उदय दिनमान डेस्कः केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार 30 बच्चों पर एक शिक्षक का होना अनिवार्य है, लेकिन देश में 8 हजार ऐसे स्कूल हैं, जहां शैक्षणिक सत्र 2024-25 में एक भी बच्चे ने दाखिला नहीं लिया, लेकिन वहां 20 हजार से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं।
शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में बड़ी जानकारी सामने निकलकर आई है। देश भर में करीब 8 हजार स्कूलों (Schools) में शैक्षणिक सत्र 2024-25 में एक भी छात्र-छात्रा (Students) ने दाखिला नहीं लिया, जबकि इन स्कूलों में 20000 शिक्षक तैनात हैं। पश्चिम बंगाल में बिना दाखिले वाले स्कूलों की संख्या देशभर में सबसे अधिक है।
यहां 3,812 ऐसे स्कूल हैं, जहां बच्चों ने एडमिशन नहीं लिया। वहीं, इन स्कूलों में 17965 शिक्षकों की तैनाती है। दूसरे नंबर पर कांग्रेस शासित राज्य तेलंगाना है। यहां 2,245 जीरो एडमिशन वाले स्कूल हैं, जहां 1,016 की तैनाती है। वहीं, भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश इस सूची में तीसरे नंबर है। यहां 463 जीरो एडमिशन वाले स्कूल हैं, जिनमें 223 शिक्षकों की तैनाती है।
शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस बार 7993 स्कूल में कोई दाखिला नहीं हुआ, जो पिछले शैक्षणिक सत्र 2023-2024 की तुलना में 5,000 कम है। मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है। राज्यों को विद्यालयों में शून्य दाखिले के मुद्दे का समाधान निकालने को कहा गया है। कुछ राज्यों ने स्कूलों में बच्चों की कम संख्या को देखते हुए दूसरे स्कूलों में विलय कर लिया है।
अधिकारी ने बताया कि हरियाणा, महाराष्ट्र, गोवा, असम, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमन-दीव और चंडीगढ़ में ऐसा कोई भी शून्य दाखिले वाला स्कूल नहीं था।
यूपी में ऐसे 81 स्कूल हैं। यूपी बोर्ड ने घोषणा की थी कि वह राज्य भर में अपने ऐसे संबद्ध विद्यालयों की मान्यता रद्द करने की तैयारी कर रहा है, जिन्होंने पिछले तीन लगातार शैक्षणिक वर्षों से शून्य छात्र पंजीकृत दर्ज किया है। देश भर में 33 लाख से अधिक छात्र एक लाख से अधिक एकल-शिक्षक विद्यालयों में पंजीकृत हैं.
आंध्र प्रदेश में इन विद्यालयों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है। इसके बाद उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक और लक्षद्वीप का स्थान है। सिंगल-टीचर स्कूलों की संख्या 2022–23 में 1,18,190 से घटकर 2023–24 में 1,10,971 हो गई।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का लगातार इस बात को लेकर जोर रहता है कि स्कूलों में छात्रों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देते हुए छात्र-शिक्षक अनुपात को बेहतर रखा जाए।
इसमें प्रत्येक 30 छात्र पर कम से कम एक शिक्षक होना जरूरी है। आर्थिक-सामाजिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों के स्कूलों में प्रत्येक 25 बच्चों पर कम से कम एक शिक्षक की तैनाती देने का सिफारिश है।

