शिमला। :हिमाचल प्रदेश में बारिश ने फिर कहर बरपाया है। बीती रात हुई भारी बारिश से राजधानी शिमला, मंडी व अन्य भागों में तबाही हुई है। शिमला में 141.0 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई जोकि बहुत ज्यादा है। जगह-जगह भूस्खलन से राज्य में सैकड़ों सड़कें, बिजली ट्रांसफार्मर बंद हैं। मंडी जिले में भूस्खलन से चार लोगों की माैत हो गई। दो लापता हैं।
मंगलवार सुबह 10:00 बजे तक राज्य में तीन नेशनल हाईवे सहित 653 सड़कें बंद रहीं। 1205 बिजली ट्रांसफार्मर व 160 जल आपूर्ति स्कीमें भी बाधित हैं। मंडी जिले में 313, कुल्लू 153, शिमला 58 व चंबा में 26 सड़कें बंद हैं। बीती रात नगरोटा सूरियां 135.2, भटियात 80.0, सुंदरनगर 60.5, सलापड़ 57.9, ब्राह्मणी 54.4, गुलेर 54.2, मंडी 52.6, कांगड़ा 50.5, मैहरे बड़सर 50.0, नयना देवी 46.8, मुरारी देवी 42.0, बरठीं 37.4 व करसोग में 34.2 मिलीमीटर बारिश हुई।
मंडी जिले के सुंदरनगर उपमंडल के तहत आने वाली निहरी तहसील के ब्रगटा गांव में बीती रात को भूस्खलन की चपेट में आने से तीन लोगों की मौत हो गई। जबकि दो लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। जानकारी के अनुसार यहां भूस्खलन होने से पूरा घर जमींदोज हो गया। हादसे के समय घर में पांच लोग मौजूद थे। मृतकों में दो महिलाएं और एक आठ महीने का बच्चा शामिल है। इसके अलावा दो लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है।
मृतकों की पहचान तांगू देवी(33) पत्नी जय सिंह, कमला देवी(33) पत्नी देव राज और भीष्म सिंह(8 महीने) पुत्र देव राज के रूप में हुई है। सुरक्षित बचाए गए लोगों में खूब राम(65) पुत्र धनी राम और दर्शन देवी(58) पत्नी खूब राम शामिल हैं। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर उन्हें पोस्टमाार्टम के लिए भेज दिया है। एसपी मंडी साक्षी वर्मा ने हादसे की पुष्टि की है।
बता दें, इससे पहले सुंदरनगर उपमंडल के जंगमबाग में भी इसी तरह का मामला सामने आया था, जिसमें सात लोगों की जान गई थी। अब इसी उपमंडल के निहरी इस दर्दनाक हादसे में तीन लोगों को काल का ग्रास बनना पड़ा है। सूचना मिलते ही एसडीएम सुंदरनगर अमर नेगी, डीएसपी सुंदरनगर भारत भूषण सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके के लिए रवाना हुए।
बताया जा रहा है कि क्षेत्र के अधिकतर मार्ग बंद पड़े हैं, जिस कारण घटनास्थल तक पहुंचने में दिक्कतें पेश आ रही हैं। स्थानीय लोगों ने अपने स्तर पर सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर लोगों को बाहर निकाला। क्षेत्र में अभी भी रुक-रुककर बारिश का दौर जारी है, जिस कारण बाकी राहत एवं बचाव कार्यों में दिक्कतें पेश आ रही हैं। पहाड़ी से लगातार मलबा गिरने का खतरा बना हुआ है।
मंडी जिले के धर्मपुर बाजार के पास से बहने वाली सोन खड्ड ने इतना विकराल रूप धारण किया कि तबाही मच गई। रात 1:00 बजे के करीब यहां बारिश इतनी तेज हुई कि लोग डर के मारे घरों से बाहर निकल आए। मंडी जिला के सरकाघाट और धर्मपुर उपमंडलों में भी बेहद ज्यादा बारिश हुई। इस बारिश के कारण सोन खड्ड ने देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर दिया। इस कारण धर्मपुर का बस स्टैंड पूरी तरह से जलमग्न हो गया।
बस स्टैंड में खड़ी एचआरटीसी की बसें पानी में डूब गईं और कुछ बसें तेज बहाव के साथ बह गईं। खड्ड के किनारे जिन लोगों के घर थे वो भी पानी में डूब गए और यहां खड़े कई निजी वाहन भी बह गए। घरों की निचली मंजिल में पानी घुसने के कारण लोग दूसरी मंजिल और छतों पर चढ़ गए। एक होस्टल भी में माैजूद 150 बच्चों ने दूसरी और तीसरी मंजिल पर जाकर अपनी जान बचाई। उधर, डीएसपी धर्मपुर संजीव सूद ने बताया कि रात को जब तेज बारिश हुई तो पुलिस और रेस्क्यू टीमें तुरंत ही मैदान में जुट गई थीं। लोगों को सुरक्षित निकालने का काम रात भी चला रहा।
अभी तक किसी प्रकार के जानी नुकसान की सूचना नहीं है। एक व्यक्ति के लापता होने की जानकारी मिली है। बहुत से वाहन बह गए हैं। घरों और दुकानों में मलबा घुस गया है। अभी सोन खड्ड का जलस्तर सामान्य हो रहा है। पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर स्थिति का जायजा ले रही हैं।प्रदेश की राजधानी शिमला में भी बारिश ने जमकर तबाही मचाई है। शहर में जगह-जगह भूस्खलन हुआ है। हिमलैंड में भारी भूस्खलन होने से मंगलवार सुबह वाहनों की आवाजाही ठप हो गई। यहां चार गाड़ियां मलबे में दब गईं। बीसीएस में भी सड़क पर भूस्खलन हुआ है और पेड़ भी गिर गया।
सुबह के समय शिमला शहर के सर्कुलर रोड पर बसों सहित अन्य वाहनों की आवाजाही ठप रही। लोग पैदल अपने गंतव्य तक पहुंचे। विद्यार्थी स्कूल नहीं पहुंच सके। करीब 10:00 बजे आवाजाही शुरू हो पाई। पांजड़ी में भी दो गाड़ियां मलबे में दब गईं। टुटीकंडी के बंगाली बगीचे में भी भूस्खलन हुआ है। यहां मकानों को भी खतरा पैदा हो गया है।शहर के कृष्णानगर वार्ड में लालपानी बाईपास सड़क पर भी भूस्खलन हुआ है। विकासनगर में भी भूस्खलन होने की सूचना है। माैसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से राज्य के कुछ भागों में 22 सितंबर तक बारिश का दाैर जारी रहने का पूर्वानुमान जताया गया है। आज कई भागों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है।
इस मानसून सीजन के दौरान अभी तक कुल 4,50,444.91 लाख रुपये की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। 20 जून से 15 सितंबर तक 409 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। 473 लोग घायल हुए हैं। 41 लोग अभी भी लापता हैं। इस दौरान 180 लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई है। राज्य में 579 पक्के, 899 कच्चे मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। 2,001 पक्के और 4,297 कच्चे मकानों को आंशिक तौर पर नुकसान हुआ है। 490 दुकानें भी क्षतिग्रस्त हो गईं। 6,147 गोशालाएं भी क्षतिग्रस्त हो गई। वहीं 2,109 मवेशियों की माैत हो गई।
शिमला में लोगों ने बीती रात डर के सारे में गुजारी। एकाएक हुए तीन से चार धमाकों के बाद शहर के कई इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई। मंगलवार सुबह आधे शहर में बिजली गुल रही। जतोग, टुटू, ढली सहित शहर के कई स्थानों में पेड़ बिजली की एलटी लाइनों पर गिरे हैं। 33 केवी मल्याणा-बड़ागांव लाइन क्षतिग्रस्त हो गई।
पंडोह पुलिस चौकी के तहत आने वाले शिवाबदार के सुमा नाले के तेज बहाव में दो चचेरे भाई बह गए। इसमें से एक का शव बरामद कर लिया गया है जबकि दूसरे की तलाश जारी है। मिली जानकारी के अनुसार सुमा गांव के 15-16 लोग सायर पर्व पर देवता शुकदेव ऋषि थट्टा के मंदिर गए हुए थे। जब यह लोग लाैट रहे थे तो सुमा नाले के पास यह हादसा पेश आ गया।
बताया जा रहा है कि इस नाले पर लकड़ियां डालकर अस्थायी पुलिया बनाई गई थी जो अचानक टूट गई और दोनों चचेरे भाई नाले के तेज बहाव में बह गए। ग्रामीणों की मदद से तुरंत सर्च ऑपरेशन चलाया। मृतक की पहचान सुमा गांव के प्रेम सिंह के रूप में हुई है। जबकि मनोहर लाल अभी तक लापता है। पंडोह पुलिस चौकी की टीम ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया। एसपी मंडी साक्षी वर्मा ने हादसे की पुष्टि की है।
थुरल तहसील के अंतर्गत गांव गरडेड़ में मंगलवार सुबह 5:00 बजे भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ है जो अभी भी जारी है। लगभग 10 फीट तक जमीन धंस चुकी है और लगातार इसमें इजाफा हो रहा है। गरडेड़ गांव में 10 परिवार रहते हैं और सभी के मकान भूस्खलन की चपेट में आ गए हैं। दूसरे गांव के लोगों ने प्रभावितों को सुरक्षित निकाला। घरों की तरफ किसी को जाने नहीं दिया जा रहा। क्योंकि वहां लगातार भूस्खलन हो रहा है।
चार मकान मलबे में दब गए हैं और कई मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होक गए हैं। लोगों की गाड़ियां भी मलबे में दब गईं। थुरल तहसीलदार राजेश जरियाल ने कहर कि गांव के लोगों और पशुओं को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। गांव में अभी भी भूस्खलन हो रहा है। इसलिए प्रशासन ने किसी को भी आगे मकानों की तरफ जाने पर पाबंदी लगा दी है ताकि कोई अनहोनी न हो सके।