पाकिस्तान:पाकिस्तान इन दिनों अंदरूनी कलह से परेशान है. यहां बलूचिस्तान और सिंध प्रांत को अलग देश घोषित करने की मांग तेज होती जा रही है. हर रोज पाकिस्तान की सड़कों पर हजारों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे यहां सिविल वॉर की आशंका बढ़ती जा रही है. अगर सिर्फ बलूचिस्तान की बात करें तो बलूच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान की सरकार और पाक आर्मी की नाक में दम करके रखा है और यही वह प्रांत है, जहां पाकिस्तान को सबसे बड़ा झटका भी लगा है.
पहलगाम में हुए आतंकी हमले और पाकिस्तान पर भारत की कार्रवाई के बाद बलोच आर्मी ने भी अपने एक्शन तेज कर दिए हैं. यहां आए दिन पाकिस्तानी आर्मी को निशाना बनाया जा रहा है, जिससे उसे बड़ा नुकसान पहुंचा है. इस बीच बलूचिस्तान खुद को अलग मुल्क भी घोषित कर चुका है और भारत समेत दुनिया के कई देशों से बलूचिस्तान को अलग देश के रूप में मान्यता देने की मांग भी कर रहा है.
अब खबर आई है कि बलोच आर्मी ने सुराब शहर पर भी कब्जा कर लिया है और यहां की बैंकों और सरकारी संस्थानों को अपने कंट्रोल में ले लिया है. अब सवाल यह है कि जिस तरह तालिबान ने अफगानिस्तान में ऑपरेशन चलाकर वहां की सरकार को गिराया था और काबुल पर कब्जा किया था, क्या वैसे ही बलोच आर्मी इस्लामाबाद पर कब्जा कर सकती है और यह कितना मुश्किल है?
अफगानिस्तान में इस समय तालिबान का कब्जा है. तालिबान ने 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर दूसरी बार कब्जा जमाया था. दरअसल, 2021 में तालिबानी लड़ाकों ने अफगानिस्तान की अशरफ गनी की सरकार के खिलाफ संघर्ष छेड़ा था. 6 अगस्त, 2021 को तालिबान ने अफगानिस्तान की पहली प्रांतीय राजधानी को अपने कब्जे में लिया था,
इसके बाद उसे पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने में मात्र 10 दिन लगे थे. 15 अगस्त, 2021 को तालिबानी लड़ाके राजधानी काबुल में घुस गए थे और यहां के सभी सरकारी कार्यालयों पर कब्जा जमा लिया था. इसी के साथ अशरफ गनी की सरकार गिर गई और अपनी जान बचाने के लिए गनी देश छोड़कर भाग गए थे.
अहम सवाल है कि क्या बलूच लिबरेशन आर्मी पाकिस्तान पर कब्जा जमा सकती है? बता दें कि तालिबान और बलोच आर्मी में बड़ा अंतर है. तालिबान जहां अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमाने के लिए लड़ रहा था, तो वहीं बलोच आर्मी सिर्फ बलूचिस्तान को पाकिस्तान से आजाद कराने के लिए लड़ रही है.
बलूच आर्मी का फोकस सिर्फ बलूचिस्तान और यहां की राजधानी क्वेटा पर है. इसके अलावा अफगानिस्तान की तुलना में पाकिस्तान की आर्मी कहीं ज्यादा सुसज्जित और रणनीतिक तौर पर भी मजबूत है. सबसे अहम बात है कि बलोच आर्मी को अंदरूनी तौर पर पाकिस्तान के किसी राजनीतिक दल का समर्थन भी नहीं प्राप्त है.
इसके अलावा उनके हथियार भी आर्मी के हथियारों की तुलना में कहीं नहीं टिकटे. ऐसे में फिलहाल यह संभव नहीं है कि कि बलोच आर्मी पूरे पाकिस्तान को अपने कब्जे में ले सके, जहां तक बलूचिस्तान की बात है तो यहां की जनता भी पाकिस्तान सरकार के खिलाफ है, ऐसे में उसे बलूचिस्तान के अंदर पूरा समर्थन प्राप्त है, हालांकि, पूरे पाकिस्तान में नहीं.