बीजिंग। चीन की ‘जीरो कोविड नीति’ फेल होती दिख रही है। जैसे-जैसे चीन के ज्यादातर शहरों में कोरोना का प्रकोप फैलता जा रहा है, इस नीति पर अब सवाल उठने लगे हैं। मार्च महीने के बाद से कई जगहों पर महामारी के उभरने और फिर से फैलने के साथ कोरोना मामलों की संख्या 5 लाख से अधिक हो गई है। वहीं वहां की सरकार अभी भी इस नीति को कारगर बता रही है।
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने सोमवार को कहा कि देश में पिछले 24 घंटों में 18 हजार से ज्यादा मामले मिले जिसमें से 2,666 में कोरोना लक्षण पाए गए हैं वहीं 16900 मामले बिना कोरोना लक्षण के हैं। दूसरी ओर इस दौरान 51 लोगों ने अपनी जान गवाईं है। नए मामलों में से 2,472 संक्रमण शंघाई में दर्ज किए गए, जबकि शेष मामले 17 अन्य प्रांतीय स्तर के क्षेत्रों में दर्ज किए गए।
स्टेट मीडिया आउटलेट ग्लोबल टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक संपादकीय में अखबार ने कहा कि चीन के लिए जीरो कोविड नीति का पालन करना अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इस नीति से ही कोई हल निकलने वाला है लेकिन केसों का बढ़ना कई सवाल उठा रहा है। वहीं अंग्रेजी दैनिक ने भी कहा कि पिछले अनुभव ने साबित कर दिया है कि “डायनेमिक जीरो” रणनीति जिसका उद्देश्य एक बार पता चलने पर प्रकोप को कम करना है, प्रभावी और सही है।
ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, कुछ क्षेत्र महामारी की रोकथाम और नियंत्रण के बहाने मनमाने ढंग से राजमार्गों को बंद कर देते हैं, कुछ संक्रमण की सूचना न होने पर भी प्रतिबंध लागू कर रहे हैं। अखबार ने कहा कि ये चीजें ही गतिशील जीरो कोविड नीति का गलत असर दिखा रही है।
बता दें कि चीन की जीरो कोविड नीति के अनुसार देश के कई शहरों में न्यूक्लिक एसिड टेस्ट करवाने के साथ-साथ कई हफ्तों तक एक सख्त लाकडाउन की रणनीति को अपनाया जाता है। वहीं चीनी सरकार के इस सख्त नियमों का अब लोग सड़कों पर आकर विरोध करने लगे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इससे कोरोना और तेजी से फैलने लगा है।