14 घंटे बाद ही टूट गई नहर, 42 साल में प्रोजेक्ट हुआ था पूरा
नई दिल्ली: कोनार नदी सिंचाई प्रोजेक्ट को पूरा होने में 42 साल का वक्त लगा, लेकिन उद्घाटन के बाद इसे बगोदर के पास धराशायी होने में 14 घंटे का भी वक्त नहीं लगा. इस घटना के बाद झारखंड में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार आलोचनाओं के घेरे में है.
प्रोजेक्ट के ढह जाने से 35 गांवों की फसलें पानी में डूब गईं. इस प्रोजेक्ट का बुधवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बड़े जोर-शोर से उद्घाटन किया था. प्रोजेक्ट के शुरू होने से गद्गद् दिख रहे मुख्यमंत्री ने गिरिडीह, बोकारो और आंशिक रूप से हज़ारीबाग के किसानों का सपना पूरा करने के लिए अधिकारियों की जमकर तारीफ की, लेकिन ये सारा उत्साह कुछ देर का ही रहा.
हजारीबाग के बनासों में उद्घाटन के बाद जैसे ही पानी छोड़ा गया तो प्रोजेक्ट बागोदर के पास चरमरा गया. दिलशाद महतो, नसीबन खातून और उनके जैसे बहुत से लोग खुश थे कि प्रोजेक्ट के शुरू होने से उनकी सिंचाई से जुड़ी दिक्कतें अब दूर हो जाएंगी, लेकिन सुबह जो खुशी थी वो रात को काफूर हो गई.
बगोदर के पास नहर के टूटने से खटिया, कुसुम राजा, घोसको, तिर्ला और चिसाकी गांवों में बाढ़ आ गई. बगोदर प्रखंड के 35 गांवों में इसके बाद अफरातफरी मच गई. फसलें जहां पानी में डूब गईं वहीं घरों के अंदर भी पानी घुस गया.
तमाम कोशिशों के बावजूद ग्रामीण उन्हीं अधिकारियों से संपर्क नहीं कर सके, जो उद्घाटन समारोह में मौजूद थे और सीएम जिनकी तारीफ कर रहे थे. ग्रामीणों की व्यथा पर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
जेएमएम नेता सुप्रिय प्रसाद और झारखंड में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मानश सिन्हा ने आरोप लगाया कि सरकार आधे अधूरे प्रोजेक्टों का जल्दबाजी में उद्घाटन कर रही है और ये सब इस साल के आखिर में विधानसभा चुनावों को देखते हुए किया जा रहा है
इस बीच, जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुण सिंह ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. ये जांच तीन सदस्यीय कमेटी करेगी जिसकी अगुवाई चीफ इंजीनियर (जल संसाधन अग्रिम योजना) करेंगे.
जब इस परियोजना का प्रस्ताव किया गया था तो इस पर कुल लागत 6 करोड़ रुपए आने का अनुमान लगाया गया था. लेकिन 42 साल में बार बार के संशोधनों के बाद ये लागत 2500 करोड़ हो गई. इस प्रोजेक्ट का 7 किलोमीटर हिस्सा ज़मीन के नीचे है और बाकी ऊपर है. प्रोजेक्ट से बोकारो, गिरिडीह और हज़ारीबाग के गांवों की 63 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया.