ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित ऐस सिटी सोसाइटी के ई टावर की 13वीं मंजिल पर रहने वाले सीए दर्पण चावला दो दिन पहले ही बेटे दक्ष को पंजाब से दिखाकर लौटे थे। बेटे का मानसिक विकास नहीं होने के कारण वह उसे पंजाब दिखाने के लिए गए थे।
उनके ही टावर में रहने वाले निवासियों ने बताया कि बच्चा ऑटिज्म बीमारी से लंबे समय से ग्रसित था। उसका शारीरिक विकास तो तेजी से हो रहा था लेकिन मानसिक विकास नहीं होने के कारण परिजन परेशान रहते थे। मां साक्षी पहले आईटी कंपनी में नौकरी करती थी लेकिन बेटे के होने के बाद नौकरी छोड़ दी। वह बच्चे की देखभाल में लगी रहती थी।
निवासियों ने बताया कि सोसाइटी के हर आयोजन में परिजन बच्चे के साथ ही शामिल होते थे। एओए की ओर से होने वाली एक्टिविटी में मां बच्चे को लेकर आती थी, जिससे बच्चा अन्य बच्चों के साथ घुल मिल सके। इसके साथ ही पिता बच्चे को शाम को नीचे सोसाइटी में टहलाने के लिए भी लेकर आते थे।टावर में भी वह सभी लोगों से बातचीत करती थी। उनका कहना था कि डॉक्टर ने कहा है कि बच्चा जल्दी सही हो जाएगा। इसके साथ ही परिवार पूजा पाठ के हर आयोजन में भाग लेता था। सोसाइटी में 2017 से परिवार रह रहा है।
परिवार के करीबी लोगों का कहना है दक्ष मानसिक रूप से बीमार था। इस वजह से उसका इलाज लंबे समय से चल रहा था। परिजनों ने कई डॉक्टरों को दिखाया। यहां तक कि गुरुद्वारों में अरदास भी कराई, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ।
बच्चा स्कूल नहीं जाता था और अक्सर दवाइयों पर ही निर्भर रहता था। इसी कारण उसकी मां तनाव में थी। पड़ोसी बताते हैं कि वह कई बार कहती थी कि मेरी जिंदगी बहुत मुश्किल हो गई है।पड़ोसियों का कहना है कि दक्ष बचपन से मानसिक रूप से बीमार था। वह मां-पिता के बिना घर से निकलता भी नहीं था। साक्षी और उनका परिवार सोसाइटी में शांत स्वभाव के रूप में जाना जाता था। पति-पत्नी में किसी प्रकार का कोई मनमुटाव नहीं था।
पुलिस को जांच में फ्लैट में एक डायरी मिली। डायरी में साक्षी ने पति दर्पण चावला के नाम लिखा था कि ‘हम दुनिया छोड़ रहे हैं सॉरी’। हम तुम्हें अब और परेशान नहीं करना चाहते। हमारी वजह से तुम्हारी जिंदगी खराब न हो। हमारी मौत का जिम्मेदार कोई नहीं है। हमें माफ करना।
पुलिस का कहना है कि सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग और अन्य परिस्थितियों की गहराई से जांच की जा रही है। मृतका के परिजनों और सोसाइटी निवासियों से पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि मामले में अभी कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है।
सोसाइटी के निवासियों ने बताया कि मां और बेटे ने शाफ्ट की तरफ से छलांग लगाई। वह बालकनी से नहीं कूदी। दोनों 13वीं मंजिल से गिरे थे। गिरने के बाद काफी तेज से आवाज आई लगा कि सिलिंडर फट गया हो।जीबीयू के मनोवैज्ञानिक डॉ आनंद प्रताप सिंह ने बताया कि ऑटिज्म के शिकार बच्चों के माता-पिता पर बर्न आउट सिंड्रोम हावी हो जाता है। वह बच्चों की देखभाल करते करते थक जाते हैं। इसके कारण वह आर्थिक व सामाजिक अवसाद में जाने लगते हैं।
जीवन में कुछ कर नहीं पाने के कारण वह सांसों को खत्म करने की ठान लेते हैं। ऐसी स्थिति में माता पिता को सबसे पहले बच्चे की मनोवैज्ञानिक जांच करानी चाहिए जिससे उन्हें पता लगे कि बच्चे की बौद्धिक क्षमता कितनी है और कितना सुधार हो सकता है।यह भी पता चले कि जीवन में सकारात्मक रहने के लिए क्या क्या कदम उठाएं जा सकते हैं। उनके अनुसार, इससे जीवन जीने में आसानी मिल सकती है। यदि किसी भी अभिभावक के बच्चों के साथ ऐसा हो रहा हो तो सबसे पहले बच्चे को मनोचिकित्सक को जरूर दिखाना होगा।