ट्रेड यूनियनों और बैंकों की हड़ताल

नई दिल्ली।केंद्रीय और क्षेत्रीय ट्रेड यूनियनों से जुड़े कर्मचारी बुधवार को देशभर में हड़ताल करेंगे। इससे बैंकिंग, डाक और अन्य सेवाएं बाधित हो सकती हैं। वे नए श्रम संहिता और निजीकरण के विरोध और न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये और पुरानी पेंशन योजना जैसी मांगों को लेकर हड़ताल पर जा रहे हैं।

एक ट्रेड यूनियन पदाधिकारी ने बताया कि हड़ताल से बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, राजमार्ग और निर्माण जैसे क्षेत्रों में सेवाएं बाधित होने की उम्मीद है। सीआईटीयू, इंटक और एटक जैसे केंद्रीय ट्रेड यूनियन चार श्रम संहिताओं को खत्म करने, ठेकाकरण और पीएसयू के निजीकरण, न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 26 हजार रुपये प्रति माह करने, स्वामीनाथन आयोग के सी2 प्लस 50 प्रतिशत के फॉर्मूले के आधार पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और ऋण माफी की किसान संगठनों की मांगों पर जोर दे रहे हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और नरेगा संघर्ष मोर्चा जैसे क्षेत्रीय संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल को अपना समर्थन दिया है। हालांकि, आरएसएस से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) हड़ताल में भाग नहीं लेगा। BMS इसे राजनीति से प्रेरित विरोध बता रहा है।

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीआईटीयू) की राष्ट्रीय सचिव एआर सिंधु ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में विरोध-प्रदर्शन किए जाएंगे। सभी असंगठित क्षेत्र के श्रमिक विरोध में शामिल नहीं हो पाएंगे, लेकिन उन्हें भी संगठित किया जाएगा और सड़कें जाम की जाएंगी। ट्रेनें भी रोकी जाएंगी।

झारखंड की राजधानी रांची में ट्रेड यूनियनों और वामपंथी दलों के एक संयुक्त मंच ने बुधवार को चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने की मांग को लेकर होने वाले राष्ट्रव्यापी आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए मशाल जुलूस निकाला। मंगलवार शाम को आयोजित जुलूस सैनिक मार्केट से शुरू हुआ और अल्बर्ट एक्का चौक पर समाप्त हो गया।

यहां प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए और उस पर मजदूर विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया। अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) के अशोक यादव ने कहा, हमने 17 सूत्री मांगों के समर्थन में मशाल जुलूस का आयोजन किया। सीपीआई के राज्य सचिव महेंद्र पाठक ने बताया कि दो घंटे का चक्का जाम किया जाएगा।

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