छठ महापर्व: दो साल बाद दिख रहा उल्लास

देहरादून: पूर्वांचल के नागरिकों का प्रमुख चार दिवसीय छठ पर्व शुक्रवार आज से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा। इसके लिए अधिकांश घाटों की सफाई करने के साथ ही प्रकाश की व्यवस्था की गई है।

पूर्वा सांस्कृतिक मंच व बिहारी महासभा की ओर से देहरादून के विभिन्न घाटों पर बेहतर व्यवस्था बनाने के लिए कार्य किया गया। वहीं, बाजार में छठ पूजा के लिए खरीदारी के लिए जमकर भीड़ उमड़ी।

मान्यता है कि सूर्य उपासना करने से छठी मइया प्रसन्न होती है और पुत्र, दीर्घायु, परिवार को सुख शांति और धन-धान्य से परिपूर्ण करती है।उन्होंने बताया कि पर्व के दूसरा यानी खरना वाले दिन रात में खीर खाकर 36 घंटे के लिए कठिन व्रत रखा जाता है।

सब्जियों में गुरुवार को सामान्य दिनों के मुकाबले लौकी की मांग खूब रही। दरअसल, नहाय खाय के दिन लौकी की सब्जी, अरहर की दाल व कच्चा चावल का भात व्रती भोजन में ग्रहण करते हैं। देर शाम तक लालपुल, मोती बाजार सब्जी मंडी, धर्मपुर, प्रेमनगर आदि मंडियों में देर शाम तक लोग सब्जी के लिए लौकी की खरीदारी करते नजर आए।

पर्व को लेकर पूर्वा सांस्कृतिक मंच के पदाधिकारियों और कार्यकर्त्ताओं ने हरबंशवाला, चंद्रबनी, रायपुर, केशरवाला, मालदेवता, गुल्लरघाटी, गढ़ी कैंट, काठबंगला समेत सभी 18 घाटों में दिनभर साफ-सफाई की।

कूड़ा साफ करने के अलावा घाटों पर मिट्टी के ढेर को समतल किया, नालियों की सफाई की। मंच के संस्थापक महासचिव सुभाष झा ने बताया कि सभी घाटों में साफ-सफाई का कार्य पूरा हो चुका है।

बिहारी महासभा के सचिव चंदन कुमार झा ने बताया कि नहाय खाय के साथ बिहारी महासभा खाने में कद्दू भात से व्रत कार्यक्रम की शुरुआत करेगा। जिसमें व्रती नदी में स्नान के बाद पानी घर लाते हैं और इस पानी से प्रसाद बनाते हैं।

ब्रह्मपुरी स्थित राज्य का पहला छठ पार्क भी पूरी तरह से छठ पूजा के लिए तैयार किया गया है। इससे व्रतियों को पूजा करने में काफी सुविधा मिलेगी। ब्रह्मपुरी के वार्ड-74 में वर्ष 2021 में अमृत योजना के तहत 74 लाख रुपये से साढ़े पांच बीघा भूमि में इस पार्क में पूजा के लिए अलग से कुंड स्थापित किया गया है। इसी के पास छोटी नहर का भी निर्माण किया गया है। इससे श्रद्धालु भगवान सूर्य को जल अर्पित कर सकेंगे।

नहाय-खाय के बाद व्रत रख घाटों की सफाई और पूजा होगी। शनिवार को खरना वाले दिन निर्जला व्रत रख शाम को खीर के प्रसाद के साथ व्रत खोला जाएगा। रविवार को विभिन्न घाटों पर अस्ताचलगामी यानी ढलते सूर्य को जल अर्पित कर अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि सोमवार को उदीयमान यानी उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह महापर्व संपन्न होगा।

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