पानीपत: आज के आधुनिक युग में मौसम की जानकारी के लिए सैटेलाइट, रडार और तकनीकी उपकरणों का सहारा लिया जाता है। लेकिन पानीपत की ऐतिहासिक बू अली शाह कलंदर दरगाह में एक ऐसा पत्थर मौजूद है जो बिना किसी तकनीक के मौसम का सटीक पूर्वानुमान देने की क्षमता रखता है।
इसे ‘ मौसम पत्थर ‘ के नाम से जाना जाता है और यह रहस्यमयी पत्थर आज भी वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली बना हुआ है। देश-विदेश से कई वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस रहस्यमयी पत्थर की जांच कर चुके हैं, लेकिन आज तक कोई भी यह स्पष्ट नहीं कर पाया कि इसमें ऐसा कौन-सा प्राकृतिक या अद्भुत गुण है जो मौसम की जानकारी पहले ही दे देता है।
इस पत्थर की विशेषता यह है कि बारिश होने से पहले इसकी सतह पर पानी की छोटी-छोटी बूंदें दिखाई देने लगती हैं। भारी बारिश की संभावना हो तो पूरा पत्थर गीला हो जाता है। गर्मियों में यह पत्थर गर्म हो जाता है, जबकि सर्दियों में इसका तापमान गिर जाता है। दरगाह में रहने वाले खादिम मोहम्मद रिहान बताते हैं कि यह पत्थर करीब 500 साल पुराना है और नवाब मुकर्रम अली द्वारा दरगाह की दीवारों में लगवाया गया था।
जनश्रुति के अनुसार मुकर्रम अली एक विख्यात हकीम थे, जिन्हें एक जिन्न द्वारा यह पत्थर उपहार स्वरूप भेंट किया गया था। कहा जाता है कि हकीम ने जिन्न की बेटी का इलाज किया था, जिसके बदले में यह अलौकिक पत्थर उन्हें मिला।
मोहम्मद रिहान के अनुसार, उनके पिता मोहम्मद सूफी इस पत्थर की भाषा को समझते थे और वर्षों तक इसी के आधार पर मौसम की सटीक भविष्यवाणी किया करते थे। उनका कहना है कि उनके पिता पानीपत के एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें इस पत्थर को पढ़ने की विद्या प्राप्त थी। दुर्भाग्यवश, उनका एक साल पहले निधन हो गया।
बू अली शाह कलंदर की दरगाह न सिर्फ आध्यात्मिक श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। कलंदर शाह का जन्म पानीपत में हुआ था। हालांकि उनके जन्मस्थान को लेकर विभिन्न मान्यताएं हैं। कुछ मानते हैं कि उनका जन्म तुर्की में हुआ, तो कुछ अजरबैजान बताते हैं। उनके माता-पिता इराक से थे और दोनों ही धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे।