नोबेल पुरस्कार के लिए बेताब ट्रंप

अमेरिका:अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार को लेकर कितने बेताब हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद ट्रंप, व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलीन लेविट और उनके कुछ अधिकारियों तक ने अलग-अलग मौकों पर इस पुरस्कार की मांग की है। हालांकि, अब खबर आई है कि अपने लिए नोबेल पुरस्कार मांगते-मांगते ट्रंप ने टैरिफ के बहाने इस मुद्दे को नॉर्वे के मंत्री के सामने तक छेड़ दिया। गौरतलब है कि नॉर्वे की नोबेल समिति ही शांति पुरस्कार के लिए नामों का चयन करते हैं।

अमेरिकी मैगजीन पॉलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने पिछले महीने अचानक से ही नॉर्वे के वित्त मंत्री और नाटो के पूर्व प्रमुख जेंस स्टोलटेनबर्ग को फोन कर दिया और उनसे कुछ देर तक टैरिफ पर चर्चा की। चौंकाने वाली बात यह रही कि इस बीच ही ट्रंप ने स्टोलटेनबर्ग से अचानक नोबेल शांति पुरस्कार जीतने पर चर्चा शुरू कर दी।

इस बातचीत का खुलासा सबसे पहले नॉर्वे के डागेंस नेरिंगस्लिव अखबार की तरफ से गुरुवार को किया गया था। इसके बाद पॉलिटिको ने ओस्लो में सरकार के अधिकारियों से इस खबर की पुष्टि की। एक खुलासा यह भी हुआ है कि ट्रंप ने स्टोलटेनबर्ग से नोबेल शांति पुरस्कार को लेकर पहले भी बात की है।

जेंस स्टोलटेनबर्ग ने ट्रंप से इस बातचीत को लेकर बताया कि उन्हें इससे जुड़ा एक फोन आया था। उन्होंने कहा, “फोन कॉल में राष्ट्रपति के कुछ स्टाफ के सदस्यों भी बातचीत में जुड़े थे। इनमें वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और व्यापार प्रतिनिधि ग्रियर शामिल थे। हमने टैरिफ पर बात की। आर्थिक सहयोग पर बात की और नॉर्वे के पीएम स्टॉयर से बातचीत की भूमिका तैयार की।” स्टोलटेनबर्ग ने इससे आगे बातचीत पर खुलासा करने से इनकार कर दिया।

कुछ दिनों पहले ही ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा था- मुझे नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा। मुझे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा, मुझे सर्बिया और कोसोवो के बीच युद्ध रुकवाने के लिए पुरस्कार नहीं मिलेगा। मुझे मिस्र और इथियोपिया के बीच शांति बनाए रखने के लिए पुरस्कार नहीं मिलेगा। मुझे पश्चिम एशिया में अब्राहम समझौते के लिए नोबल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा।

उन्होंने कहा कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो बहुत देशों के हस्ताक्षर इस समझौते पर होंगे और युगों में पहली बार पश्चिम एशिया को एकीकृत करेगा। उन्होंने कहा कि मुझे अब तक नोबल शांति पुरस्कार 4-5 बार मिल जाना चाहिए था लेकिन वे मुझे यह पुरस्कार नहीं देंगे क्योंकि वे इसे केवल लिबरल को देते हैं। उन्होंने कहा कि मैं चाहे कुछ भी कर लूं, चाहे रूस-यूक्रेन और इस्राइल-ईरान हो, परिणाम जो भी हों मुझे नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए अब तक इस्राइल, पाकिस्तान, कंबोडिया की सरकारें नोबेल शांति पुरस्कार की मांग कर चुकी हैं। इसके अलावा हाल ही में अजरबैजान और अर्मेनिया ने भी मध्यस्थता के लिए ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की थी। ट्रंप खुद भारत के दावों के विपरीत भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का दावा करते हैं।

बता दें कि नॉर्वे की नोबेल समिति हर साल ऐसे लोगों को नामित करती है, जिन्होंने विश्व शांति में अहम योगदान दिया है। इसकी पांच सदस्यीय समिति को नॉर्वे की संसद नोबेल पुरस्कारों की नींव रखने वाले उद्योगपति आल्फ्रेड नोबेल के दिशा-निर्देशों के आधार पर चुनती है। हर साल अक्तूबर में नोबेल शांति पुरस्कारों का एलान होता है।

नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कोई भी व्यक्ति किसी को नामित नहीं कर सकता है। किसी देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सांसद, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश, नोबेल शांति पुरस्कार के पूर्व विजेता, यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, नोबेल समिति के मौजूदा व पूर्व सदस्य, कुछ विशेष संगठनों-संस्थाओं के प्रमुख किसी व्यक्ति या संगठन-संस्था को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित कर सकते हैं। इस पुरस्कार के लिए पंजीकरण सितंबर में शुरू होगा। इसकी आखिरी तारीख का अभी एलान नहीं किया गया है।

अगर ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित होते हैं तो वे पांचवें अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे, जिन्हें यह पुरस्कार मिलेगा। इससे पहले थियोडोर रूजवेल्ट, वुडरो विल्सन, जिमी कार्टर और ट्रंप के प्रतिद्वंद्वी रहे बराक ओबामा नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं।

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