केदारनाथ धाम यात्रा के लिए पशुपालन विभाग की पहल, 1,500 से अधिक घोड़ा खच्चर मालिकों की जानकारी आम जनता को उपलब्ध कराई
घोड़ा खच्चर व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए अभिनव पहल, यात्री स्वयं भी कर सकेंगे खच्चर मालिकों से संपर्क
घोड़े खच्चरों की नहीं कोई कमी, 5,000 से अधिक घोड़े-खच्चरों का हो चुका पंजीकरण
रुद्रप्रयाग: 2 मई से आरंभ हो रही केदारनाथ यात्रा को लेकर जिला प्रशासन एवं संबंधित विभागों ने अपनी तैयारियां अंतिम रूप दे दी हैं। हर वर्ष की भांति इस बार भी यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में तीर्थयात्री घोड़े-खच्चरों के माध्यम से केदारनाथ धाम की यात्रा करेंगे। तीर्थयात्रियों की सुविधा एवं उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पशुपालन विभाग द्वारा इस बार यात्रा के लिए 5000 से अधिक घोड़े-खच्चरों का पंजीकरण किया गया है।
पशुपालन विभाग ने इस बार एक नई पहल करते हुए 1500 से अधिक घोड़ा-खच्चर संचालकों की जानकारीकृजैसे नाम, मोबाइल नंबर और आधार संख्याकृको सार्वजनिक किया है। यह विवरण समाचार पत्रों में विज्ञापन के माध्यम से जारी किया गया है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसी भी आपात स्थिति में तीर्थयात्रियों को इनसे संपर्क करने में आसानी हो।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आसीस रावत ने जानकारी दी कि विभाग द्वारा जनपद क्षेत्रान्तर्गत सभी पंजीकृत घोड़े-खच्चरों में ‘इक्वाइन इन्फ्लुएंजा‘ नामक रोग की जांच की गई है। इस जांच में सभी पशु नेगेटिव पाए गए हैं। इसके उपरांत विभाग द्वारा अब तक लगभग 5000 घोड़े-खच्चरों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त अन्य पशुओं की फिटनेस जांच की प्रक्रिया भी लगातार जारी है।
डॉ. रावत ने बताया कि जिन घोड़े-खच्चरों को पूरी तरह से स्वस्थ एवं यात्रा योग्य पाया गया है, उनका पंजीकरण पशु स्वामियों द्वारा जिला पंचायत कार्यालय में करवाया जा रहा है। जैसे ही यह कार्यवाही पूर्ण होती है, पशु स्वामी अपने पंजीकृत एवं फिट पशुओं के साथ गौरीकुंड एवं सोनप्रयाग क्षेत्रों में पहुंचना आरंभ कर रहे हैं।
पशुपालन विभाग के इन प्रयासों का उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, साथ ही पशुओं के स्वास्थ्य की निगरानी करते हुए यात्रा मार्ग पर सुव्यवस्था बनाए रखना है। विभाग का कहना है कि यात्रा की अवधि में भी पशु चिकित्सा दल लगातार सक्रिय रहेगा, ताकि किसी भी स्थिति में तुरंत इलाज उपलब्ध कराया जा सके।