यहां पेड़ों से लिपटकर और ट्री हाउस में योग से दूर करें व्याधियां
रानीखेत: कालिका वन रेंज में देश का पहला हीलिंग सेंटर यानि वन एवं प्राकृतिक उपचार केंद्र लोगों को खूब भाने लगा है। विभिन्न राज्यों से सैरसपाटे को यहां पहुंचने वाले खासतौर पर प्रकृति प्रेमी सैलानी मानसिक सुकून के लिए जैवविविधता से लबरेज जंगल में चीड़ के पेड़ों से लिपटे देखे जा सकते हैं।
चूंकि वनाग्नि के लिहाज से घातक समझे जाने वाला चीड़ वृक्ष मानवमित्र भी है और इससे निकलने वाला तैलीय यौगिक श्वेत रक्त कणिकाओं में बढ़ोतरी कर प्रतिरोधी क्षमता में वृद्धि करता है। इसीलिए बड़े ही नहीं बच्चे भी एकाग्रता व तनावमुक्ति को यहां का रुख करने लगे हैं।
पर्यटक नगरी रानीखेत से लगभग छह किमी दूर कालिका में यही कोई 13 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है हीलिंग सेंटर। हीलिंग अर्थात रोग हरने वाली प्रकिया यूं तो भारतीय दर्शनशास्त्र में वैदिककाल से ही चली आ रही है।
मगर वैश्विक महासंकट कोरोना से जंग के बीच प्रकृति एवं जंगलात से जुड़ प्राकृतिक उपचार के जरिये प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने का क्रेज तेजी से बढ़ा है। यही वजह है कि रानीखेत में देश का पहला हीलिंग सेंटर स्थापित होने के बाद पर्यटकों का रुझान इस ओर तेजी से बढ़ रहा है।
वन एवं प्राकृतिक उपचार केंद्र ने बीते वर्ष मार्च में यहां मूर्तरूप लिया था। डेढ़ वर्ष से ज्यादा की इस अवधि में अब तक 200 से ज्यादा सैलानी प्रकृति से जुड़ शारीरिक उपचार को यहां पहुंच चुके हैं। स्थानीय लोगों को मिलाकर यह आंकड़ा और अधिक है।
चूंकि जापान में चीड़ के पेड़ों के बीच हीलिंग प्रक्रिया के परिणाम बेहतर आए हैं इसलिए भारत में अपनी वन एवं प्रकृति आधारित पुरातन चिकित्सा पद्धति के प्रति क्रेज तेजी से बढ़ रहा है।खास बात कि कालिका स्थित हीलिंग सेंटर में भारत के साथ ही ब्रिटेन, जापान, न्यूजीलैंड, फारस, आस्ट्रेलिया आदि देशों की वर्तमान में 22 प्रजातियां मौजूद हैं। रोग एवं तनावमुक्ति को इन पेड़ों से लिपट कर सुकून पाने का अनुभव भी अलग ही है।
हीलिंग सेंटर में फिलहाल चार तरह की प्राकृतिक उपचार की विधियां अपनाई जा रही हैं। मसलन जंगल वाक, स्काई गेजिंग, छतनुमा व कमरे वाले ट्री हाउस में ध्यान योग व विभिन्न प्रजाति के चीड़ वृक्षों से लिपटना।
वन अनुसंधान केंद्र के क्षेत्राधिकारी राजेंद्र प्रसाद जोशी खुद ही गाइड के रूप में बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों को हीलिंग सेंटर की खूबियां गिनाते हैं। उन्हें चीड़ के पेड़ों के औषधीय गुणों से रू ब रू करा चारों विधियों से प्राकृतिक उपचार के तौर तरीके व लाभ से अवगत भी कराते हैं।चीड़ के पेड़ों के बीच कुछ ऊंचाई पर बने ट्रीहाउस हीलिंग सेंटर का आकर्षण बढ़ाते हैं। पर्यटक हवादार ट्रीहाउस व छतनुमा घरों में स्वच्छ हवा के बीच ध्यान लगाते हैं। योग भी करते हैं।
कालिका वन अनुसंधान केंद्र रानीखेत के क्षेत्राधिकारी एवं शोध अधिकारी राजेंद्र प्रसाद जोशी ने बताया कि हीलिंग का तात्पर्य ही रोग हरने से है। जब हम प्रकृति से सीधा साक्षात्कार करते हैं तो तमाम व्याधियों व मनोविकारों से जुड़ी जटिल समस्याएं धीरे धीरे खत्म होने लगती हैं। इंद्रियों की संवेदनाएं चीड़ के पेड़ों के संपर्क में आने से प्राकृतिक रूप से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक अनुभूति देने लगती हैं।