शिमला: हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली है। बुधवार तड़के जिला कुल्लू और जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में मौसम ने करवट बदली। जिला कुल्लू में जहां झमाझम बारिश हुई तो वहीं लाहौल में इस सर्दी का दूसरा हिमपात हुआ है। चंद्रा घाटी बर्फ से सफेद हो गई है। इसके अलावा रोहतांग दर्रा, बारालाचा, शिकुंला दर्रा, कुंजम दर्रा, अटल टनल क्षेत्र ने भी बर्फ की चादर ओढ़ ली।
ताजा बर्फबारी के कारण रोहतांग दर्रा पर्यटकों के लिए फिर बंद हो गया है। पुलिस ने पर्यटकों को संता-बंता मोड़ तक ही भेजा। इससे आगे किसी भी वाहन को जाने की अनुमति नहीं दी गई। हालांकि, रोहतांग जाने के लिए बुधवार को 374 वाहनों ने ऑनलाइन परमिट हासिल किए थे, लेकिन बर्फबारी होने के कारण यह वाहन संता-बंता मोड़ से आगे नहीं जा पाए। डीएसपी मनाली केडी शर्मा ने बताया कि रोहतांग दर्रा में बर्फबारी हुई है। इसलिए पर्यटकों को संता-बंता मोड़ तक ही भेजा गया।
वहीं, बड़ा भंगाल से होली होते हुए कांगड़ा की ओर 600 भेड़-बकरियों के साथ जा रहे भेड़पालकों पर चंबा के जरासू जोत में बर्फ कहर बनकर गिरी। हिमस्खलन और ठंड से लगभग 250 भेड़-बकरियों की मौत हो गई। दो भेड़पालक भी लंबे समय तक बर्फ के संपर्क में रहने के कारण आइस बर्न का शिकार हुए हैं। ये भेड़पालक जिला कांगड़ा के ग्वालटिक्कर के रहने वाले हैं। घटना शुक्रवार की बताई जा रही है और शनिवार को चंबा जिले के न्याग्रां के पंचायत प्रतिनिधि को इसकी सूचना मिली।
इसके बाद पंचायत प्रधान अशोक कुमार ने शनिवार सुबह ग्रामीणों की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के लिए रवाना की। जरासू जोत तक पहुंचने के लिए धारड़ी नामक स्थान पर रावी का जलस्तर बढ़ा था। इसके बाद ग्रामीणों ने जान जोखिम में डालकर लकड़ी की पुलिया बनाकर नदी को पार किया। ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत के बाद घायल भेड़पालक कृष्ण कुमार और जोगेंद्र के साथ ही उनकी शेष भेड़-बकरियों को सुरक्षित निकाला। दो भेड़पालकों को होली अस्पताल में प्राथमिक उपचार देने के बाद टांडा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया है, जहां उन्हें आइस बर्न और अन्य चोटों से राहत देने के लिए उपचार दिया जा रहा है।
चंबा जिले में मौसम ने तेवर बदलने शुरू कर दिए हैं, जिससे लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। बुधवार दोपहर के बाद जोरदार बारिश हुई और भरमौर-पांगी के ऊपरी क्षेत्रों की चोटियों पर 7.62 सेंटीमीटर तक बर्फबारी हुई। बारिश और बर्फबारी के कारण शीतलहर बढ़ गई और लोग घरों में दुबकने को मजबूर हो गए हैं। इस अचानक आई सर्दी और बारिश के कारण जिले के किसानों और बागवानों को खासा नुकसान हो रहा है। इससे धान की फसल की कटाई नहीं हो पा रही और पशुपालकों को घास की कटाई का समय नहीं मिल रहा।
खासतौर पर चंबा-किलाड़ वाया सचे जोत मार्ग, भरमौर की कालीछौ, मणिमहेश और कुगति जोत में ताजा बर्फबारी के कारण पांगी और भरमौर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। स्थानीय निवासी राजीव कुमार, अमित कुमार, संजीव कुमार, वीरेंद्र कुमार, करतार सिंह, जगदेव, प्रमोद कुमार का कहना है कि इस बार बरसात और सर्दी दोनों समय से पहले आ गई हैं, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि बारिश और बर्फबारी के कारण उनकी दैनिक दिनचर्या में काफी बदलाव आ गया है। अब ठंड के कारण सर्दी का सामना करना और भी कठिन हो गया है।
माैसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार 22 अक्तूबर को को कुछ स्थानों पर हल्की बारिश-बर्फबारी की संभावना है। 23 से 28 अक्तूबर तक पूरे प्रदेश में माैसम साफ बने रहने का पूर्वानुमान है। हालांकि, 27 अक्तूबर से एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की संभावना है। इससे प्रभाव से प्रदेश में बारिश-बर्फबारी हो सकती है। वहीं अगले 2-3 दिनों के दौरान अधिकतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। अगले 2-3 दिनों के दौरान न्यूनतम तापमान में लगभग 1-2 डिग्री सेल्सियस की गिरावट होगी।
शिमला में न्यूनतम तापमान 12.6, सुंदरनगर 15.1, भुंतर 14.0, कल्पा 4.9, धर्मशाला 12.6, ऊना 12.9, नाहन 17.4, केलांग 1.8, पालमपुर 12.0, सोलन 12.4, मनाली 7.4, कांगड़ा 15.3, मंडी 15.4, बिलासपुर 17.9, हमीरपुर 16.5, जुब्बड़हट्टी 15.2, कुफरी 10.9, कुकुमसेरी 0.4, नारकंडा 8.9, रिकांगपिओ 8.5, सेऊबाग 12.8, पांवटा साहिब 18.0, सराहन 13.4, देहरा गोपीपुर 16.0, ताबो -0.7, नेरी 18.0 व बजाैरा में 13.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।