देहरादून: जोशीमठ में रोज बदलते हालात के बीच सरकार भी असमंजस की स्थिति में है। शासन ने नए ड्रेनेज प्लान पर आगे बढ़ने से फिलहाल इनकार कर दिया है। वहीं, हेलंग बाईपास निर्माण पर लगाई गई रोक हटाई जा सकती है। इस संबंध में आईआईटी रुड़की को एक सप्ताह में जियोटेक्निकल सर्वे रिपोर्ट देने को कहा गया है।
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में ड्रेनेज प्लान पर अभी शासन स्तर पर मंथन किया जा रहा है। इसलिए ड्रेनेज प्लान को फिलहाल रोक दिया गया है। तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट आने के बाद जब एक खाका तैयार हो जाएगा, इसके बाद ही इस पर कोई फैसला लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बाईपास निर्माण के काम पर रोक लगाई गई है। इस पर पुनः काम शुरू करने से कोई दिक्कत तो नहीं होगी, इस संबंध में आईआईटी रुड़की को जियोटेक्निकल सर्वे कर एक सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा गया है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो बाईपास निर्माण का काम पुनः शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अलकनंदा के किनारे हो रहे टो-एरोजन(कटाव) से बचाव को लेकर रिटेनिंग वॉल बनाने की प्रक्रिया अभी जारी रहेगी।
जोशीमठ में भू-धंसाव को लेकर शहर में ड्रेनेज सिस्टम का न होना इसका बड़ा कारण बताया जा रहा था। आनन-फानन में सरकार ने ड्रेनेज प्लान तैयार कर इसे लागू करने के निर्देश भी दिए, लेकिन अब इस पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। जबकि इसके टेंडर भी खुल गए हैं। इसमें चार संस्थाओं ने रूचि दिखाई है। इसके अलावा वित्तीय निविदाएं भी खोल दी गई हैं।
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ भू-धंवाव को लेकर अभी कई तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट आनी हैं। वहां रोज हालात बदल रहे हैं। यदि जोशीमठ का पुनर्निर्माण किया जाता है तो उसका भी एक अलग प्लान बनेगा।
तमाम तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट मिलने के बाद जोशीमठ के पुनर्निर्माण पर फैसला लिया जाएगा। जोशीमठ का पुर्निर्माण होगा, भूधंसाव वाले हिस्से में किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक और दरारों वाले भवनों के भविष्य पर जियोटेक्निकल और जियोफिजिकल रिपोर्ट आने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इन सर्वे रिपोर्ट के बाद ही पता चल पाएगा कि वहां की जमीन किसी भी नए भार को उठाने लायक है या नहीं। इसके अलावा सभी दरार वाले भवनों को हटाने का फैसला लिया जा सकता है।