12 बचावकर्मियों की टीम अभी भी अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले के जोखिम भरे पर्वतीय क्षेत्र में फंसी है जहां विमान क्रैश हुआ था
लगातार बारिश, जहरीले सांप और कीड़े का सामना कर रहे बचावकर्मियों को 15 दिन बीतने के बाद भी वापस लाया जा सका है
ईटानगर : वायुसेना के दुर्घटनाग्रस्त एएन 32 विमान में सवार यात्रियों के शव बरामद करने वाले 12 बचावकर्मी बेहद मुश्किल हालात में वहां फंस गए हैं। लगातार बारिश के चलते उन्हें एयरलिफ्ट किया जा सका है। दुर्गम परिस्थितियों में बचावकर्मी अब अपनी जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे हैं।
भारतीय वायुसेना के दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान एएन 32 में सवार लोगों के शवों को बरामद करने गए बचावकर्मी अब अपनी जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे हैं। 12 बचावकर्मियों की टीम अभी भी अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले के जोखिम भरे पर्वतीय क्षेत्र में फंसी है जहां विमान क्रैश हुआ था। यहां लगातार बारिश, जहरीले सांप और कीड़े का सामना कर रहे बचावकर्मियों को 15 दिन बीतने के बाद भी वापस नहीं लाया जा सका है।
खराब मौसम के कारण, वायुसेना अब तक बचाव दल को घर लाने में सक्षम नहीं हुई है। इस बचाव दल में 9 वायु सैन्यकर्मी एक एवरेस्टर और दो लोकल हंटर शामिल हैं। शुक्रवार को रक्षा प्रवक्ता ने बताया, ‘सभी लोग साइट पर हैं। वायुसेना उन्हें जल्द से जल्द एयरलिफ्ट करने की कोशिश कर रही है। इस मौसम में पहाड़ों से खुद से उतरना मुश्किल है।’
फंसे हुए बचावकर्मियों के पास केवल एक सैटलाइट फोन अभी तक काम कर रहा है। फिलहाल यह टीम 12,000 फुट से अधिक की ऊंचाई पर पारी आदि पहाड़ी की चोटी पर मौजूद है। प्रवक्ता ने बताया, ‘बचावकर्मी पहाड़ की चोटी पर आ गए हैं और वहां उन्होंने अपने टेंट भी लगा लिए हैं लेकिन दूसरी तरफ काफी खतरा भी है क्योंकि लगातार बारिश के चलते वहां काफी फिसलन हो गई है।’
पश्चिमी सियांग जिले के जिला सूचना व जनसंपर्क अधिकारी जीजुम ताली ने बताया, ‘एक्स्ट्रा बैटरी वाला एक मोबाइल फोन अभी भी काम कर रहा है लेकिन वहां मुश्किल से ही सिग्नल आ रहे हैं। सिग्नल मिलने के लिए उन्हें और अधिक ऊंचाई पर जाना होता है। ऐसे में उनसे संपर्क तभी किया जाता है जब बहुत जरूरी हो।’ सबसे बड़ी चिंता इस बात की है बचावकर्मी के पास राशन भी खत्म हो रहा है।

3 जून को लापता हुआ था विमान, 8 दिन खोज के बाद मिला
एएन-32 ने 3 जून को असम के एयरबेस से उड़ान भरी थी। यह अरुणाचल में लापता हो गया था। इसमें वायुसेना के 8 क्रू समेत 13 लोग सवार थे। वायुसेना ने खोज के लिए सुखोई-30, सी130 जे सुपर हर्क्युलिस, पी8आई एयरक्राफ्ट, ड्रोन और सैटेलाइट्स के जरिए विमान का पता लगाने की कोशिश की। इस मिशन में वायुसेना के अलावा नौसेना, सेना, खुफिया एजेंसियां, आईटीबीपी और पुलिस के जवान लगे हुए थे। तीनों सेनाओं की मदद से आठ दिन तक बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया गया था। इस दौरान एमआई-17 हेलिकॉप्टर को अरुणाचल के जंगल में विमान का मलबा दिखाई दिया था।
इस इलाके में ज्यादा टर्बुलेंस, इसलिए उड़ान मुश्किल
कई शोध में एक बात सामने आई है कि अरुणाचल के इस इलाके में बहुत ज्यादा टर्बुलेंस है। 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा यहां की घाटियों के संपर्क में आने पर ऐसी स्थितियां बनाती है कि उड़ान मुश्किल हो जाती है। दूर-दूर तक जंगल और आबादी नहीं होने से किसी की खोज भी कठिन होती है। इसमें काफी समय लग जाता है।