अफ्रीका: महाद्वीप के बीचों-बीच पड़ रही दरार !

उदय दिनमान डेस्कः वैज्ञानिकों के मुताबिक, प्राकृतिक घटनाओं के कारण दुनिया के कई महाद्वीप टुकड़ों में बंटते चले गए. भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसी समय अंटार्कटिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्‍ट्रेलिया और अफ्रीका एक ही सुपर कॉन्टिनेंट में थे.

बाद में प्राकृतिक घटनाओं के कारण ये सब अलग हो गए. ऐसे ही एक घटनाक्रम के कारण भारत भी अफ्रीका से टूटकर अलग हुआ और एशिया से जुड़ गया. भारत के एशिया में टकराकर जुड़ने से हिमालय पर्वत श्रृंखलाएं बनीं. इसीलिए इन्‍हें नए और कच्‍चे पहाड़ कहा जाता है. वहीं, अरावली की पर्वत श्रृंखलाएं पुरानी, मजबूत और ठोस हैं.

भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस बार अफ्रीका के दो टुकड़ों में बंटने का खतरा है. दरअल, कुछ महीने पहले अफ्रीका के बीचों-बीच एक दरार आ गई थी. इसका आकार लगातार बढ़ता जा रहा है. मार्च 2023 की शुरुआत में जब ये दरार के बारे में पता लगा था, तब इसकी लंबाई 56 किलोमीटर थी. अब जून तक यह दरार पहले से ज्‍यादा लंबी हो गई है, जो लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में भू-वैज्ञानिकों का अफ्रीका के दो हिस्‍सों में बंटने की चिंता सता रही है.

लंदन की जियोलॉजिकल सोसायटी का कहना है कि लाल सागर से लेकर मोजाम्बिक तक 3500 किमी में घाटियों का लंबा जाल है. अब ये पूरा का पूरा क्षेत्र बड़ी दरार में बदलता जा रहा है. सोसायटी का कहना है कि अफ्रीका के बीचों-बीच बन रही इस दरार में एक नया महासागर बन सकता है.

अब सवाल ये उठता है कि क्‍या वाकई अफ्रीका दो हिस्‍सों में बंट जाएगा? अगर अफ्रीका दो भागों में बंटता है तो ये कब तक होगा? ऐसे तमाम सवालों के जवाब तलाशने के लिए भू-वैज्ञानिक टेक्‍टोनिक प्‍लेट्स का अध्‍ययन कर रहे हैं.

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की अर्थ ऑब्जरवेटरी के मुताबिक, पूर्वी अफ्रीका में सोमालियाई टेक्टोनिक प्लेट न्युबियन टेक्टोनिक प्लेट से पूरब दिशा की तरफ खिंचती चली जा रही हैं. बता दें कि सोमालियाई प्लेट को सोमाली प्लेट और न्युबियन प्लेट को अफ्रीकी प्लेट भी कहा जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि सोमालियाई और न्युबियन प्लेट्स अरब प्लेट से अलग हो रही हैं.

जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन ने अध्ययन में पाया कि ये सभी प्लेट्स इथियोपिया में एक वाई आकार की दरार बनाती हैं. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में अर्थ साइंस के प्रोफेसर एमेरिटस केन मैकडोनाल्ड के मुताबिक, दरार बनने की गति धीमी है, लेकिन खतरा बहुत बड़ा है.

मैकडोनाल्‍ड के मुताबिक, अभी ये स्‍पष्‍ट तौर पर नहीं बताया जा सकता है कि आने वाले समय में इसका असर कितनी दूर तक जाएगा. जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन के मुताबिक, केन्या और इथियोपिया के बीच धरती गरम व कमजोर होने के कारण पूर्वी अफ्रीकी क्षेत्र में दरार बनने की ज्यादा आशंका रहती है.

इस गर्मी के कारण धरती के भीतर की चट्टान में खिंचाव आ गया है. नासा की अर्थ ऑब्जर्वेटरी के मुताबिक, अफ्रीका के दो हिस्‍सों में अलग होने पर दरार में नया समुद्र बन सकता है. इस नए भूभाग में सोमालिया, इरिट्रिया, जिबूती, इथियोपिया, केन्या, तंजानिया और मोजांबिक के पूर्वी हिस्से होंगे.

अब सवाल ये उठता है कि अगर अफ्रीकी महाद्वीप दो हिस्‍सों में बंट गया तो क्या होगा? वैज्ञानिक एबिंगर के मुताबिक, धरती में दरार पैदा करने वाली प्राकृतिक ताकतों की रफ्तार भविष्‍य में धीमी भी पड़ सकती हैं. पहले भी कई बार ऐसा हुआ है.

उनका कहना है कि आने वाले समय में सोमालियाई और न्युबियन प्लेट्स के अलग होने की रफ्तार बहुत धीमी पड़कर रुक भी सकती है. उन्‍होंने ये भी कहा कि दुनिया में कई बार ऐसी दरारें देखी गई हैं, जो पहले बढ़ती जा रही थीं. बाद में बढ़ना बंद हो गईं. अगर ऐसा ही इस दरार के साथ भी हुआ तो अफ्रीका दो हिस्‍सों में टूटने से बच जाएगा.

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