कई मकानों में पड़ीं बड़ी दरारें, लोगों ने छोड़े मकान

टिहरी: जोशीमठ आपदा के बाद से चंबा के मठियाणगांव (गुल्डी) व मंज्यूड़ गांव के लोग भी सहमे हैं। चंबा-उत्तरकाशी राजमार्ग पर बनाई गई सुरंग के ऊपर भू-धंसाव होने से मठियाण गांव के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।

यहां भूधंसाव के कारण कई मकानों में बड़ी दरारें पड गई हैं। जिसके कारण मठियाणगांव गांव के सात परिवारों ने अपने मकान छोड़ दिए हैं। प्रभावित परिवारों ने प्रशासन से शीघ्र सुरक्षात्मक उपाए करने की गुहार लगाई है।

ऋषिकेश-गंगोत्री राजमार्ग पर चंबा बाजार के ठीक नीचे बाईपास बनाने के लिए भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी ने जनवरी 2019 में 440 मीटर लंबी भूमिगत सुरंग का निर्माण शुरू किया।

दरार पड़ने से भयभीत ग्रामीणों ने कई बार सुरंग का निर्माण कार्य भी ठप रखा। गांव के चंडी प्रसाद कोठियाल, वीरेंद्र दत्त कोठियाल, राकेश कोठियाल, रमेश दत्त कोठियाल, देव प्रकाश कोठियाल, जगदीश प्रसाद कोठियाल, राम चंद्र सहित कई लोगों के मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आई हैं, जिसमें बहुमंजिला भवन के कई कमरे रहने लायक ही नहीं बचे हैं।

कई घरों को लोगों ने ताला लगाने के बाद छोड़ दिया है। वहीं, अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो दरार से क्षतिग्रस्त घरों के अंदर खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं। पीड़ित चंडी प्रसाद कोठियाल कहते हैं कि सुरंग निर्माण के कारण उनके आवासीय मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आई हैं।

ग्रामीणों के धरने प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने सुरक्षात्मक उपाय करने का लिखित आश्वासन दिया था। जांच टीमें और भूविज्ञानियों की टीमों ने भी मौका मुआयना किया। लेकिन, आज तक कोई नतीजा नहीं निकला।

चार धाम परियोजना को लेकर गठित हाई पावर कमेटी के सदस्य हेमंत ध्यानी का कहना है कि जोशीमठ मामले की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए मठियाण गांव में भूधंसाव मामले का गंभीरता से सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। संवेदनशील स्थानों में सुरक्षात्मक उपाय शीघ्र किए जाने चाहिए, ताकि स्थिति भयावह न बने।

आल वेदर परियोजना के तहत ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर चंबा में बनाई गई सुरंग के कारण मंज्यूड़ गांव में भी आवासीय भवनों में दरारें आई हैं। इसके कारण प्रभावित सोबन सिंह नेगी ने अपना पांच मंजिला आवासीय भवन छोड़ दिया है।

ग्राम प्रधान कुसुम नेगी ने बताया कि सुरंग से गांव के कई मकानों को खतरा है। शासन-प्रशासन से कई बार कार्रवाई की मांग की गई है। लेकिन, अभी तक मामला ठंडे बस्ते में पड़ा होने के कारण लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

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