अजमेर:भारत में एक ऐसा स्कूल है, जिसे ‘अमीरों का स्कूल’ कहा जाता है। ब्रिटिश राज में यह स्कूल अंग्रेज शासकों और राजाओं के बच्चों के लिए खोला गया था। इस स्कूल के पहले स्टूडेंट भी अलवर के महाराजा थे। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के अलवर में स्थित मेयो कॉलेज की, जो भारत के सबसे पुराने बोर्डिंग पब्लिक स्कूलों में से एक है। मेयो कॉलेज की स्थापना 1875 में हुई थी। इसकी शुरुआत 1869 में हुई थी जब लेफ्टिनेंट कर्नल एफ.के.एम. वाल्टर ने ऐसे स्कूल का स्कूल का प्रस्ताव रखा जहां ‘अमीरों के बच्चे’ पढ़ सकें। 1870 में, तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मेयो ने शाही उत्तराधिकारियों की शिक्षा के लिए अजमेर में एक ‘राजकुमार कॉलेज’ की कल्पना की थी।
इसका निर्माण 1877 में शुरू हुआ और 1885 में 3.28 लाख रुपये की लागत से पूरा हुआ। मेजर मेयो द्वारा डिजाइन किया गया प्रतिष्ठित मुख्य भवन 1885 में बनकर तैयार हुआ था। समय के साथ, स्कूल का विकास हुआ, दूसरे राज्य और अमीप परिवारों के बच्चों का स्वागत किया गया।मेयो कॉलेज की शुरुआत अलवर के महाराजा के बेटे राजकुमार मंगल सिंह के साथ हुई, जो इसके पहले स्टूडेंट थे। उस वक्त स्कूल के प्रिंसिपल सर ओलिवर सेंट जॉन थे। कहा जाता है कि राजकुमार मंगल सिंह (बाद में महाराज बने) पालकी में बैठकर इस स्कूल में आए थे। उनके साथ पूरा 300 से ज्यादा नौकरों का लावलश्कर चल रहा था। पालकी के आगे और पीछे घुड़सवार थे।
उनके अलावा इस स्कूल से पढ़े राजकुमारों ने कई रियासतों पर शासन किया है। महाराणा प्रताप के वंशज और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ ने भी मेयो कॉलेज से पढ़ाई की थी। वे 1953-1959 में इस स्कूल के स्टूडेंट थे। 2024 में 83 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। आज भी अमीर परिवारों, डिप्लोमैट्स से लेकर बिजनेसमैन के बच्चे इस स्कूल में पढ़ने आते हैं।
‘ईटन ऑफ द ईस्ट’ कहे जाने वाले इस स्कूल में 7वीं, 9वीं और 11वीं क्लास में एडमिशन मिलता है। एडमिशन के लिए ऑफलाइन (पेन-पेपर मोड) में एप्टीट्यूड एनालिसि टेस्ट (जो सितंबर में होता है) आयोजित किया जाता है। एग्जाम क्लियर करने वाले स्टूडेंट्स को अपने पेरेंट्स के साथ बुलाया जाता है। जिनका एजुकेशन कमेटी के साथ इंटरैक्शन होता है, यह नवंबर से जनवरी तक चलता है। मेयो स्कूल में 9 से 18 साल तक करीब 850 स्टूडेंट्स पढ़ते हैं।बच्चों की सुरक्षा के लिए कॉटेशन फीस 5,26,500 रुपये, एडमिशन फीस 2,50,00 रुपये, आईटी फीस 42,000 रुपये, इम्प्रेस्ट मनी 80,000 रुपये, यूनिफॉर्म फीस 25,000 रुपये, प्रॉसपेक्टस और सेंपल पेपर्स की फीस 1000 रुपये और रजिस्ट्रेशन फीस 25,000 रुपये है।
स्कूल कैंपस 76 हेक्टेयर में फैला है। इसमें पुराने पेड़, लॉन और संगमरमर की बिल्डिंग हैं। इस स्कूल में पोलो, गोल्फ, स्विमिंग, शूटिंग, बॉक्सिंग और टेनिस समेत 20 स्पोर्ट्स की सुविधा है। स्कूल में एक बड़ा स्विमिंग पूल, 9 होल गोल्फ कोर्स और 60 घोड़ों का अस्तबल है। यहां कुछ सालों में क्रिकेट से ज्यादा फुटबॉल फेमस गेम बना गया है।मेयो डाक टिकट, एजुकेशन फील्ड में इसकी एक्सीलेंसी के लिए इसे सर्वोच्च सम्मान कहा जा सकता है, 12 अप्रैल 1986 को, भारत सरकार के डाक और तार विभाग ने मेयो का एक विशेष डाक टिकट जारी किया, जिस पर भव्य मेन स्कूल भवन बना हुआ था।