ट्रंप के लिए उल्टा पड़ गया अलास्का का दांव

वॉशिंगटन: अमेरिका के अलास्का में अमेरिका और रूस के राष्ट्रपतियों का शिखर सम्मेलन ने यूक्रेन युद्ध खत्म करने को लेकर बहुत सारी उम्मीदें जताई थीं, लेकिन इसके बजाय ये सवाल ज्यादा छोड़ गया है। इस मुलाकात के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक दशक बाद अमेरिकी धरती पर कदम रखा था।

पर्यवेक्षकों ने इस वार्ता को मॉस्को के लिए एक प्रतीकात्मक जीत बताया है। लगभग तीन घंटे तक चली इस बातचीत को पुतिन और ट्रंप दोनों ने उत्पादक बताया। हालांकि, यह शिखर वार्ता बिना किसी समझौते के समाप्त हो गई लेकिन इसने अमेरिका-रूस के तनावपूर्ण संबंधों में सुधार का संकेत दिया।

खास बात ये रही कि वार्ता में यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगियों को शामिल नहीं किया गया था। शिखर सम्मेलन के बाद ट्रंप ने क्षेत्रों की अदला-बदली और अमेरिकी सुरक्षा गारंटी के बारे में टिप्पणियां कीं जिसने इस बात को लेकर भ्रम पैदा कर दिया कि क्या उन्होंने रूस को युद्ध के दौरान कब्जा किए गए यूक्रेनी क्षेत्रों को अपने पास रखने की मौन स्वीकृति दे दी है।

बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस से भी कोई स्थिति साफ नहीं हुई। न तो ट्रंप और न ही पुतिन ने किसी ठोस नतीजे या सहमति के बारे में कोई जानकारी दी। पत्रकारों के सवालों के जवाब भी नहीं दिए गए। पुतिन ने पहले बात की और अमेरिका और रूस को करीबी पड़ोसी बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ‘हम जिस समझौते पर पहुंचे हैं’, उसे कीव और यूरोपीय देश रचनात्मक रूप से देखेंगे’ और ‘वे इस काम में कोई बाधा नहीं डालेंगे।’

ट्रंप ने कहा कि बेहद उत्पादक बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने कई बिंदुओं पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि कुछ ही बिंदु ऐसे थे, जिनका समाधान नहीं हो पाया, लेकिन उन्होंने संभावित अड़चनों के बारे में नहीं बताया। शिखर सम्मेलन के तुरंत बाद फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने एक बार फिर विस्तार से बताने से इनकार कर दिया।

यह पूछे जाने पर कि बैठक से बाहर रखे गए यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के लिए उनकी क्या सलाह है, ट्रंप ने कहा- ‘समझौता करना होगा।’ वॉशिंगटन स्थिति स्टिमसन सेंटर में चीन कार्यक्रम की निदेशक और पूर्वी एशिया कार्यक्रम की सह-निदेशक यून सुन ने कहा कि ट्रंप-पुतिन की मुलाकात ने अमेरिका-रूस के बीच तनावपूर्ण संबंधों में नेतृत्व स्तरीय तालमेल का संकेत दिया।

यून सुन ने कहा कि ट्रंप यह समझते हैं कि अमेरिका यूक्रेन के मामले में नेतृत्व नहीं कर सकता। वह सहायता तो कर सकता है, लेकिन हुक्म नहीं चला सकता। इसलिए उन्होंने (बाद के इंटरव्यू में) इस बात पर जोर दिया कि रूस-यूक्रेन वार्ता का अगला दौर दोनों पक्षों के बीच उनकी उपस्थिति में होना चाहिए। विश्लेषकों ने इस बात पर सहमति जताई है कि शिखर सम्मेलन पुतिन के लिए एक स्पष्ट जीत है।

शंघाई स्थित अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर शेन डिंगली ने भी इस बैठक को पुतिन की जीत बताया। शेन ने कहा, “पश्चिम द्वारा आगे चलकर इस आम सहमति से समझौता करने की संभावना नहीं है। इसलिए, भविष्य में होने वाली किसी भी अमेरिका-रूस वार्ता के सार्थक परिणाम मिलने की संभावना नहीं है।”

शेन ने फॉक्स को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप की जमीन अदला-बदली की टिप्पणी पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसा है तो ट्रंप पहले ही आम सहमति का उल्लंघन कर चुके हैं। यूरोपीय संघ सहमत नहीं होगा। यूक्रेन सहमत नहीं होगा। वहीं, चीन कुछ लोग चुपचाप खुश होंगे। ट्रंप की छवि को काफी नुकसान होगा। आगे बहुत कुछ होने वाला है।’

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