 2022 में एक क्षुद्रग्रह का रास्ता बदलने में कामयाब रहा. वैज्ञानिक कहते हैं कि छोटे बदलाव से क्षुद्रग्रह को पृथ्वी से दूर रखा जा सकता है. मैकडॉनो उल्कापिंड जैसे छोटे पिंडों का अध्ययन इस तकनीक को बेहतर करता है. ये भविष्य में धरती को बचाने में मदद करेगा.
सबसे बड़ा उल्कापिंड होबा है, जो नामीबिया में मिला और इसका वजन 60 टन है. उल्कापिंड अंतरिक्ष से पृथ्वी पर गिरने वाले चट्टानी पिंड हैं. वायुमंडल में जलने से ये आग का गोला बनते हैं, जिसे टूटता तारा कहते हैं. मैकडॉनो उल्कापिंड छोटा था, लेकिन इसकी उम्र और उत्पत्ति इसे खास बनाती है.