बिहार :बिहार में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) किया जा रहा. बूथ लेवल ऑफिसर घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं. दस्तावेज मांग रहे हैं. और एक अहम सवाल पूछ रहे हैं. यही एक सवाल है, जिससे कई लोग पकड़े जा रहे हैं और विदेशी साबित हो रहे हैं. इसी सर्वे में बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिल रहे जो नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के रहने वाले हैं.
इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो पूरा डेटा सामने आने के बाद ही पता चलेगा. लेकिन आप भी जानना चाहते होंगे कि कैसे इन लोगों की पहचान हो रही है. चुनाव आयोग ने ऐसा क्या पूछा है, जिसे ये बता नहीं पा रहे हैं और पकड़े जा रहे हैं.स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के तहत बीएलओ हर घर में जाकर यह चेक करता है कि वोटर लिस्ट में दर्ज व्यक्ति वहीं रहता है या नहीं. इसके लिए वो नाम, उम्र, जन्मस्थान, पते और नागरिकता से जुड़े कुछ सवाल पूछते हैं.
यही वो सवाल हैं, जिनके जवाब में कई लोग फंस रहे हैं. जो व्यक्ति भारतीय नहीं है, वह इनमें से किसी एक या एक से ज्यादा सवाल का ठोस जवाब नहीं दे पा रहा. किसी न किसी जवाब में वह फंस जाता है. या दस्तावेज नहीं दे पाता है. अफसरों का दावा है कि ये लोग किसी भी तरह वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने की कोशिश कर रहे थे. इनकी जांच की जा रही है. 1 अगस्त 2025 के बाद जो नाम सत्यापित नहीं होंगे, उन्हें 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम वोटर लिस्ट में शामिल नहीं किया जाएगा.
जब कोई शख्स जन्मस्थान के रूप में नेपाल या बांग्लादेश बताता है. भारतीय स्कूल/कॉलेज का कोई प्रमाण नहीं दे पाता है. माता-पिता की नागरिकता साबित नहीं कर पाता है. या फिर लंबे समय से भारत में रहने की वैधता नहीं दिखा पाता है, तो BLO उसका नाम संदिग्ध कैटेगरी में डाल देता है. यह रिपोर्ट जिला निर्वाचन अधिकारी को भेज दी जाती है.
उसका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा. स्थानीय पुलिस या प्रशासन को सूचना दी जाएगी. फॉरेनर्स एक्ट के तहत कार्रवाई संभव है. यदि वह अवैध रूप से रह रहा है, तो डिटेंशन की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है.फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगी. लेकिन यह पहली बार है जब चुनाव आयोग की इस तरह की प्रक्रिया से ऐसे लोग सामने आ रहे हैं जो भारतीय न होते हुए वोटर लिस्ट में शामिल होने की कोशिश कर रहा है. SIR के पूरे आंकड़े आने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि इस घुसपैठ का पैमाना कितना बड़ा है.