नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र की दो बड़ी एजेंसियां विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और यूनिसेफ ने सीरिया और कांगो के लोगों के लिए चिंता जाहिर करते हुए एक खुलासा किया है। डब्ल्यूएफपी का कहना है कि वर्षों से गृहयुद्ध की आग झेल रहे सीरिया में सवा करोड़ लोगों को भरपेट खाना तक नहीं मिल पा रहा है। एजेंसी के मुताबिक ये यहां की कुल आबादी का करीब 60 फीसद है।
संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि पिछले एक वर्ष में सीरिया में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है और इनकी कीमतों में करीब 250 फीसद की तेजी दर्ज की गई है। इसमें ये भी कहा गया है कि हालातों और बढ़ती कीमतों को देखते हुए मौजूदा वर्ष में आधी से अधिक जनता को अपने लिए पर्याप्त भोजन जुटाना भी मुश्किल होगा। इसी तरह से यूनिसेफ ने कांगो में मौजूद करीब 30 विस्थापित हुए बच्चों की गंभीर हालत पर चिंता जाहिर की है।
संगठन की तरफ से कहा गया है कि इन बच्चों को यहां पर विभिन्न गुटों के बीच चल रहे संघर्ष और भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है। संगठन की तरफ से बताया गया है कि शुक्रवार को विद्रोही गुटों ने एक पूरे गांव को आग लगा दी और स्वास्थ्य केंद्रों समेत कई स्कूलों में लूटपाट की। इसकी वजह से कई परिवारों के सामने खुद को बचाने की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आपको बता दें कि सीरिया और कांगो दोनों ही जगहों पर वर्षों से यहां के आम नागरिक इस तरह की घटनाओं से दो-चार हो रहे हैं।
इनको लेकर कई बार संयुक्त राष्ट्र में चिंता जाहिर की गई है। यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते एक वर्ष में ही खाद्य असुरक्षा के गर्त में करीब 45 लाख अतिरिक्त सीरियाई नागरिक शामिल हुए हैं। कोरोना की वैश्विक महामारी ने इन लोगों की राह को और अधिक मुश्किल कर दिया है। लोगों के काम धंघे बंद हो गए हैं और रोजगार और कमाई के सभी साधन बंद हैं।
ऐसे में हर रोज सैकड़ों लोग भुखमरी की तरफ खिसकते जा रहे हैं। इन लोगों का जीवन हर रोज मुश्किल में कट रहा है। डब्ल्यूएफपी में सीरियाई प्रतिनिधि और देशीय निदेशक शॉन ओब्रायन के मुताबिक इससे पहले हालात इतने खराब नहीं थे। वर्षों से संघर्ष के बीच जी रहे इन लोगों की पूंजी अब खत्म हो गई है।
यहां पर ब्रेड, चावल, दाल, तेल और चीनी की कीमत एक लाख 20 हजार सीरियाई पाउंड है। ये कीमत यहां के लोगों के औसत वेतन से कहीं ज्यादा है। लोगों से भरपेट भोजन लगातार दूर हो रहा है। यहां के लोगों की चिंता इस वजह से भी बढ़ी है क्योंकि देश की मुद्रा सीरियाई पाउंड में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है। डब्ल्यूएफपी की रिपार्ट के मुताबिक सीरिया में भुखमरी के शिकार हुए कर्ज के बोझ तले दबने को मजबूर हैं।
वे अपने गुजारा करने लायक भोजन के लिए अब अपने मवेशियों को बेच रहे हैं। गौरतलब है कि सीरिया में डब्ल्यूएफपी हर महीने 50 लाख खाद्य सहायता मुहैया करवाता है। संगठन का कहना है कि यदि यही हालात रहे तो यहां पर जुलाई 2021 तक मानवीय राहत जरूरतों को पूरा करने के लिये करीब 37 करोड़ डॉलर की जरूरत पड़ेगी।
वहीं दूसरी तरफ कांगो में यूनिसेफ का कहना है कि ये के विस्थापित हुए बच्चे डर के साए में रहकर केवल खुद को जिंदा बचाने के आगे नहीं सोच पा रहे हैं। इनके भविष्य पर गहरा संकट है। उनका कहना है कि यहां के इस विकराल होते संकट की तरफ दुनिया का कम ध्यान है।
दुनिया इस क्षेत्र के प्रति लापरवाह हो रही है। जबकि इन बच्चों को एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य प्रदान करने के लिए संसाधनों की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि यहां पर करीब 52 लाख लोग विस्थापित हैं। इसमें ऐस आधे बीते एक वर्ष में विस्थापित हुए हैं। इनमें 30 लाख बच्चे भी शामिल हैं।