कोरोना: निशाने पर 40 करोड़,खतरा मंडरा रहा सिर पर

नई दिल्ली: पिछले दिनों आईसीएमआर का सीरो सर्वे आया, जिससे पता लगा कि भारत की 68 फीसदी आबादी कोविड से संक्रमित हो चुकी है और तकरीबन 40 करोड़ लोगों पर अभी खतरा मंडरा रहा है। इस बीच वैक्सीन को लेकर भी लोगों की दुविधा देखने को मिल रही है।हालिया सीरो सर्वे में 68 फीसदी आबादी के कोविड संक्रमित होने की बात कही गई है।

68 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी मिलने का मतलब है कि सौ आदमी में से 68 को इन्फेक्शन हो चुका है, इसलिए एंटीबॉडी तैयार हुई। ऐसा भी हो सकता है कि उस 68 फीसदी में कुछ लोगों ने वैक्सीन ले रखी हो, इस वजह से एंटीबॉडी तैयार हुई। बाकी रह गए 32 प्रतिशत, तो इस 32 प्रतिशत में एंटीबॉडी नहीं आई है। इनमें लड़ने की क्षमता पैदा नहीं हुई है, क्योंकि इनको संक्रमण नहीं हुआ है और वैक्सीन भी नहीं लगी है।

यह बहुत बड़ा देश है। मास बेस में इसे अलग-अलग तरीके से देखते हैं। जब दूसरी लहर आई थी, तो पूरे देश में हुए संक्रमण का 80 प्रतिशत दस राज्यों से आया था। देश में 19 राज्य ऐसे थे, जिनमें वैसा संक्रमण नहीं फैला, जैसा कि दिल्ली में या फिर महाराष्ट्र में पाया गया था। तो इन तमाम राज्यों में जो लोग हैं, उनमें एक आशंका जरूर है। यहां मैं दो चीजें कहना चाहूंगा। 32 प्रतिशत यानी लगभग 40 करोड़ लोग। इन 40 करोड़ लोगों में एंटीबॉडी नहीं है।

ये बहुत सारे राज्यों में फैले हुए हैं। तो जिस जिस राज्य में दूसरी लहर इतनी ऊंचाई तक नहीं गई, संक्रमण उतना नहीं फैला, वहां अगर तीसरी लहर आती है तो डर तो है ही, जोखिम भी है। इन राज्यों में जरूर सावधानी बरतनी चाहिए।देश में अगस्त से दिसंबर के बीच तीसरी लहर के आने की भविष्यवाणी की जा रही है।

यह भविष्यवाणी की बात नहीं है। यह मॉडलिंग एक्सरसाइज है। मान लीजिए कि हिमाचल प्रदेश में दूसरी लहर के बाद पिछले दिनों बहुत सारे टूरिस्ट चले गए। जिसको हम पॉप्युलेशन डेंसिटी कहते हैं, वहां वह अचानक बढ़ गई, तो उधर संक्रमण फैलने के चांस भी बढ़ गए। यह भविष्यवाणी नहीं है, विज्ञान है। जिस राज्य में पहली या दूसरी लहर में ज्यादा संक्रमण नहीं हुआ, उस राज्य में जरूर जोखिम है।हाल में यह खबर भी आई है कि वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बावजूद कुछ लोग डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित हुए।

अभी देश में डेल्टा वैरिएंट फैल रहा है तो इसके लिए भी वही सावधानियां रखनी होंगी, जो कोरोना के लिए रखते हैं। कोविड का जो टीका है, वह आपको संक्रमण से लड़ने की ताकत तो देता है, लेकिन वह संक्रमण को रोकता नहीं है। आपने टीका लगवा लिया, उसके बाद अगर आपको संक्रमण हो गया तो वह गंभीर नहीं होगा।

आपको अस्पताल में एडमिट होने, ऑक्सिजन या इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन संक्रमण फिर भी आपको हो सकता है, और आपसे दूसरों में फैल भी सकता है। इसलिए मास्क तो हमेशा लगाए रहना चाहिए।दूसरी लहर में कुछ लोग बार-बार ऑक्सिमीटर इस्तेमाल करते थे, यह देखने के लिए कि शरीर में ऑक्सिजन लेवल क्या है।

अमेरिका का जो एफडीए है, उसका और हमारा यही कहना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद किसी को अपनी एंटीबॉडी की जांच कराने की जरूरत नहीं है। जब टीका लगाते हैं तो शरीर में दो किस्म की लड़ने की क्षमता आती है। एक है एंटीबॉडी मिडियेटेड इम्यूनिटी, जो टीके से मिलती है, और एक है सेल मिडियेटेड इम्युनिटी, जो शरीर डिवेलप करता है। इन दोनों को न नापकर अगर सिर्फ एंटीबॉडी नापते हैं और उसके नंबरों से परेशान होते हैं तो यह नहीं करना चाहिए।

यह भी एक गलत बात है। हमें मानना चाहिए कि टीका सबको लगवाना ही पड़ेगा। किसी में यह क्षमता नहीं है कि वह कोविड से गारंटी से सुरक्षित रह सकता है। विज्ञान कहता है कि ऐसा कोई केस नहीं है कि महामारी के इस दौर में किसी को कोविड नहीं होगा। इसलिए टीका तो सबको लगवाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *