भोजन की आस में 1,400 फ़लस्तीनियों की मौत !

फ़लस्तीन में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय – OHCHR ने कहा है कि इसराइल ने, ग़ाज़ा के पश्चिमी हिस्से में “मानवीय सहायता आपूर्ति को सम्भव बनाने के लिए”, अपने सैन्य हमलों में हर दिन ठहराव करने की, 27 जुलाई को जो घोषणा की थी उसके बावजूद, इसराइली सेना ने खाद्य क़ाफ़िलों के मार्गों और ग़ाज़ा मानवीय संस्थान GHF) के सहायता स्थलों के पास हमले जारी रखे हैं. इन हमलों में लगभग 1,400 लोग मारे गए हैं और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने शुक्रवार को एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा कि केवल 30 और 31 जुलाई के बीच की अवधि में ही, ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े ज़िकिम, दक्षिणी इलाक़े ख़ान यूनिस और ग़ाज़ा के मध्य इलाक़े व रफ़ाह में GHF के स्थलों के आसपास के क्षेत्रों में, खाद्य क़ाफ़िलों के मार्गों पर, 105 फ़लस्तीनी मारे गए और कम से कम 680 अन्य लोग घायल हुए हैं.कुल मिलाकर, 27 मई से, भोजन की तलाश में कम से कम 1 हज़ार 373 फ़लस्तीनी मारे गए हैं. इनमें से GHF स्थलों के आसपास 8 सौ उनसठ लोगों की मौत हुई है और खाद्य क़ाफ़िलों के मार्गों पर 514 लोग मारे गए हैं.

मानवाधिकार कार्यालय ने ध्यान दिलाया है कि इनमें से अधिकतर हत्याएँ इसराइली सेना के हाथों हुई हैं. वैसे तो मानवाधिकार कार्यालय को उन्हीं इलाकों में अन्य सशस्त्र तत्व की मौजूदगी की भी जानकारी है, मगर उसे ऐसी कोई जानकारी नहीं है, जिससे इन सैकड़ों लोगों की हत्याओं में उन सशस्त्र तत्वों की संलिप्तता का संकेत दे.

OHCHR ने कहा है, “[कार्यालय] को इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि ये फ़लस्तीनी लोग, सीधे तौर पर युद्धक गतिविधियों में शामिल थे या इसराइली सुरक्षा बलों या अन्य व्यक्तियों के लिए कोई ख़तरा उत्पन्न कर रहे थे. मारे गए या घायल हुए प्रत्येक व्यक्ति, न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवारों और आश्रितों के जीवित रहने के लिए हताश संघर्ष कर रहे थे.”

यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि युद्धक गतिविधियों में सीधे तौर पर शामिल नहीं होने वाले आम लोगों पर जानबूझकर हमले करना, उन्हें जीवन के लिए ज़रूरी वस्तुओं से वंचित करके, भुखमरी को युद्ध के एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करके, आम लोगों को इसका शिकार बनाना, युद्ध अपराध है.”अगर ये नागरिक आबादी पर एक व्यवस्थित या व्यापक हमले का हिस्सा हैं, तो ये मानवता के ख़िलाफ़ अपराध भी हो सकते हैं.”

मानवाधिकार कार्यालय ने, इनमें से प्रत्येक हत्या की तुरन्त और स्वतंत्र रूप से जाँच कराए जाने और ज़िम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराए जाने की मांग की है. साथ ही ऐसी घटनाओं को फिर से नहीं होने देने के लिए तत्काल उपाय किए जाने का भी आहवान किया है.इस बीच, फ़लस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA) ने ग़ाज़ा पट्टी में बड़े पैमाने पर सहायता पहुँचाने के लिए सड़क मार्ग खोलने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.

यूएन एजेंसी के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने सोशल मीडिया पर कहा, “हवाई मार्ग से सहायता पहुँचाना, ट्रकों के मुक़ाबले कम से कम 100 गुना ज़्यादा महँगा पड़ता है. ट्रक, विमानों की तुलना में दोगुनी सहायता सामग्री ले जा सकते हैं.”उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “अगर हवाई मार्ग से सहायता पहुँचाने की अनुमति देने की राजनैतिक इच्छाशक्ति है – जो बेहद महँगी, अपर्याप्त और अक्षम है, तो सड़क मार्ग खोलने के लिए भी वैसी ही राजनैतिक इच्छाशक्ति नज़र आनी चाहिए.”

फ़िलिपे लज़ारिनी ने बताया कि सहायता सामग्री से भरे हुए, UNRWA के, 6,000 ट्रक, ग़ाज़ा के बाहर फँसे हुए हैं और इसराइल से प्रवेश की अनुमति का इन्तज़ार कर रहे हैं.UNRWA और अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, इस साल की शुरुआत में हुए युद्धविराम के दौरान, प्रतिदिन 500 से 600 ट्रक सहायता सामग्री ग़ाज़ा के भीतर पहुँचा पा रहे थे.

UNRWA के प्रमुख ने उन सहायता मिशनों में मिली सफलता के बारे में कहा कहा, “सहायता सामग्री ग़ाज़ा की पूरी आबादी तक सुरक्षा और सम्मान के साथ पहुँची. इससे, सहायता सामग्री के किसी तरह के भटकाव के बिना ही, गहराती भुखमरी स्थिति को टालने में सफलता मिली.”

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