नई दिल्ली: पड़ोसी देश नेपाल में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया है। पिछले कुछ दिनों से वहां उपद्रव की स्थिति थी। भारत सरकार वहां की स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है। भारत का नेपाल के साथ रोटी-बेटी का संबंध रहा है। नेपाल में पेट्रोल और डीजल की पूरी सप्लाई भारत से होती है।
दोनों देशों के बीच खुली सीमा है और लोग बेरोकटोक एक दूसरे के इलाके में जा सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक 35 लाख नेपाली भारत में काम करते हैं या रहते हैं। नेपाल के 32,000 मशहूर गोरखा सैनिक दशकों पुराने एक स्पेशल एग्रीमेंट के तहत भारतीय सेना में हैं। साथ ही नेपाल भारत और चीन के बीच बफर स्टेट का भी काम करता है। इससे आप भारत के लिए नेपाल की अहमियत का अंदाजा लगा सकते हैं।
नेपाल एक हिंदू-बहुसंख्यक देश है और बॉर्डर के दोनों तरफ के समुदायों के बीच गहरे पारिवारिक संबंध हैं। लोग बिना वीजा या पासपोर्ट के दोनों देशों के बीच यात्रा करते हैं। 1950 की संधि के तहत नेपाली बिना किसी रोक-टोक के भारत में काम भी कर सकते हैं। बॉर्डर खुला होने की वजह से दोनों देशों के लोगों का आपस में जुड़ाव है। दोनों तरफ के परिवार रोजाना एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं। नेपाल में कई महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल भी हैं। हर साल भारत से हजारों हिंदू तीर्थयात्री नेपाल आते हैं।
जानकारों का कहना है कि नेपाल में लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता रहने से सप्लाई चेन बाधित हो सकती है और एक्सपोर्ट पर इसका असर पड़ सकता है। भारत, नेपाल का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। पिछले फाइनेंशियल ईयर में भारत ने नेपाल को 7.32 बिलियन डॉलर का सामान एक्सपोर्ट किया जबकि भारत में हिमालय की गोद में बसे इस देश से 1.2 बिलियन डॉलर का इम्पोर्ट किया। इस तरह भारत ट्रेड सरप्लस की स्थिति में है। वित्त वर्ष 2024 में भारत का एक्सपोर्ट 7 बिलियन डॉलर था जबकि इम्पोर्ट 0.831 बिलियन डॉलर था।
भारत ने नेपाल को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दे रखा है। दोनों देश एकदूसरे के अधिकांश सामान पर कोई टैरिफ नहीं लगाते हैं। भारत से नेपाल को होने वाले मुख्य एक्सपोर्ट में पेट्रोलियम उत्पाद, गाड़ियां, मशीनरी, बिजली के उपकरण और खाने-पीने की चीजें शामिल हैं। नेपाल का अधिकांश हिस्सा पहाड़ी होने की वजह से इसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खेती और पर्यटन पर निर्भर है। उसके कुल व्यापार में 60 फीसदी से ज्यादा भारत के साथ ही होता है। भारत से नेपाल को बिजली से लेकर तेल तक की सप्लाई की जाती है।
हमारी सरकारी कंपनी इंडियन आयल कारपोरेशन नेपाल को उसकी जरूरत के तेल की सप्लाई करती है। इतना ही नहीं वहां डिस्ट्रीब्यूशन का काम भी इसी कंपनी के हवाले है। भारत के मुकाबले नेपाल में तेल की कीमत काफी कम है। इसकी वजह यह है कि वहां टैक्स कम है। साथ ही भारत से नेपाल को सस्ती दरों पर बिजली की भी आपूर्ति की जाती है। भारत के बजट में नेपाल के लिए भी प्रावधान किया जाता है। नेपाल के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार रक्सौल से हल्दिया के बीच एक एक्सप्रेसवे भी बना रही है।
भारत भी नेपाल से कुछ चीजें खरीदता है। इनमें उसमें जूट प्रोडक्ट, इस्पात फाइबर, लकड़ी के सामान, कॉफी, चाय और मसाले शामिल हैं। पिछले साल भारत ने नेपाल से सबसे ज्यादा वनस्पति तेल और फैट का आयात किया था। इसके अलावा स्टील, कॉफी-चाय, मसालों, लकड़ी और लकड़ी से बने सामान, टेक्सटाइल, फाइबर, नमक और स्टोन जैसी चीजें भी नेपाल से आयात की गईं। भारत की कई दिग्गज कंपनियों के प्रोजेक्ट नेपाल में चल रहे हैं। इनके जरिए वहां के हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है। नेपाली कंपनियों के प्रोडक्ट के लिए भी भारत सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है।
साथ ही भारत की एफएमसीजी कंपनियों की नेपाल में बड़ी मौजूदगी है। मसलन सूर्या नेपाल पर आईटीसी का कंट्रोल है। इसी तरह डाबर, यूनिलीवर, वरुण बेवरेजेज, ब्रिटानिया और देवयानी इंटरनेशनल ने नेपाल में अपनी यूनिट स्थापित की है। हर साल करीब 5 लाख लोग भारत और नेपाल के बीच यात्रा करते हैं।
2024 में 202,501 नेपाली भारत आए जबकि 309,207 भारतीयों ने नेपाल का यात्रा की। अभी रोजाना 10 फ्लाइट्स भारत से नेपाल के लिए उड़ान भरती हैं। एयर इंडिया की पांच और इंडिगो की तीन फ्लाइट दिल्ली से काठमांडू के बीच चलती हैं। इसी तरह इंडिगो हैदराबाद और मुंबई से भी नेपाल के लिए फ्लाइट ऑपरेट करती है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि अभी नेपाल के साथ व्यापार को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है। भारत सरकार स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही हैं और एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल्स के साथ लगातार संपर्क में हैं ताकि किसी भी संभावित खतरे का आकलन किया जा सके।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सुचारू व्यापार प्रवाह सुनिश्चित करना जरूरी है। नेपाल के साथ दशकों पुरानी व्यापार साझेदारी को बनाए रखने के लिए लगातार बातचीत भी जरूरी है। बिना किसी रुकावट के सामान की आवाजाही बनाए रखना न केवल भारतीय एक्सपोर्टर्स के लिए जरूरी है, बल्कि नेपाली उपभोक्ताओं के लिए भी जरूरी है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के को-फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रांसपोर्ट रूट्स, कस्टम ऑपरेशंस या क्रॉस-बॉर्डर लॉजिस्टिक्स में किसी भी तरह की रुकावट से शिपमेंट में देरी हो सकती है। इससे भारतीय एक्सपोर्टर्स और नेपाली उपभोक्ताओं दोनों पर असर पड़ेगा जो इन सामानों पर निर्भर हैं। हाल में हुए विरोध प्रदर्शन ज्यादातर राजधानी काठमांडू तक ही सीमित रहे। लेकिन, अगर ये दूसरे शहरों में भी फैलते, तो इसे ट्रेड रूट्स बाधित हो सकते थे क्योंकि नेपाल जाने वाला ज्यादातर सामान सड़क के रास्ते ही जाता है।
नेपाल में राजनीतिक अशांति के कारण पहले भी रक्सौल-बीरगंज और सोनाली-भैरहवा जैसे बॉर्डर पॉइंट्स पर अस्थायी रुकावटें आई हैं। इससे जरूरी सामानों की डिलीवरी में देरी हुई है। भारतीय एक्सपोर्टर्स को खराब होने वाले सामान, दवाइयों और इंडस्ट्रियल इनपुट्स को लेकर खास चिंता है। भारत से नेपाल को सामान पूरी तरह से सड़क के रास्ते ही जाता है।
इसकी वजह यह है कि नेपाल एक लैंडलॉक देश है और उसके पास कोई सीपोर्ट नहीं है। सबसे व्यस्त ट्रेड रूट रक्सौल-बीरगंज क्रॉसिंग है। इसके साथ ही सोनाली-भैरहवा, जोगबनी-बिराटनगर और नेपालगंज-रूपईडीहा से भी ट्रेड होता है। लेकिन रोड ट्रांसपोर्ट पर ज्यादा निर्भरता की वजह से ट्रेड में रुकावट आने का खतरा रहता है।