पौड़ी:आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर देश में अजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा जल संरक्षण को बढावा देने हेतु देश के प्रत्येक जनपद में 75 अमृत सरोवर बनाने हेतु एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है।
जनपद पौड़ी गढ़वाल में जिलाधिकारी डॉ0 विजय कुमार जोगदण्डे के कुशल नेतृत्व में ग्रामीण क्षेत्रों में जल संचय को बढ़ावा मिलने के साथ ही साथ अमृत सरोवरों (तालाबों) के निर्माण से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढेगे। बनाये जा रहे अमृत सरोवरों से जहां महिलाओं, युवाओं व बेरोजगारों को रोजगार मिल रहा है वहीं अमृत सरोवरों से प्राकृतिक वर्षा जल व भूमिगत जलस्त्रोंतों के जल स्तर में सुधार होगा।
अमृत सरोवर निर्माण की गतिविधियों के अन्तर्गत विकासखण्ड पौड़ी की ग्राम सभा अयाल में भी मनरेगा जॉब कार्डधारी परिवारों द्वारा जल संरक्षण कार्य को पूर्ण करने हेतु संकल्प लिया गया एवं संकल्प को पूर्ण कर अयाल गांव में अमृत सरोवर का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया।
प्राकृतिक वर्षा जल एवं निकटम जल स्त्रोतों के माध्यम से लगभग 3.06 लाख लीटर जल भराव क्षमता एवं 0.025 हैं0 कुल क्षेत्रफल वाले इस अमृत सरोवर की कुल लागत रूपए 5 लाख मात्र है। अमृत सरोवर अयाल के कार्य आरम्भ होने से एवं कार्य पूर्ण होने तक जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ0 विजय कुमार जोगदण्डे के निर्देशन पर जिला स्तरीय अधिकारी, विकासखण्ड स्तरीय अधिकारी एव ग्राम प्रधान अयाल की देखरेख में पूर्ण किया गया, वही अमृत सरोवर मोबाइल एप्प द्वारा समय-समय पर प्रगति फीड की गई।
ग्राम अयाल के अमृत सरोवर निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरान्त स्वयं सहायता समूह की आजीविका वृद्धि करने के उद्देश्य से समूह की महिलाओं को मत्स्य उत्पादन एवं निगरानी सबंधी प्रशिक्षण प्रदान करने के उपरान्त मत्स्य विभाग द्वारा अमृत सरोवर में प्रथम चरण में लगभग 500 मत्स्य बीज डाले गये जो कि लगभग 7 माह में प्रत्येक मछली लगभग 600 ग्राम की रूपए 250 से 300 प्रति किलोग्राम की दर से बाजार में विक्रय हेतु भेजी जायेगी, जिसमें समूह का अनुमानित लगभग एक लाख तक होने की सम्भावना है। दूसरे चरण में मत्स्य विभाग द्वारा स्वयं सहायता समूह को निकटम बाजारों को मछली विक्रय किए जाने हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा।
अमृत सरोवर के निर्माण से रोजगार के नये संसाधन उपलब्ध होंगे, जिससे सरोवर में कार्य करने वाले स्वयं सहायता समूह की महिलाएं एवं उनके परिवार को भी आर्थिक लाभ होगा जिससे पलायन रोकने में भी मदद मिलेगी, चूंकि पहाड़ी क्षेत्रों में अधिकतर लोग रोजगार की तलाश में अपना घर व गांव छोड़ देते हैं, जहां एक ओर आर्थिक रूप से फायदा होगा वही ऐसे प्रयासों से सरोवर में जल संरक्षण एवं स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।