5जी: विमानन कंपनियों के लिए बना संकट

नई दिल्ली। मोबाइल नेटवर्क की पांचवीं पीढ़ी यानी 5जी को 4जी से बहुत तेज बताया गया है। इसमें इंटरनेट की गति 10 गुना ज्यादा मिलेगी जबकि लेटेंसी 10 गुना घट कर एक मिली सेकंड (1 सेकंड का 1000वां हिस्सा) रह जाएगी।

लेटेंसी मतलब किसी डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक डाटा भेजने में लगे समय की वजह से हुई देरी। नए जमाने की तकनीकों जैसे वर्चुअल रियलिटी, खुद चलने वाली कारों, सामान डिलीवर करने वाले ड्रोन, रोबोटिक सर्जरी और टेलीमेडिसिन आदि के लिए 5जी रीढ़ की तरह है। इसके बिना भविष्य की कल्पना संभव नहीं है।

अमेरिकी दूरसंचार कंपनियों एटीएंडटी व वेरिजॉन ने चिंताओं को नकार दिया है। कहा, 40 देशों 5जी सेवाएं हैं। वहां ऐसी समस्याएं नहीं आईं। जवाब में विमानन कंपनियों ने इन देशों में 5जी व विमानों की संचार फ्रीक्वेंसी में अंतर को ज्यादा बताया। यह तर्क को दूरसंचार कंपनियों ने नकार दिया। मामला इतना बढ़ गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन को हस्तक्षेप के लिए कहा जा रहा है।

विमानन कंपनियों ने अमेरिकी सरकार को 50 ऐसे एयरपोर्ट की सूची दी है, जिन्हें वे खतरनाक मान रही हैं। इनके निकट दूरसंचार कंपनियों ने 5जी फिलहाल रोका हुआ है। इससे विमान सेवाएं बहाल करने व समाधान तलाशने के लिए कुछ समय मिला है। अमेरिकी सरकार के साथ वहां के कई विभाग, दूरसंचार और विमानन कंपनियां समाधान निकालने को लेकर बातचीत कर रही हैं। हालांकि, समझौता होने में कुछ महीने भी लग सकते हैं।

भारत में 15 से अधिक शहरों में 5जी नेटवर्क शुरू करने की योजना है। हालांकि, स्पेक्ट्रम नीलामी नहीं हुई है। अमेरिका में स्पेक्ट्रम 6 लाख करोड़ रुपये का बिका था। ऐसे में सरकार पूरा वित्तीय उपयोग करना चाहती है। 5जी के अमेरिका जैसे खतरे पर किसी विमानन कंपनी ने चिंता नहीं जताई है। 3जी व 4जी के समय में सेना व प्रसार भारती ने आपत्तियां की थीं, ट्राई व दूरसंचार विभाग ने मतभेद दूर कराए। 5जी में भी आपत्ति आती हैं तो समाधान निकाले जाएंगे।

दूरसंचार नियामक ने कहा, भारत में 5जी सेवा शुरू होने से विमानों के संचालन पर असर नहीं होगा।
5जी के लिए 3.3 से 3.6 गीगाहर्ट्ज के बैंड निर्धारित किए गए हैं। दोनों ही बैंड एयरलाइंस अल्टीमीटर्स की ओर से इस्तेमाल किए जा रहे 4.2 गीगाहर्ट्ज से काफी नीचे है। दोनों बैंड में पर्याप्त दूरी की वजह से उड़ानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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