जेट की सेवाएं बंद होने से उसके 22 हजार कर्मचारियों की जिंदगी थम-सी गई है
कर्मचारियों में कुछ को दूसरी एयरलाइंस से आधी सैलरी पर काम करने का ऑफर मिला है, बाकी को कल का पता नहीं
इनके अलावा ट्रैवल एजेंट्स और एयरपोर्ट आउटलेट्स पर भी इसका असर पड़ा है
26 बरसों से सेवाएं दे रही जेट एयरवेज का ऑपरेशन बुधवार से रुक गया है
नई दिल्ली : अनगिनत सपने और खुशहाल जिंदगी में अगर सब कुछ लूट जाए तो कोई क्या करेगा। सिर्फ आंखों में आसू के सिवाय क्या कर सकता है। ऐसा ही कुछ है देश के 22 हजार उन लोगों के सामने जो कल तक हसी खुशी जी रहे थे और आज उनके सामने जीवन का संकट है। होम लोन की ईएमआई, बच्चों के स्कूल की फीस… बात सिर्फ यहीं तक नहीं, जिंदगी के सारे सपने मानो एक पल में क्रैश हो गए हों। करीब दो दशक से जेट एयरवेज के कर्मचारियों की जिंदगी अच्छी तरह उड़ान भर रही थी, अचानक वे ऐसा ‘टर्बुलेंस’ झेल रहे हैं, जिसके खत्म होने के अभी आसार नहीं दिख रहे। अपना दर्द बयान करते हुए उनका गला रुंध जाता है, आंखों में आंसू छलक पड़ते हैं।
महीनों से सैलरी न मिले और फिर जॉब भी चली जाए तो सोचिए क्या गुजरेगी। जेट एयरवेज की लैंडिंग से हजारों कर्मचारी और उनके परिवार इसी पीड़ा से गुजर रहे हैं। सभी के सारे सपने एक पल में क्रैश हो गए। करीब दो दशक से जेट एयरवेज के कर्मचारियों की जिंदगी अच्छी तरह उड़ान भर रही थी, अचानक वे ऐसा ‘टर्बुलेंस’ झेल रहे हैं, जिसके खत्म होने के अभी आसार नहीं दिख रहे। अपना दर्द बयान करते हुए उनका गला रुंध जाता है, आंखों में आंसू छलक पड़ते हैं।
असिस्टेंट बेस मैनेजर हरप्रीत कौर 22 साल से जेट एयरवेज में हैं। आज जेट के दरवाजे उनके लिए बंद होने से वह हतप्रभ हैं। वह अकेली नहीं हैं। बात चाहे 16 साल से काम कर रहे सीनियर कैप्टन राजेश हांडा की हो या महज 5 साल बिताने वाली एयर होस्टेस रेनू राजौरा की… फेहरिस्त लंबी है। जेट की सेवाएं बंद होने से उसके 22 हजार कर्मचारियों की जिंदगी थम सी गई है। कर्मचारियों में कुछ को दूसरी एयरलाइंस से आधी सैलरी पर काम करने का ऑफर मिला है, बाकी को कल का पता नहीं। इनके अलावा ट्रैवल एजेंट्स और एयरपोर्ट आउटलेट्स पर भी इसका असर पड़ा है।
जेट एयरवेज का ऑपरेशन बुधवार से पूरी तरह बंद हो गया। इसके 22 कर्मचारी अचानक सड़क पर आ गए। भविष्य की चिंता में इन कर्मचारियों ने मुंबई-दिल्ली में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में शामिल कई कर्मचारियों के आंसू छलक पड़े।गुरुवार को जेट एयरवेज के ढेरों कर्मचारियों ने जंतर-मंतर पर बड़ा विरोध प्रदर्शन किया, जिसे साइलेंट अपील का नाम दिया गया। आगे देखिए, कैसे रो पड़े जेट एंप्लॉयी…
जेट एयरवेज में पायलट, एयर होस्टेस से लेकर काउंटर तक पर काम करने वाले कर्मचारियों के सामने बड़ी समस्या आ गई है। अपना दर्द बयान करते हुए जेट एयरवेज के कर्मचारियों का गला रुंध जाता है, आंखों में आंसू छलक पड़ते हैं। होम लोन की ईएमआई, बच्चों के स्कूल की फीस… बात सिर्फ यहीं तक नहीं, जिंदगी के सारे सपने मानो एक पल में क्रैश हो गए हों।
करीब दो दशक से जेट एयरवेज के कर्मचारियों की जिंदगी अच्छी तरह उड़ान भर रही थी, अचानक वे ऐसा ‘टर्बुलेंस’ झेल रहे हैं। जेट की सेवाएं बंद होने से उसके 22 हजार कर्मचारियों की जिंदगी थम-सी गई है। कर्मचारियों में कुछ को दूसरी एयरलाइंस से आधी सैलरी पर काम करने का ऑफर मिला है, बाकी को कल का पता नहीं।
जब कोई को-पायलट बनता है तो उसकी ट्रेनिंग का खर्च करीब सवा करोड़ रुपये के आसपास आता है। उसकी ईएमआई सवा लाख के आसपास जाती है। उसके चार से पांच साल के बाद वह पायलट बनता है। इन कर्मचारियों ने कितने सपने संजोए थे, लेकिन सब चकनाचूर होते नजर आ रहे हैं। अलग-अलग लोगों की अलग-अलग चिंताएं हैं। किसी को बच्चों की स्कूल फीस भरनी है तो किसी को लोन की ईएमआई देनी है। अब कहां से आएंगे पैसे, यही सोचकर आंसू नहीं रुक रहे।
जेट का परिचालन बंद हुआ तो यह पिछले पांच साल में बंद होने वाली सातवीं एयरलाइन कंपनी बन गई। कर्मचारियों का कहना है कि देश में एयरलाइन इंडस्ट्री जिस दौर से गुजर रही है, उसमें नई नौकरी मिलना आसान नहीं है। इनके अलावा ट्रैवल एजेंट्स और एयरपोर्ट आउटलेट्स पर भी इसका असर पड़ा है।
एयरलाइंस में नौकरी पाना एक समय ड्रीम पूरा होने के बराबर माना जाता था, लेकिन यह चार्म खत्म होता नजर आ रहा है। जहां से थोड़ी भी उम्मीद की किरण नजर आती है, जेट के कर्मचारी वह दरवाजा खटाखटाने से नहीं चूक रहे। लेकिन, बड़ा सवाल अब भी यही है कि क्या जेट एयरवेज फिर से उड़ान भर पाएगी?
26 बरसों से सेवाएं दे रही जेट एयरवेज का ऑपरेशन बुधवार से रोक दिया गया है। यह पिछले पांच साल में बंद होने वाली सातवीं एयरलाइन कंपनी है। बैंकों ने कर्ज में डूबी कंपनी को और मदद देने से इनकार कर दिया है। गुरुवार को कंपनी के ढेरों कर्मचारियों ने जंतर-मंतर पर बड़ा विरोध प्रदर्शन किया, जिसे साइलेंट अपील का नाम दिया गया। एयरलाइंस में नौकरी पाना एक समय ड्रीम पूरा होने के बराबर माना जाता था। लेकिन यह चार्म खत्म होता नजर आ रहा है।
जेट एयरवेज में 16 साल से सीनियर कैप्टन राजेश हांडा कहते हैं पिछले 4 महीने से सैलरी नहीं मिली है। घर के लिए लोन लिया हुआ है, दो बच्चे हैं, स्कूल फीस भरनी होती है। अगर घर की किस्त नहीं दी, तो बैंक डिफॉल्टर घोषित कर देगा। बिना सैलरी के कितने दिन तक घर का खर्च कैसे चलेगा, यह सोचकर पूरा परिवार चिंता में है। जब कोई को-पायलट बनता है तो उसकी ट्रेनिंग का खर्च करीब सवा करोड़ रुपये के आसपास आता है। उसकी ईएमआई सवा लाख के आसपास जाती है। उसके चार से पांच साल के बाद वह पायलट बनता है। कितने सपने संजोए थे, लेकिन सब चकनाचूर होते नजर आ रहे हैं।
जेट में असिस्टेंट बेस मैनेजर हरप्रीत कौर पिछले 22 साल से यहां जॉब कर रही हैं। 20 साल तक वे एयर होस्टेस थीं। पिछले दो साल से ऑपरेशंस देख रही हैं। वह कहती हैं, इतने साल तक यहां नौकरी की। मार्केट में जैसे हालात हैं, उनमें दूसरी नौकरी मिलना आसान नहीं, … कहते-कहते जोर-जोर से रोने लगती हैं। बूढ़े मां-बाप को भी देखना है, बेटे ने दसवीं के एग्जाम दिए हैं। अभी फीस देनी है। ये सब कहां से होगा। कितने दिन तक बिना सैलरी और नौकरी के चलेगा, कुछ समझ में नहीं आ रहा।
“एक महीने से सैलरी नहीं मिली। घर का रेंट देना है। बुजुर्ग मां-बाप हरियाणा में रहते हैं, उनका भी खर्च चलाना है। अब नौकरी ही नहीं रहेगी तो घर लौटना पड़ेगा। करियर बनाने के लिए कितनी कड़ी मेहनत की थी, लेकिन पल भर में सबकुछ बिखर सा गया है।”
-रेनू राजौरा, जेट एयरहोस्टेस
रेनू राजौरा पिछले पांच साल से जेट में एयर होस्टेस हैं। उनका कहना है कि एक महीने से सैलरी नहीं मिली। घर का रेंट देना है। भाई कॉलेज में पढ़ता है, उसकी फीस का इंतजाम भी उन्हें ही करना पड़ता है। बुजुर्ग मां-बाप हरियाणा में रहते हैं, उनका भी खर्च चलाना है। दिल्ली में किराये पर रहती हैं। खाने-पीने से लेकर बिजली-पानी तक के तमाम खर्चे हैं। अगर अब नौकरी ही नहीं रहेगी तो घर लौटना पड़ेगा। करियर बनाने के लिए कितनी कड़ी मेहनत की थी, लेकिन पल भर में सबकुछ बिखर सा गया है।
‘मैं पूरी लाइफ जेट को दे दी, अब क्या करूं’
विकास टंडन पिछले 20 साल से जेट एयरवेज के साथ हैं। असिस्टेंट मैनेजर एयरपोर्ट सर्विसेज विकास टंडन बड़े ही दुखी मन से कहते हैं कि उन्होंने पूरी लाइफ जेट को दे दी। इस एयरलाइंस के साथ उनकी संवेदनाएं जुड़ी हुई हैं। सबसे बड़ी चिंता तो यह है कि जब इतनी बड़ी एयरलाइंस का यह हाल हो सकता है तो बाकी का क्या होगा। ढाई महीने से सैलरी नहीं मिली है, परिवार के खर्च चलाने की चिंता सता रही है। सब कैसे होगा?
बता दें कि कभी देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइंस रही जेट एयरवेज ने बुधवार को पैसों की किल्लत के कारण अपने सभी विमानों को खड़ा कर दिया। कंपनी के इस फैसले के साथ ही जेट में काम करने वाले कर्मचारियों पर जैसे मुसीबतों पर पहाड़ टूट पड़ा है।
