नई दिल्ली: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत की दो दिवसीय यात्रा समाप्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे को अपने ‘साथ चलें, साथ बढ़ें’ संदेश से दोहराया। उन्होंने कहा कि यह नारा मॉस्को-दिल्ली की पुरानी साझेदारी की भावना को दर्शाता है। पुतिन ने यह बात राष्ट्रपति भवन में आयोजित राजकीय भोज के दौरान कही।
डिनट पार्टी में पुतिन ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि भारत में वे कहते हैं, ‘साथ चलें, साथ बढ़ें’। ये शब्द रूसी-भारतीय संबंधों की भावना, चरित्र और परंपराओं को बहुत सटीक रूप से दर्शाते हैं। और हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे कि हमारी रणनीतिक साझेदारी हमारे दोनों लोगों के लाभ के लिए मजबूत और विकसित होती रहे।’
रूसी राष्ट्रपति ने भारतीय नेताओं की ओर से किए गए आतिथ्य सत्कार के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय सहयोगियों को गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए धन्यवाद दिया। द्विपक्षीय संबंधों की नींव को याद करते हुए, पुतिन ने भारत के विकास में सोवियत संघ के समर्थन का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कैसे सोवियत संघ ने औद्योगिक सुविधाओं, बुनियादी ढांचे और अंतरिक्ष कार्यक्रम के निर्माण में भारत की मदद की थी।
उन्होंने विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की 15वीं वर्षगांठ का भी जिक्र किया। इस साझेदारी ने दोनों देशों के संबंधों को एक नए स्तर पर पहुंचाया है। पुतिन ने इस बात पर जोर दिया कि यह साझेदारी समानता, आपसी सम्मान और एक-दूसरे के हितों पर विचार पर आधारित है।
रूसी राष्ट्रपति ने भारतीय समकक्षों के साथ अपनी हाल की बातचीत को बहुत उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि हाल ही में जारी किए गए संयुक्त बयान में राजनीति, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, परिवहन, ऊर्जा, शिक्षा और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में सहयोग की योजनाओं का जिक्र है।
पुतिन को विश्वास है कि इन समझौतों से द्विपक्षीय संबंधों को नई गति मिलेगी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर साझा प्रयासों की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि रूस और भारत मिलकर एक निष्पक्ष, बहुध्रुवीय अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए काम करते हैं। यह व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका और सभी सदस्यों के बीच हितों के संतुलन पर आधारित है।
पुतिन ने ब्रिक्स में चल रहे सहयोग पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत 2026 में ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालेगा। उन्होंने अन्य बहुपक्षीय मंचों पर भी सहयोग का उल्लेख किया। इन सभी सहयोगों का उद्देश्य पूरे यूरेशिया और उससे आगे सुरक्षा, विश्वास और शांति का निर्माण करना है।

