देहरादून: उत्तराखंड में बंजर भूमि पर सगंध फसलों की खुशबू महकेगी। प्रदेश सरकार ने देश की पहली महक क्रांति नीति को मंजूरी दी है। इस नीति से एरोमा वैली व सेटेलाइट सेंटर की योजना धरातल पर उतरेगी। वहीं, किसानों को एरोमा खेती से बंदरों व जंगली जानवरों के नुकसान से छुटकारा मिलेगा।
महक क्रांति नीति आगामी 10 साल के लागू होगी। नीति के तहत किसानों को सगंध फसलों की खेती के लिए 50 व 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। इस नीति से एरोमा खेती पर 1127 करोड़ का खर्च होने का अनुमान है। इससे प्रदेश में एरोमा सेक्टर का कारोबार 1,050 करोड़ तक पहुंच सकता है। नीति के तहत चमोली व अल्मोड़ा में डेमस्क गुलाब, चंपावत व नैनीताल में दालचीनी, पिथौरागढ़ में तिमूर वैली, हरिद्वार व पौड़ी लैमनग्रास, ऊधमसिंह नगर व हरिद्वार में मिंट वैली विकसित की जाएगी।
वर्तमान में लगभग 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में 22 हजार किसान सगंध फसलों की खेती कर रहे हैं। सरकार का मानना है कि सगंध फसलों की खेती से मानव वन्य जीव संघर्ष में कमी आएगी। साथ ही किसानों को बंदरों व जंगली जानवरों के नुकसान से राहत मिलेगी।
चंपावत जिले के खतेड़ा में तेजपात, पिथौरागढ़ के बिसाड़ में तिमूर, उत्तरकाशी के रैथल में सुरई, चमोली के परसारी और अल्मोड़ा जिले के ताकुला में डेमस्क गुलाब, देहरादून के भाऊवाला का सेटेलाइट केंद्र बनाने की योजना में तेजी आएगी।
महक क्रांति नीति प्रदेश के किसानों के लिए गेमचेंजर साबित होगी। इससे सुगंधित खेती को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा जंगली जानवरों के नुकसान से खेती छोड़ रहे किसानों एरोमा खेती अपनाने से फायदा होगा।-गणेश जोशी, कृषि एवं उद्यान मंत्री