नई दिल्ली। रूस से पेट्रोलियम पदार्थ और हथियार खरीदने के कारण 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के अमेरिकी फैसले के बाद विदेश मंत्रालय शुक्रवार को रूस के साथ भारत के दीर्घकालिक संबंधों का बचाव किया। मंत्रालय ने इन्हें स्थिर और समय की कसौटी पर खरा बताया। साथ ही कहा कि इन्हें किसी तीसरे देश के चश्मे से न देखा जाए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में इस बात पर जोर दिया कि किसी भी देश के साथ भारत के संबंध उसके अपने गुणदोष पर आधारित होते हैं और इन्हें किसी तीसरे देश के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। जहां तक भारत-रूस संबंधों का सवाल है, हमारी साझेदारी स्थिर और समय की कसौटी पर खरी है।
जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत की ऊर्जा खरीद बाजार के रुख और राष्ट्रीय हितों के आधार पर होती है। साथ ही कहा कि सरकार को भारतीय तेल कंपनियों की ओर से रूसी आयात रोकने के संबंध में किसी विशेष घटनाक्रम की जानकारी नहीं है।
उन्होंने कहा, आप ऊर्जा स्त्रोत की आवश्यकताओं के प्रति हमारे व्यापक दृष्टिकोण से अवगत हैं। हम बाजार में उपलब्ध संसाधनों और मौजूदा वैश्विक स्थिति पर ध्यान देते हैं। हमें किसी विशेष स्थिति की जानकारी नहीं है।
ईरान के साथ पेट्रोलियम खरीदने वाली छह भारतीय कंपनियों पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बारे में जायसवाल ने कहा कि भारत ने इस पर ध्यान दिया है और स्थिति की समीक्षा कर रहा है।