नेपाल में एक और प्रदर्शन की आहट

नेपाल :नेपाल में सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बन चुकी हैं. शुक्रवार को सुशीला कार्की ने पीएम पद की शपथ ली. पद संभालते ही उनके सामने पहली मुसीबत आ गई है. जेन-जी क्रांति में मृतक प्रदर्शनकारियों के परिवार नया प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं. वे मांग रहे हैं कि मारे गए युवाओं को शहीद घोषित किया जाए.

नेपाल के सियासी उथल-पुथल पर विराम लग गया है. फौरी तौर पर नेपाल के सियासी संकट का हल मिल गया है. सुशील कार्की नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बन चुकी हैं. केपी शर्मा ओली को सत्ता से हटाने वाले Gen-Z का गुस्सा शांत हो चुका है. धीरे-धीरे नेपाल की गाड़ी पटरी पर लौटने लगी है. अब नेपाल में अंतरिम सरकार गठन की कवायद तेज है. नेपाल में संसद भंग हो चुका है.

अब अगले 6 महीने तक अंतरिम सरकार के पास ही नेपाल की कमान होगी. 6 महीने में नेपाल में संसदीय चुनाव होगा. सुशीला कार्की ने सबकी सहमति से शुक्रवार को अंतरिम पीएम पद की शपथ ली. मगर उनके सामने एक बड़ी मुसीबत आ गई है. नेपाल में एक और प्रदर्शन की आहट सुनाई देने लगी है. नेपाल सरकार के सामने नई डिमांड से हलचल मच गई है.

दरअसल, नेपाल में 4 सितंबर को Gen-Z ने भयंकर विरोध-प्रदर्शन किया. सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गया. इसमें अब तक 51 लोग मारे जा चुके हैं और हजार की संख्या में लोग घायल हुए हैं. अब इस प्रदर्शन में जो लोग मरे हैं, उनके परिजन सड़कों पर उतर आए हैं. वे नेपाल की सुशीला कार्की सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं. Gen-Z क्रांति के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मारे गए प्रदर्शनकारियों के परिजनों का कहना है कि उन्हें ‘शहीद’ घोषित किया जाए.

नेपाल के Gen-Z क्रांति में अपनों को खोने वाले लोग शुक्रवार को काठमांडू के रिपोर्टर्स क्लब में एकजुट हुए. यहां इकट्ठा होकर सभी ने क्रांति में खोए अपने प्रियजनों के लिए न्याय और स्मान की मांग की. परिजनों के चेहरे पर आंसू थे. उन्होंने अपनी छाती से उनकी फोटो लगा रखी थी, जिन्होंने नेपाल में तख्तापलट के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी. इन लोगों का कहना है कि उनके अपनों की मौत पुलिस की गोलीबारी से हुई है. इसलिए उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाए.

नेपाल में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन में 21 साल के कॉलेज स्टूडेंट उमेश महत की भी मौत हो गई. उनकी बहन ने कहा कि उनके भाई का नेपाल के लिए फुटबॉल स्टार बनने का सपना था. नेपाल में जेनजी क्रांति में वह भी शामिल थे. उनके माता-पिता को उनसे बहुत उम्मीदें थीं, मगर अब सब खत्म हो गया. उन्होंने कहा कि उनके भाई और अन्य लोगों ने नेपाल की बेहतरी के लिए अपनी जान गंवाई है. इसलिए वे शहीद हैं और सरकार को उन्हें शहीद का दर्जा देना चाहिए. बहन का कनहा है कि परिवार को भी सरकार आर्थिक सहयोग करे. मृतकों में 19 साल के रसिक भी शामिल थे. उनकी चाची ने भी इसी तरह की मांग की है.

इस तरह से अब नेपाल की नई-नई पीएम बनीं सुशीला कार्की के सामने पहली चुनौती है कि क्या उनकी अंतरिम सरकार उन लोगों को शहीद का दर्जा देंगी, जिन्होंने इस जेन-जी क्रांति में अपनी जान गंवाई. सूत्रों का कहना है कि मृतकों के परिजन इसे लेकर प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं. अगर सरकार उनकी बात नहीं मानती है तो वे प्रदर्शन करेंगे. बता दें कि नेपाल में सोशल मीडिया के खिलाफ बैन से यह प्रदर्शन शुरू हुआ था. इसमें नेपाल की युवा पीढ़ी ने जमकर भाग लिया. इस क्रांति की वजह से ओली की सरकार गिर गई और अब सुशीला कार्की के हाथ में नेपाल की कमान है.

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