नई दिल्ली :बिहार में मतदाता सूची से कम से कम 56 लाख मतदाताओं के नाम कटने तय हैं। चुनाव आयोग की तरफ से राज्य में मतदाता सूची को लेकर विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान चलाया जा रहा है। इसमें 49 लाख में से 20 लाख मतदाताओं का निधन हो चुका है।
28 लाख ऐसे मतदाताओं की पहचान की गई जो अपने पंजीकृत पते से स्थाई रूप से पलायन कर गए हैं। वहीं, एक लाख मतदाता ऐसे हैं जिनका कुछ पता नहीं है। 7 लाख मतदाता एक से अधिक स्थान पर पंजीकृत पाए गए हैं। विशेष अभियान से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि करीब 15 लाख मतदाता अभी भी ऐसे हैं जिन्होंने अपने गणना प्रपत्र वापस नहीं किए हैं।
इन्हें लेकर चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के साथ गणना प्रपत्र एकत्र करने की कवायद कर रहा है। अब तक 7.7 करोड़ से ज्यादा मतदाता फॉर्म (कुल मतदाताओं का 90.89 फीसदी) मिल चुके हैं और इनकी डिजिटलीकरण भी कर दिया गया है।
बिहार में निर्वाचन आयोग की एसआईआर प्रक्रिया में मृत मतदाताओं का आंकड़ा सामने आने के बाद जनता ने एसआईआर की आलोचनाओं को लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। एसआईआर के पहले चरण में सामने आए चौंकाने वाले तथ्यों के बाद वास्तविक मतदाता बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) से सवाल कर रहे हैं कि क्या उनके दल मृत, स्थानांतरित, दोहरे वोट वाले, अवैध प्रवासी और अस्तित्वहीन मतदाताओं के माध्यम से फर्जी मतदान को सक्षम करना चाहते हैं? क्या इसीलिए पूरी प्रक्रिया की आलोचना की जा रही थी।
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड जैसे दस्तावेज शामिल करने के लिए वह बाध्य नहीं है। लेकिन सत्यापन के लिए इनका सीमित रूप से उपयोग किया जा रहा है। इस महाअभियान में चुनाव आयोग ने कहा कि यह सुनिश्चित किया है कि कोई पात्र मतदाता छूटे।