नई दिल्ली : 04 जून, 1989 को मानव सभ्यता के इतिहास में काले दिन के तौर पर जाना जाएगा। इस दिन कम्युनिस्ट पार्टी के उदारवादी नेता हू याओबैंग की हत्या या मौत के विरोध में हजारों छात्र बीजिंग के तियानमेन चौक (Tiananmen Square) पर प्रदर्शन कर रहे थे। कहते हैं कि तीन और चार जून की दरम्यानी रात को लोकतंत्र के समर्थकों पर चीन की कम्यूनिष्ट सरकार ने ऐसा कहर बरपाया जिसने इतिहास में काले अध्याय के तौर पर जगह बनाई। चीनी सेना ने निर्दोष लोगों पर फायरिंग की और उन पर टैंक दौड़ाए। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक इसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे जबकि एक ब्रिटिश खुफिया राजनयिक दस्तावेज में कहा गया है कि इस नरसंहार में 10 हजार लोगों की मौत हुई थी।
जब दुनिया भर में मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर बहस और पहलकदमियों का दौर जारी है, इस नरसंहार के तीस साल बाद भी चीन में कुछ भी बदलता नहीं दिख रहा है। आज 30वीं बरसी के मद्देनजर बीजिंग में सुरक्षा चाकचौबंद है। बीजिंग के तियानमेन चौक (Tiananmen Square) पर सुरक्षाकर्मियों की भारी तैनाती है। सेना भी मुस्तैद है ताकि तियानमेन चौक नरसंहार को लेकर किसी भी प्रकार का मेमोरियल न हो। सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों के बाद पुलिसकर्मी हर टूरिस्ट के कार्ड चेक कर रहे हैं।
इतिहास में हर दिन किसी न किसी अहम घटना से जुड़ा होता है। चार जून एक ऐसी तारीख है, जिस दिन कई बड़ी घटनाओं ने देश और दुनिया पर अपनी छाप छोड़ी। ऐसी ही एक घटना चार जून 1989 को चीन की राजधानी बीजिंग में घटी, जहां चीन की सेना ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे निहत्थे नागरिकों पर बंदूकों और टैंकों से कार्रवाई की जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए। इसे इतिहास में ‘थ्येनआनमन स्क्वायर नरसंहार’ के तौर पर जाना जाता है।
इसके अलावा चार जून 2001 की एक और बड़ी घटना हुई जब ज्ञानेंद्र वीर बिक्रम शाह ने नेपाल की राज सत्ता संभाली महाराजा ज्ञानेंद्र दुनिया के अंतिम हिन्दू सम्राट थे। हालांकि वह कुछ साल ही नेपाल के सम्राट के पद पर रह पाए क्योंकि उसके बाद एक बड़े आंदोलन के बाद उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया।
प्रदर्शनकारियों पर बर्बर कार्रवाई को जायज ठहराता रहा है चीन
दुनिया भर में भले ही इस नरसंहार की आलोचना होती हो लेकिन चीन की सरकार और प्रशासन 04 जून, 1989 को निर्दोश लोगों पर की गई सैन्य कार्रवाई को सही ठहराता है। चीन के रक्षा मंत्री भी साल 1989 में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को तत्कालीन सरकार की सही नीति करार चुके हैं। जनरल वेई फेंगहे ने सिंगापुर में क्षेत्रीय सुरक्षा के एक फोरम में इस घटना को राजनीतिक अस्थिरता करार दिया था। उन्होंने कहा था कि तत्कालीन सरकार ने इस सियासी संकट को रोकने के लिए जो कदम उठाए थे वो सही थे। जबकि अमेरिका समेत पूरी दुनिया में चीनी सेना की इस बर्बर कार्रवाई की निंदा की जाती है।
1896: हेनरी फॉर्ड ने अमेरिका के डेट्रॉइट शहर में अपना पहला मॉडल परीक्षण के लिए उतारा।
1919: अमेरिकी नौसेना ने कोस्टारिका पर हमला किया।
1928: चीन के राष्ट्रपति हांग जोलिन की जापानी एजेंट ने हत्या की।
1929: जॉर्ज ईस्टमेन ने पहली रंगीन फिल्म का नमूना पेश किया।
1936: हिंदी सिनेमा की जानी मानी अभिनेत्री नूतन का जन्म। उन्हें बंदिनी, सुजाता, अनाड़ी सहित अनेक फिल्मों में उनकी सदाबहार अदाकारी के लिए जाना जाता है।
1940: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी की सेना ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में प्रवेश किया।
1944: अमेरिकी सेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान रोम में प्रवेश किया।
1959: सी राजगोपालाचारी ने स्वतंत्र पार्टी बनाने की घोषणा की।
1964: मालदीव ने संविधान का निर्माण किया।
1970: ब्रिटेन से अलग होकर टोंगा एक स्वतंत्र देश बना।
1975: अमेरिकी अभिनेत्री एंजेलिना जोली का जन्म।
1982: इस्राइल ने दक्षिण लेबनान पर हमला किया।
1989: चीन की राजधानी बीजिंग में थ्येनआनमन चौक पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे नागरिकों पर सैन्य कार्रवाई।
1991: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली गैर साम्यवादी सरकार यूरोपीय देश अल्बानिया में बनी।
1997: दूरसंचार उपग्रह 2डी कक्ष में पहुंचा।
2001: नेपाल नरेश दीपेन्द्र का अस्पताल में निधन। वीर बिक्रम शाह ने नेपाल के सम्राट का पद संभाला।
2003: डोमिनिक गणराज्य की 18 वर्षीय सुंदरी एमीलिया वेगा मिस यूनिवर्स-2003 बनीं।
2006: यूगोस्लाविया के पूर्व गणराज्य मोंटेनेग्रो ने स्वतंत्रता की घोषणा की।
2015: घाना में एक पेट्रोल पंप पर लगी आग में 200 से अधिक लोगों की मौत।