देहरादून :उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और आस्था के लिए देश दुनिया में पहचान है। लेकिन राज्य को हर साल प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाओं ने राज्य के विकास और जनजीवन को गहरे जख्म दिए हैं। लेकिन इन चुनौतियों के बीच भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह मजबूत केमिस्ट्री से आपदा प्रबंधन में नई उम्मीद जगी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से गहरा भावनात्मक रिश्ता है। कई बार सार्वजनिक मंचों से देवभूमि के प्रति अपने विशेष लगाव को जता चुके हैं। केदारनाथ पुनर्निर्माण से आपदा हर संकट में उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर राहत एवं बचाव कार्यों की निगरानी की और लगातार मुख्यमंत्री धामी से संवाद बनाए रखा। राज्य सरकार को हर संभव मदद देने की उनकी प्रतिबद्धता ने उत्तराखंड को मजबूत सहारा दिया है।
बृहस्पतिवार को देहरादून एयरपोर्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा से मकान, जमीन सब कुछ गंवा चुके प्रभावित परिवारों की पीड़ा सुनीं और उन्हें केंद्र व राज्य सरकार हर संभव सहायता देने का भरोसा दिया। धराली में अपना सबकुछ गंवाने वालों के पुनर्वास में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी, जरूरत पड़ने पर नियमों में भी संशोधन किया जाएगा।
पिछले चार वर्षों में मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कई सुधार हुए हैं। क्विक रिस्पांस के समय ने आपदा प्रबंधन को एक नया आयाम दिया है। सभी जिलों में प्रभावित परिवारों के लिए त्वरित सहायता, भोजन, आवास तथा जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित की गई।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जब मजबूत नेतृत्व व दूरदर्शी सोच साथ हो तो बड़ी चुनौतियां भी छोटी लगने लगती है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में काम कर प्रभावितों को तत्काल राहत पहुंचाई है। आज उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन मॉडल की सराहना हो रही है।