बेलपत्र है भगवान शिव को अति प्रिय

नई दिल्ली: 18 फरवरी को देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। इस साल महाशिवरात्रि में काफी खास संयोग बन रहा है। ऐसे में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इस दिन भक्तगण भगवान शिव का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक करने के साथ धूतरा,स बेलपत्र सहित कई चीजें अर्पित करते हैं।

लेकिन इन सभी चीजों में बेलपत्र भगवान शिव को अति प्रिय है। इसे बिल्वपत्र भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते समय कुछ नियमों का ध्यान रखा जाए, तो वह जल्द प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

महाशिवरात्रि के दिन बेलपत्र चढ़ा रहे हैं, तो 3 या फिर 5 पत्ते चढ़ाना शुभ होगा। आप चाहे तो 11 पत्ते या फिर इससे भी ज्यादा चढ़ा सकते हैं।

भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने का एक नियम है। इसके लिए बेलपत्र को साफ पानी से धो लें। इसके बाद आप चाहे, तो केसर या चंदन का इस्तेमाल करके ‘ऊँ’ लिख सकते हैं। इसके बाद शिवलिंग में चढ़ाते समय चिकनी वाली तरफ को चढ़ाएं। उभरा हुआ भाग ऊपर की ओर होना चाहिए।

अगर किसी कारणवश आपको बेलपत्र नहीं मिल पा रहे हैं, तो शिवलिंग में चढ़े हुए बेलपत्र को लेकर साफ पानी या गंगाजल से धो लें और फिर चढ़ा दें। ऐसा करने भी शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

बता दें कि बेलपत्र अलग तरह की होती है, जिसमें एक में ही तीन पत्तियां होती है। इसलिए बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि तीन पत्ते वाली ही बेलपत्र चढ़ाएं। क्योंकि इन्हें भगवान शिव के तीन नेत्र के रूप में माना जाता है।

भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह गंदी न हो। इसके अलावा बेलपत्र में किसी भी प्रकार का दाग-धब्बे या फिर कटा हुआ न हो। कटी-फटी बेलपत्र चढ़ाने से शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती है।

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