टिमटिमाता तारा बना ब्रह्मांड का ‘राक्षस’

उदय दिनमान डेस्कः वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसे तारे को देखा जो करीब 3 अरब साल से सो रहा था. लेकिन अब वह अचानक जगकर भयंकर रूप ले चुका है. इसकी तबाही देखने के बाद वैज्ञानिकों ने इसे ‘राक्षस तारा’ नाम दिया है.एक वक्त था जब LSPM J0207+3331 नाम का ये तारा हमारे सूरज जैसा चमकता था. लेकिन 3 अरब साल पहले इसका ईंधन खत्म हो गया और ये सिकुड़कर सफेद बौना तारा बन गया. अब हैरानी की बात ये है कि ये ‘Zombie Star’ दोबारा जिंदा होकर अपने आसपास की चीजों को निगलने लगा है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक यह तारा 3 अरब साल से शांत पड़ा था. लेकिन अचानक ऐसा कुछ हुआ जिसने इसे फिर से सक्रिय कर दिया. अब ये उस अवशेष को खा रहा है जो कभी एक चट्टानी ग्रह था. इसका मतलब ये है कि ग्रह प्रणालियां तारे के मर जाने के बाद भी अस्थिर रह सकती हैं.सफेद बौना तारा असल में वो तारा होता है जिसका ईंधन खत्म हो चुका होता है. इसकी बाहरी परतें गिर जाती हैं और अंदर का हिस्सा गर्म और घना रह जाता है. यही हिस्सा अब धीरे-धीरे ठंडा होता जाता है. लेकिन LSPM J0207+3331 का मामला अलग है क्योंकि ये अभी भी ग्रहों को खा रहा है.

स्पेक्ट्रोस्कोपिक डेटा से पता चला कि इस तारे के वातावरण में 13 भारी तत्व हैं. इनमें मैग्नीशियम, आयरन, सिलिकॉन और कोबाल्ट जैसे एलिमेंट शामिल हैं. ये वही तत्व हैं जो धरती जैसे ग्रहों में पाए जाते हैं. यानी ये तारा हाल ही में किसी ग्रह को निगल चुका है.ट्रॉटियर इंस्टीट्यूट के पैट्रिक डुफोर के मुताबिक इतने पुराने सफेद बौने में इतनी एक्टिविटी असामान्य है. वो बताते हैं कि जो ग्रह ये निगल रहा है वो करीब 120 मील चौड़ा रहा होगा. यह पिंड टूटकर उसके चारों तरफ मलबे की तरह घूम रहा है और धीरे-धीरे तारे में गिर रहा है.

NASA के वाइड-फील्ड इन्फ्रारेड सर्वे एक्सप्लोरर यानी WISE ने इसे सबसे पहले खोजा था. जब इसने तारे के चारों तरफ मिड-इन्फ्रारेड लाइट देखी तो वैज्ञानिक समझ गए कि इसके चारों ओर मलबे की डिस्क है. यही मलबा ग्रहों जैसी चीजों से बना है जो अब तारे में समा रहे हैं. Space Telescope Science Institute के वैज्ञानिकों को शक है कि शायद कोई गैसीय ग्रह अभी भी इस सिस्टम में मौजूद है. वही छोटे-छोटे पिंडों की कक्षाओं में गड़बड़ी पैदा कर रहा होगा. इससे वे पिंड धीरे-धीरे तारे की तरफ धकेले जा रहे हैं और फिर उसमें समा रहे हैं.

वैज्ञानिकों के मुताबिक इसे सीधे देखना तो नामुमकिन है क्योंकि ये बहुत दूर और ठंडा है. लेकिन ESA का Gaia मिशन इसकी हल्की गतिविधियों को पकड़ सकता है. दिसंबर 2026 में आने वाला उसका डाटा इस रहस्य पर से पर्दा उठा सकता है कि आखिर यह ‘सोया हुआ राक्षस तारा’ फिर से कैसे जगा.

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