पहाड़ से मैदान तक कड़ाके की ठंड

देहरादून उत्तराखंड में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। गुरूवार को ऊधमसिंहनगर का नूनतम तापमान सामान्य से 9 डिग्री कम रिकार्ड किया गया। गढ़वाल से कुमाऊं मंडल तक मौसम शुष्क रहा।

अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री अधिक 22.3 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री कम 1.1 डिग्री सेल्सियस रहा। देहरादून, हरिद्वार व रुड़की में दोपहर 12 बजे तक कोहरा छाए रहा। दोपहर एक बजे देहरादून का अधिकतम तापमान 22.3 डिग्री सेल्सियस रहा। न्यूनतम तापमान शून्य से माइनस 03 डिग्री मुक्तेश्वर का रहा।

मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि 8 जनवरी तक मौसम शुष्क रहेगा। हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, रुड़की व डोईवाला में घना कोहरा छाए रगेगा। इसके लिए एलो अलर्ट जारी किया है। पिछले 83 दिनों से उत्तराखंड में बारिश नहीं हुई है। नवंबर व दिसम्बर में उत्तराखंड में 98 प्रतिशत बारिश सामान्य से कम हुई।

सूखी ठंड व शीतलहर के कारण चकराता व ऊंचाई वाले ग्रामीण इलाकों में लोग कांप रहे हैं। कड़ाके की ठंड के कारण चकराता के बाजार देर से खुल रहे हैं और सांझ ढलने से पहले ही बंद हो रहे हैं। व्यापारी दिनभर में कुछ ही घंटे व्यापार कर पा रहे हैं। हालत ये हैं कि भयंकर पाला पड़ने के कारण पानी जम रहा है।

इस बार जनवरी के प्रथम सप्ताह में भी बर्फबारी न होने से किसान व बागवानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। वर्षा न होने से जमीन में नमी प्रतिशत काफी कम होने की वजह से पड़ रहा पाला फसलों को झुलसा रहा है। उधर, पछवादून के विकासनगर, डाकपत्थर, सहसपुर, सेलाकुई, हरबर्टपुर क्षेत्र में कोहरा परेशानी की वजह बना हुआ है।

इस बार मौसम के मिजाज ने हर किसी की परेशानी बढ़ा दी है। पारा माइनस में पहुंचने के कारण चकराता व ऊंचाई वाले गांव लोखंडी, लोहारी, जाड़ी समेत करीब डेढ दर्जन गांवों में कड़ाके की ठंड है। सुबह व शाम को शीतलहर ने सभी को कंपकपा दिया है।

घरों में अंगीठी का सहारा लेने पर भी ठंड से पूरी तरह से निजात नहीं मिल रही है। रात में पड़ रहा पाला इस तरह से जम रहा है कि मानों बर्फ पड़ गई हो। ऊंचाई वाले गांवों में पेयजल लाइनें जमने से पानी का संकट भी गहराने लगा है। पाले के जमने की वजह से किसान मवेशियों के लिए चारा पत्ती लाने को जंगलों में भी नहीं जा पा रहे हैं। सूर्यदेव के दर्शन होने पर ही जंगलों से चारा पत्ती का जुगाड़ किया जा रहा है।

पाले की वजह से मटर, टमाटर आदि फसलें बर्बाद हो रही है। हिमालय से आ रही शीतलहर के कारण गर्म कपड़े पहनने के बाद भी हाथ-पैर ठंडे पड़ रहे हैं। जिससे सीएचसी चकराता की ओपीडी में कामन कोल्ड के मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है।

आजकल त्यूणी-चकराता-मसूरी राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाले के कारण सबसे अधिक फिसलन है। एनएच अधिकारी चूना आदि डलवाने के प्रति लापरवाह बने हुए हैं। लेबरा, लोखंडी, लोहारी, बुराइला, सिजला, कोटी कनासर आदि क्षेत्रों में सूखी ठंड की वजह से ग्रामीणों की परेशानियां बढ़ी हुई है।

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