बोधि वृक्ष: यहां परिंदा भी नहीं मार सकता पर !

उदय दिनमान डेस्कः ये वही पेड़ है जिसके नीचे बैठकर महात्मा वृद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति की थी। इसलिए इसे बोधि वृक्ष कहा जाता है। हर साल इस पेड़ को देखने के लिए 5 लाख की संख्या में लोग गया आते हैं, जिनमें से डेढ़ लाख संख्या विदेशी लोगों की होती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पीपल के पेड़ बोधि वृक्ष की सुरक्षा के लिए यहां 24 घंटे पुलिस की तैनाती रहती है। इसकी सुरक्षा के लिए बिहार मिलिट्री पुलिस की चार कंपनियों को लगाया हुआ है। पेड़ की सुरक्षा इतनी कड़ी होती है कि इसके आसपास के इलाके में जवानों की मंजूरी के बिना यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता।

सबसे पहले सम्राट अशोक की रानी ने इसे खत्म करने का मन बनाया था। उस वक्त सम्राट अशोक दूसरे प्रदेशों की यात्रा पर गये हुए थे। अपने कुछ निजी कारणों के चलते चोरी-छुपे उस पेड़ को कटवाना चाहा, लेकिन उनका ये प्रयास सफल न सका। अपनी मजबूत जड़ों की वजह से ये पेड़ दोबारा उग गया।

दूसरी बार बंगाल के राजा शशांक ने इस पेड़ को नष्ट करने के लिए इसमें आग लगवा दी, ताकि ये दोबार कभी उग ही न सके। लेकिन ये आग इस पेड़ की सभी जड़ों को न खत्म कर पाईं, इस घटना के कुछ साल बाद ये पेड़ दोबारा उगा।तीसरी बार 1876 की भारी प्राकृतिक आपदा के कारण ये पेड़ नष्ट हुआ, जिससे बोद्ध अनुयायी काफी हताश और निराश हुए। उनकी इसी निराशा को देखते हुए अंग्रेजी शासक अलेक्जेंडर कनिंघम ने श्रीलंका के अनुराधापुरम से बोधि वृक्ष की टहनियां मंगवाई और दोबारा इस पेड़ को उगाया।

आपको बता दें, सम्राट अशोक की पत्नी के नष्ट करवाने के बाद जब ये पेड़ दोबारा उगा था, तो सम्राट अशोक ने अपनी बेटी और बेटे को बोधि वृक्ष की टहनियां देकर श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए भेजा था। इन्हीं टहनियों को श्रीलंका के अनुराधापुरम में लगाकर पेड़ उगाया गया था। ये श्रीलंका का दूसरा बोधि वृक्ष था।

बाद में यही पेड़ पहले पेड़ को दोबारा उगाने में मदद आया। साल 2007 में अनुराधापुरम के पेड़ का DNA टेस्ट कराया गया और ये साबित भी हुआ कि वही पेड़ है जिसके नीचे महात्मा बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ती की थी।इसी वजह से अपनी पीढ़ी के चौथे पेड़ को सुरक्षा के लिए यहां हमेशा पुलिस को तैनात किया रखा गया है, ताकि अब कोई इसे नष्ट न कर सके।

२) दूसरा एसा पेड़ मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर की पहाड़ी पर लगा है। मध्य प्रदेश सरकार इस पेड़ की देखरेख पर हर साल 12 से 15 लाख रुपए खर्च करती है यहां तक इस पेड़ की सुरक्षा के लिए हफ्ते के सातों दिन 24 घंटे चार पुलिस लगे रहते है।सौ एकड़ की पहाड़ी पर लोहे की लगभग 15 फीट ऊंची जाली के अंदर लहलहाता है यह वीवीआईपी बोधि वृक्ष। 24 घंटे इसकी सुरक्षा-देखभाल के लिए चार होमगार्डों की तैनाती रहती है।

इस पेड़ को इतना महत्व देने के पीछे एकदम मान्यता मौजूद है। इस पेड़ को बोधिवृक्ष कहा जाता है और इसे श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे ने लगाया था। यह वही बोधि वृक्ष की टहनी है जो जिसके नीचे गौतम बुद्ध को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसी को महत्व देते हुए इसकी सुरक्षा और बंदोबस्त को इतना महत्व दिया गया हैं।

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