देहरादून : भगवान शिव का पूजन में विशेष महत्व रखने वाला सावन माह आज यानी मंगलवार से शुरू हो गया है, इस बार सावन 31 अगस्त तक रहेगा। मलमास के चलते इस बार 58 दिनों को का सावन माह होगा। यह संयोग 19 वर्ष बाद बन रहा है। हालांकि, संक्रांति से सावन मानने वाले पर्वतीय क्षेत्रों में 17 जुलाई से सावन शुरू होगा।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार सावन या श्रावण महीने में जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा सच्चे मन से करता है, उसकी मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं। इसके साथ ही कन्याओं को सुयोग्य वर प्राप्ति का भी आशीर्वाद मिलने की मान्यता है।
मैदानी क्षेत्रों में पूर्णिमा से पूर्णिमा तक सावन मनाया जाता है। ऐसे में मैदानी क्षेत्रों में पहला सोमवार 10 अगस्त, दूसरा 17 (मलमास शुरू मध्य रात्रि), तीसरा 24, चौथा 31, पांचवां सात अगस्त, छठा 14 अगस्त, सातवां 21, जबकि आठवां सोमवार 28 अगस्त को होगा।
वहीं, पर्वतीय क्षेत्र के लोग सूर्यमान यानी संक्रांति से संक्राति तक सावन मनाते हैं। संक्रांति 17 जुलाई सोमवार से शुरू हो जाएगी। सूर्यमान का एक ही मास होता है।
चार से 31 अगस्त तक सावन रहेगा। यानी इस महीने सावन 58 दिनों का रहेगा। यह संयोग लगभग 19 वर्ष के बाद बना है। इससे पहले वर्ष 2004 में यह संयोग बना था।
मलमास के कारण दो महीने का सावन पड़ रहा है।
इस महीने का धार्मिक क्षेत्र के साथ ही सावन का प्रकृति से भी गहरा संबंध है। क्योंकि इस महीने में वर्षा त्रतु होने से पूरी धरती वर्षा के कारण हरी भरी हो जाती है। इसी महीने में कांवड़ के रूप में गंगाजल लाया जाता है।
आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं के अनुसार एक महीने में दो संक्रांति के बीच दो अमावस्या हो तो वह मलमास, पुरुषोत्तम मास अथवा अधिमास कहलाता है। एक महीने के भीतर 17 जुलाई व 16 अगस्त को अमावस्या है। ऐसे में इस दौरान मलमास रहेगा।
सावन के पहले दिन 4 जुलाई को त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, बुधादित्य योग, सनुफा योग और वाशी योग जैसे शुभ योगों का संयोग बन रहा है। इससे पहले ऐसा संयोग साल 2004 में बना था और अब 2023 में भी ऐसा ही संयोग बना है।