53 नागरिकों की मौत, 60 घायल

काहिरा :सूडान के पश्चिमी हिस्से में अल-फाशर कैम्प और आसपास के इलाकों में इस सप्ताह तीन दिनों में हुए संघर्षों में कम से कम 53 नागरिक मारे गए और 60 से अधिक घायल हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने यह जानकारी दी और चेतावनी दी कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।

टर्क ने बताया कि पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स द्वारा अबु शौक और दाराजा औला इलाकों में किए गए ड्रोन और तोपखाने के हमलों में 46 लोग मारे गए। इनमें से दर्जनों लोग एल-फाशर के एकमात्र कामकाजी अस्पताल पर हुए शेलिंग में मारे गए। शेलिंग के दौरान पास की मस्जिद भी निशाना बनी, जहां लोग शरण लिए हुए थे।

रैपिड सपोर्ट फोर्स की जमीनी कार्रवाई के दौरान कम से कम सात लोगों की जातिगत हत्या की गई। आरएसएफ और सूडानी सेना पर कथित युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप लगा है और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा जांच चल रही है। टर्क ने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बार-बार अपील करने के बावजूद, उनके खिलाफ हमले जारी हैं। यह युद्ध कानून का उल्लंघन है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। उन्होंने यूएन सदस्य देशों से तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया।

सूडान में 2023 से आरएसएफ और सेना के बीच संघर्ष जारी है। डारफुर क्षेत्र इस लड़ाई का मुख्य केंद्र रहा है। युद्ध में अब तक 40,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है, 14 मिलियन लोग विस्थापित हुए हैं और कई हिस्सों में, विशेषकर डारफुर में, अकाल की घोषणा की गई है। एल-फाशर, उत्तर डारफुर की राजधानी, पिछले एक साल से घेराबंदी में है। यूएन और अन्य सहायता समूहों का कहना है कि शहर में 2.6 लाख नागरिक फंसे हुए हैं। सैकड़ों हजार लोग पास के ताविला शरण शिविरों में आ गए हैं।

यूएन की ह्यूमेनिटेरियन कोऑर्डिनेटर डेनिस ब्राउन ने कहा ताविला एक मानवीय संकट का मुख्य केंद्र बन चुका है। यहां करीब 6 लाख आंतरिक रूप से विस्थापित लोग हैं, जो ज्यादातर एल-फाशर से भागे हैं।”ब्राउन ने बताया कि स्थानीय स्तर पर सीमित सहायता प्रदान की जा रही है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यूएन एल-फाशर तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बातचीत कर रहा है, ताकि बचे हुए नागरिकों को राहत दी जा सके।

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