मणिपुर हिंसा में 54 लोगों की मौत

इंफाल: मणिपुर में हुई जातीय हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है। इंफाल घाटी में शनिवार को जनजीवन सामान्य होता नजर आया क्योंकि दुकानें और बाजार फिर से खुले और सड़कों पर कार भी चलती दिखीं। अधिकारियों ने बताया कि सभी प्रमुख क्षेत्रों और सड़कों पर सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों और केंद्रीय पुलिस बल के जवानों की तैनाती के साथ सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है। शुक्रवार को जिन इलाकों में उग्रवादी समूहों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई थी, वहां सड़कों पर बेरीकेड लगाकर घेराबंदी कर दी गई है।

राज्य से बाहर निकलने के प्रयास में इंफाल एयरपोर्ट पर छात्रों समेत बड़ी संख्या में लोग एकत्रित देखे गए। उधर, मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए 7 मई को होने वाली मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET-UG को स्थगित कर दिया गया है। एनटीए ने कहा कि जिन उम्मीदवारों का परीक्षा केंद्र मणिपुर में है, उनके लिए नई तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी।

गैर आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, हिंसा में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं और 200 से अधिक घायल हुए हैं। केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने पूर्वोत्तर राज्य में शांति की अपील के साथ-साथ जातीय समुदायों के बीच एक संवाद शुरू करने की अपील की।

केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने दिल्ली में एक कार्यक्रम के इतर कहा, ‘कई लोगों की जान चली गई है और संपत्ति को नुकसान हुआ है। चाहे मेइती हों या कुकी, दोनों एक ही राज्य के हैं और उन्हें एक साथ रहने की जरूरत है… समाज तभी प्रगति कर सकता है जब शांति हो।’ सेना और केंद्रीय पुलिस बलों को हवाई मार्ग से लाकर मणिपुर में सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई गई है।

छात्रों समेत करीब 500 लोग इंफाल एयरपोर्ट पर नजर आए जो हिंसा प्रभावित राज्य से हवाई मार्ग से बाहर निकलने की कोशिश में हैं। इंफाल घाटी और उसके आसपास के पहाड़ी जिलों में भड़के दंगों के शरणार्थियों के लिए विभिन्न सरकारी भवनों में कई अस्थाई शिविर स्थापित किए गए हैं।

13,000 से अधिक लोगों ने सेना और राज्य सरकार की ओर से राज्य के भीतर स्थापित विभिन्न आश्रयों और आम लोगों की ओर से स्थापित अस्थायी शिविरों में शरण ली है, जबकि कई अन्य पड़ोसी राज्यों मिजोरम, मेघालय और नगालैंड चले गए हैं।

शुक्रवार को जिन इलाकों में उग्रवादी समूहों और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी हुई थी, वहां सड़कों पर बेरीकेड लगाकर और घेराबंदी करके सुरक्षा सुदृढ़ की गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि ये उग्रवादी समूह जातीय हिंसा में शामिल हो गए थे।

राज्य में लगभग 10,000 सेना, अर्ध-सैन्य और केंद्रीय पुलिस बलों को तैनात किया गया है, जहां बहुसंख्यक मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के कदम के खिलाफ बुधवार को कुकी और नगा सहित आदिवासियों की ओर से प्रदर्शन किए जाने के बाद दंगा भड़क गया था।

कुल आबादी में मेइती समुदाय करीब 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासियों में नगा और कुकी शामिल हैं और आबादी में इनकी संख्या करीब 40 प्रतिशत है और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।इस बीच, असम राइफल्स की एक टुकड़ी को इंफाल में सभी नगा छात्रों को रविवार को वापस कोहिमा ले जाने के लिए चुनिंदा जगहों से एकत्रित करने का निर्देश दिया गया है।

मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद इंफाल घाटी में सुरक्षाबलों की भारी मौजूदगी के बीच शुक्रवार को स्थिति शांतिपूर्ण लेकिन तनावपूर्ण रही। मणिपुर जाने वाली ट्रेनों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं। वह राज्य और केंद्र के अधिकारियों के लगातार संपर्क में हैं। केंद्र ने स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षाबलों की 20 और कंपनियां मणिपुर में भेजी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *