विरासत का सुरमयी आगाज

देहरादून। कौलागढ़ के डा. बीआर अंबेडकर स्टेडियम में शनिवार की शाम छोलिया नृत्य और सरोद की तान पर थिरकी। अवसर था रीच संस्था के तत्वावधान में आयोजित 30वें विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल के सुरमयी आगाज का।

इस दौरान प्रसिद्ध सरोद वादक पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खान की जादुई प्रस्तुति से स्टेडियम का हर कोना झंकृत हो उठा। उनके हाथों ने सरोद के तार छेड़े तो श्रोताओं का मन मयूर बन गया और पूरा परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। सुर, लय और ताल की ऐसी त्रिवेणी बही कि श्रोता देर रात तक उसमें गोते लगाते रहे।

शनिवार शाम मुख्य अतिथि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) और पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने दीप प्रज्वलित कर 15 दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन किया। इसके बाद उद्यांचल कला समिति अल्मोड़ा के कलाकारों ने अतिथियों का स्वागत कर छोलिया नृत्य की प्रस्तुति दी।

मंच पर पारंपरिक लोक संस्कृति का रंग देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। इसके बाद मंच पर पहुंचे पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खान ने अपनी स्वयं की संगीतबद्ध राग गणेश कल्याण से सुरों की साधना आरंभ की। उनकी अगली प्रस्तुति राग देश पर एक खूबसूरत बंदिश रही।

फिर उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर की कालजयी रचना ‘एकला चलो रे’ को अपने सुरों में ढालकर ऐसा वातावरण रचा कि पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस सुरमयी संध्या में तबले पर उनका साथ जयपुर घराने के फतेह सिंह और बिहार के मिथिलेश झा ने दिया।

कार्यक्रम में राज्यपाल भी हर प्रस्तुति पर झूमते नजर आए और तकरीबन दो घंटे की प्रस्तुति देखकर लौटे। इससे पहले राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री ने पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खान को शाल ओढ़ाकर व प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया।

इस अवसर पर रीच संस्था के संस्थापक सदस्य व महासचिव आरके सिंह, संयुक्त सचिव विजयश्री जोशी, उत्तराखंड के महालेखाकार मो. परवेज आलम, शिल्प निदेशक सुनील वर्मा, मीडिया कोआर्डिनेटर प्रियवंदा अय्यर, प्रदीप मैथिल आदि मौजूद रहे।

कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने कहा कि विरासत शब्द में मौजूद पहले दो अक्षर वीर रस और अंतिम दो अक्षर सत श्री अकाल का प्रतिबिंब हैं। यह हमारी सभ्यता, संस्कृति, विज्ञान, आस्था और जीने का अंदाज रहा है।आर्ट एंड हेरिटेज सुनकर लगता है कि एएएच यानी अंदर से आह सा निकलता है। आज जरूरी है कि हम अपनी जड़ों और धरोहर से जुड़ें। एक तरफ एआइ की चुनौती है तो दूसरी तरफ विरासत को समझने की चिंता भी है।

रीच संस्था के संस्थापक सदस्य व महासचिव आरके सिंह ने बताया कि 18 अक्टूबर तक चलने वाले इस महोत्सव में 40 ख्याति प्राप्त कलाकार कला, संगीत, नृत्य आदि की प्रस्तुति देंगे। साथ में फोटोग्राफी प्रतियोगिता, आर्ट एंड क्राफ्ट वर्कशाप भी आयोजित की जाएगी। संस्था वर्ष 1995 से महोत्सव का आयोजन करती आ रही है। भारत की कला-संस्कृति को पुनर्जीवित करना और आमजन तक पहुंचाना मुख्य उद्देश्य है।

महोत्सव में विभिन्न राज्यों के स्वयं सहायता समूह व संस्थाओं ने अपने स्टाल भी लगाए हैं। कार्यक्रम में आए लोगों ने इनमें खूब खरीदारी। सबसे ज्यादा भीड़ हथकरघा व हस्तशिल्प उत्पाद, अफगानी ड्राई फ्रूट, पारंपरिक क्राकरी, भारतीय वुडन क्राफ्ट, नगालैंड के बंबू क्राफ्ट के स्टाल पर रही। आगंतुकों ने आइसक्रीम, डोसा, दाल बाटी चूरमा का आनंद भी लिया।

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