आपदा के जख्म

देहरादून: उत्तराखंड का आपदा से चोली दामन का साथ रहा है. हर साल आपदा कहर बनकर टूटता है, जिसमें जान माल की हानि होती है. आपदा की बात करें तो भूस्खलन, दावानल, बादल फटना और अचानक बाढ़ आने की घटनाएं होती हैं. पहाड़ों में बादल फटना और भूस्खलन सबसे विनाशकारी व जानलेवा साबित होते हैं, क्योंकि, ये घटनाएं अप्रत्याशित होती हैं.

हाल के सालों में उत्तराखंड ने भूस्खलन और बादल फटने की कई घटनाओं को झेला है. अतीत पर नजर दौड़ाएं तो कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जो खौफनाक थीं. इनमें मालपा (1998), ऊखीमठ (1998), फाटा (2001), गोना (2001), खेत गांव (2002), बूढ़ाकेदार (2002), भटवाड़ी (2002), उत्तरकाशी (2003), आम पड़ाव (2004), लामबगड़ (2004), गोविंदघाट (2005), अगस्त्यमुनि (2005), रमोलसारी (2005), अस्सी गंगा (2012), केदारनाथ (2013) कुछ बड़ी घटनाएं शामिल हैं.

अगस्त महीना आपदा के लिहाज से संवेदनशील: उत्तराखंड में भारी बारिश या बादल फटने जैसी घटनाओं के 1970 से 2022 तक के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि ऐसी ज्यादातर घटनाएं (31%) अगस्त महीने में हुई है. जबकि, 28% जुलाई महीने और 11% सितंबर महीने में दर्ज की गई. इसके बाद 7%, 9% और 14% घटनाएं मई, जून और अक्टूबर महीनों में हुई है.

28 सितंबर 1908- तेलंगाना में बादल फटने से मूसी नदी में बाढ़ आई थी. जिससे मूसी नदी का जलस्तर 38-45 मीटर तक बढ़ गया था. इस नदी के किनारे करीब 15,000 लोग मारे गए और करीब 80,000 घर नष्ट हो गए.

जुलाई 1970- उत्तराखंड में बादल फटने से अलकनंदा नदी का जलस्तर 15 मीटर बढ़ गया था. जिससे बदरीनाथ के पास हनुमान चट्टी से लेकर हरिद्वार तक पूरा नदी बेसिन प्रभावित हुआ. जिसमें एक पूरा गांव बह गया था.

15 अगस्त 1997- हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के चिरगांव में बादल फटने से 115 लोग मारे गए.

17 अगस्त 1998- उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की काली घाटी में मालपा गांव में भारी बारिश और बादल फटने के बाद भूस्खलन हुआ था. जिसमें 60 कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रियों समेत 250 लोग मारे गए. मृतकों में ओडिशा की नृत्यांगना प्रोतिमा बेदी भी शामिल थीं.

16 जुलाई 2003- हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के गुरसा क्षेत्र के शिलागढ़ में बादल फटने से आई अचानक बाढ़ में करीब 40 लोग मारे गए.

6 जुलाई 2004- उत्तराखंड के चमोली जिले में बदरीनाथ मंदिर क्षेत्र के पास बादल फटने से हुए भूस्खलन की चपेट में आने से 3 वाहन अलकनंदा नदी में बह गए. जिससे करीब 5,000 तीर्थयात्री फंस गए. जिसमें कम से कम 17 लोग मारे गए और 28 घायल हो गए.

16 अगस्त 2007- हिमाचल प्रदेश के घनवी के भावी गांव में भीषण बादल फटने से 52 लोगों की मौत हुई थी.

7 अगस्त 2009- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मुनस्यारी के पास नाचनी इलाके में बादल फटने से हुए भूस्खलन में 38 लोग मारे गए.

6 अगस्त 2010- जम्मू और कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र के लेह में बादल फटने की घटना में 179 लोग मारे गए और 400 से ज्यादा घायल हुए.

9 जून 2011- जम्मू से 135 किलोमीटर दूर डोडा-बटोटे राजमार्ग पर बादल फटने से 4 लोगों की मौत हो गई थी. कई लोग घायल हो गए. जबकि, दो रेस्टोरेंट और कई दुकानें बह गई थी.

3 अगस्त 2012- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भागीरथी नदी की सहायक नदी अस्सी गंगा में बादल फटने से आई अचानक बाढ़ में 35 लोगों की मौत हो गई थी.

16 जून 2013- उत्तराखंड में केदारनाथ में चौराबाड़ी झील फटने से अचानक बाढ़ आ गई थी. भारी मात्रा में गाद और चट्टानें अपने साथ लेकर आई बाढ़ ने कई जिंदगियों, घरों और रास्ते में आने वाली हर चीज को तबाह कर दिया था. उत्तराखंड सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार 5,700 से ज्यादा लोगों की ‘मौत की आशंका’ जताई गई थी. इनमें 934 स्थानीय निवासी शामिल थे. बाद में मृतकों की संख्या 6,054 बताई गई. मृतकों में ज्यादातर तीर्थयात्री थे.

13 सितंबर 2012- उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ कस्बे में बादल फटने से मलबा आ गया. जिसमें 69 लोगों की मौत हो गई थी.

जुलाई 2015- कश्मीर घाटी में तीन हफ्तों में 8 बादल फटने की घटनाएं हुई. जिसमें कश्मीर घाटी में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई. ये घटनाएं बडगाम, कुपवाड़ा और गंदेरबल में दर्ज की गई.

अगस्त 2015- हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के धरमपुर क्षेत्र में बादल फटने से आई भारी बाढ़ में एक ही परिवार के 3 सदस्यों समेत चार लोगों के मारे जाने की आशंका है.
1 जुलाई 2016- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट तहसील के बस्तरी और नौलरा में बादल फटने से मलबा आ गया. जिसकी चपेट में आने से 22 लोगों की मौत हुई थी.
14 अगस्त 2017- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील के मांगती और मालपा में काली नदी के तटीय इलाके खासकर सिमखोला गाड़ व मालपा गाड़ में अचानक बाढ़ आ गई थी. जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई थी.
12 अगस्त 2019- उत्तराखंड के चमोली के घाट क्षेत्र में बादल फटने से कम से कम 6 लोगों की मौत हुई थी.
18 अगस्त 2019- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की मोरी तहसील के आराकोट क्षेत्र में पब्बर नदी की सहायक नदी खनेड़ा गाड़ में बादल फटने से बाढ़ आई. जिसमें करीब 21 लोगों की मौत हो गई थी.
19 जुलाई 2020- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के मदकोट और टांगा में बादल फटने से 3 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि, 6 घायल हो गए थे.
20 जुलाई 2020- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में बादल फटने से मलबा आने से टांगा गांव में 11 लोगों की मौत हुई थी.
18 अगस्त 2020- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के मोरी गांव में 12 लोगों की मौत हुई थी.

7 फरवरी 2021- उत्तराखंड के चमोली जिले की ऋषि गंगा नदी घाटी में भीषण बाढ़ आई. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 204 मृतकों में से केवल 80 शव ही बरामद किए जा सके और 124 लोगों के शव अभी भी लापता हैं, जिन्हें बाद में लंबे खोज अभियान के बाद मृत घोषित कर दिया गया. इस बाढ़ में ऋषि गंगा जलविद्युत परियोजना और निर्माणाधीन तपोवन विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना भी प्रभावित हुई थी.

3 मई 2021- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के कुमराड़ा, बल्डोगी और कमद में 3 लोगों की मौत हुई थी.
20 मई 2021- उत्तराखंड के देहरादून जिले के चकराता के बिजनाड़ में 3 लोगों और 24 जानवरों की मौत हुई थी.
18 जुलाई 2021- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भागीरथी नदी की सहायक नदी मांडो गदेरा उफान पर आ गया था. जिसमें मांडो गांव में 4 लोगों की मौत हो गई थी.
28 जुलाई 2021- जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के दच्छन क्षेत्र में हुंजार बस्ती में बादल फटने से 26 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि, 17 घायल हो गए.
30 अगस्त 2021- उत्तराखंड के धारचूला के जुम्मा गांव में 7 लोगों की मौत हुई थी.
20 जुलाई 2022- उत्तराखंड के चमोली जिले के ज्योतिर्मठ स्थित फूलों की घाटी में अचानक आई बाढ़ में एक अस्थायी पुल बह गया और 163 पर्यटक फंस गए. बाद में पुलिस और वन विभाग की टीम ने सभी पर्यटकों को बचा लिया.
4 अक्टूबर 2023- सिक्किम में बादल फटने के कारण लाचेन घाटी में तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई. इस छोटे से पहाड़ी राज्य में करीब 14 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और 102 लोग लापता हो गए.

14 जून 2024- सिक्किम सरकार ने कहा कि सिक्किम के मंगन जिले में 220.1 मिमी से ज्यादा की तीव्रता वाले बादल फटने के कारण तबाही मची. जहां लगातार बारिश की वजह से रात में 6 लोगों की मौत हुई.

3 अगस्त 2024- हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड दोनों हिमालयी राज्यों में बादल फटने की घटनाओं में कम से कम 23 लोगों की मौत हो गई है. जिसमें 15 मौतें उत्तराखंड और 8 पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में हुई.

29 जून 2025- उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलाई बैंड के पास हुए भूस्खलन में 2 मजदूरों के शव मिले. जबकि, 7 लापता हैं.

2 जुलाई 2025- हिमाचल प्रदेश के कुल्लू घाटी में भारी बारिश से हुई तबाही कम से कम 10 लोग मारे गए. जबकि, 34 लापता हैं.

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