‘आमा पंडुम’ का उत्सव में 50 किलो बारूद

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में माओवादियों के घात लगाकर किए गए हमले में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) के 10 जवान शहीद हो गए. एक ड्राइवर की भी मौत हो गई है. माओवादियों ने एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) से विस्फोट किया था. विस्फोट के लिए करीब 50 किलो आईईडी का इस्तेमाल किया गया था. इस वारदात के बाद प्रशासन की लापरवाही भी सामने आ रही है. क्योंकि इस हमले से पहले पुलिसकर्मियों के काफिले के रूट की चेकिंग और रोड ओपेनिंग पैट्रोलिंग नहीं की गई थी.

रोड ओपेनिंग पैट्रोलिंग टीम आमतौर छोटी लेकिन एक्टिव टीम होती है. नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों का काफिला गुजरने से पहले ये टीम संभावित घात को लेकर रूट की चेकिंग करती है. टीम का काम काफिले के आने से पहले अन्य खतरों को खत्म करना होता है.

इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि दंतेवाड़ा में आज जिस सड़क पर हमला और आईईडी ब्लास्ट हुआ, वहां की चेकिंग नहीं की गई थी. क्योंकि घटनास्थल से लगभग 100 मीटर की दूरी पर ‘अमा पांडुम’ नाम का एक स्थानीय त्योहार मनाया जा रहा था.

अक्सर वन क्षेत्र में पुलिस या सुरक्षाबलों की गाड़ियां स्पीड से निकलती हैं, लेकिन जब भी कोई त्योहार होता है, तो सुरक्षा के लिहाज से गाड़ियों की रफ्तार धीमी हो जाती हैं. ‘अमा पांडुम’ त्योहार में बच्चे आम खरीदने के लिए बड़ों और राहगीरों से पैसे मांगते हैं. इस रोड पर गाड़ियां तेज रफ्तार से जाती हैं, लेकिन बच्चों को खड़े होने से गाड़ियों की रफ्तार धीमी हुई. सूत्रों का मानना है कि शायद नक्सलियों ने प्लानिंग के तहत ये करवाया था.

मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हो सकता है कि माओवादियों ने स्थानीय लोगों को हमला स्थल के पास उत्सव आयोजित करने के लिए मजबूर किया हो, ताकि वे हमले को अंजाम दे सके; क्योंकि त्योहार के कारण काफिला धीमी गति से चल रहा होगा.

मामले की सीधी जानकारी रखने वाले लोगों ने NDTV को बताया कि धमाका इतना शक्तिशाली था कि शव 150 मीटर दूर गिरे. अमूमन नक्सली हथियार लूटकर ले जाते हैं, लेकिन इस बार नक्सलियों ने हथियार नहीं लूटे. पहले डीआरजी के जवान पैदल या बाइक से चलते थे, लेकिन कुछ महीनों से वो चार पहिया वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो उनके मैनुअल के हिसाब से ठीक नहीं है.

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IG) सुंदरराज पी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि सरकार की पुनर्वास नीति के बाद हर साल 400 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब ज्यादातर माओवादी नेता आमतौर पर छत्तीसगढ़ के बाहर के राज्यों जैसे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से हैं.

दंतेवाड़ा हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जाहिर किया है. पीएम ने कहा कि पुलिसकर्मियों का बलिदान हमेशा याद किया जाएगा. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, “दंतेवाड़ा में छत्तीसगढ़ पुलिस पर हमले की कड़ी निंदा करता हूं. हमले में शहीद हुए हमारे बहादुर जवानों को मैं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. उनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा. मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं.”

नक्सली हमले में शहीद होने वालों में प्रधान आरक्षक जोगा सोढ़ी, मुन्ना राम कड़ती, संतोष तामो, नव आरक्षक दुल्गो मण्डावी, लखमू मरकाम, नव आरक्षक जोगा कवासी, नव आरक्षक हरिराम मण्डावी, गोपनीय सैनिक राजू राम करटम, जयराम पोड़ियाम जगदीश कवासी और गाड़ी के ड्राइवर धनीराम यादव शामिल हैं.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हमले पर दुख जताया है. उन्होंने कहा- ‘शहीदों के परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं. नक्सलियों को बख्शा नहीं जाएगा. वे गुरुवार को कर्नाटक दौरा रद्द कर शहीदों को श्रद्धांजलि देने दंतेवाड़ा जाएंगे. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सीएम बघेल को हर संभव सहायता देने की बात कही है.

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