वॉशिंगटन: अमेरिका और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ है। इसके तहत दोनों देशों ने परमाणु ऊर्जा पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। वहीं, पांचवीं पीढ़ी के अमेरिकी F-35 लड़ाकू विमानों की बिक्री को भी मंजूरी दी गई। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने मंगलवार को वॉइट हाउस में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मुलाकात के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। वॉइट हाउस ने एक बयान में बताया कि अमेरिका और सऊदी अरब ने सिविल न्यूक्लियर एनर्जी और एफ-35 फाइटर जेट की बिक्री को लेकर समझौता दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया है।
बयान के अनुसार, दोनों देशों ने सिविल न्यूक्लियर एनर्जी पर एक जॉइंट डिक्लेरेशन को मंजूरी दी, जो मजबूत नॉन-प्रोलिफरेशन स्टैंडर्ड्स के हिसाब से दशकों से चली आ रही कई अरब डॉलर की न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप के लिए कानूनी आधार तैयार करता है। इसके अलावा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़े रक्षा बिक्री पैकेज को मंजूरी दी है, जिसमें एडवांस्ट F-35 अमेरिकी फाइटर जेट की भविष्य की डिलीवरी शामिल है।
इस घोषणा की जानकारी वॉइट हाउस की वेबसाइट पर प्रकाशित एक फैक्टशीट में दी गई थी, जिसमें यह कहा गया कि ये कहा गया था कि ये समझौते अमेरिका-सऊदी रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करेंगे। अमेरिकी वर्कर्स के लिए मौके बढ़ाएंगे और क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करेंगे। मंगलवार को क्राउन प्रिंस मोहम्मद सलमान ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की। इस दौरान ट्रंप ने कहा कि रियाद ने अपने 600 अरब डॉलर के घोषित निवेश को बढ़ाकर 1 ट्रलियन डॉलर कर सकता है।
वॉइट हाउस की वेबसाइट पर पब्लिश फैक्टशीट के अनुसार, नए समझौते कई सेक्टर को कवर करते हैं। इनमें सिविल न्यूक्लियर कोऑपरेशन समझौता, सप्लाई चेन में विविधता लाने के मकसद से जरूरी खनिजों पर एक फ्रेमवर्क और एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर एमओयू शामिल है, जो सऊदी अरब को अमेरिकी तकनीक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए अमेरिकी सिस्टम तक पहुंच देगा। दोनों पक्षों ने रणनीतिक रक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर किए।
इसे वॉइट हाउस ने अपनी 80 साल से ज्यादा पुरानी सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करने और पूरे मध्य पूर्व में सुरक्षा को मजबूत करने वाला बताया है। डिफेंस पैकेज में भविष्य में एफ-35 फाइटर जेट और लगभग 300 अमेरिकी टैंक की डिलीवरी शामिल है। इस बारे में वॉइट हाउस ने कहा कि इससे अमेरिकी इंडस्ट्रियल बेस को समर्थन मिलेगा औऱ अच्छे वेतन वाली नौकरियां पैदा होंगी।

